छत्तीसगढ़ शराब घोटाला मामले में सुप्रीम कोर्ट की ED को फटकार, ’ बिना सबूत आरोप लगा रहे, ये एक पैटर्न सा हो गया है’

रायपुर । सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को प्रवर्तन निदेशालय (ED) को शराब घोटाला मामले में फटकार लगाई है। कोर्ट ने कहा कि एजेंसी बिना किसी ठोस सबूत के सिर्फ आरोप लगा रही है। जस्टिस ओका ने सुनवाई के दौरान कहा, हमने ईडी की कई शिकायतें देखी हैं। यह एक पैटर्न बन गया है, केवल आरोप लगाइए, लेकिन किसी भी साक्ष्य का हवाला मत दीजिए।

न्यायमूर्ति अभय एस. ओका और न्यायमूर्ति उज्जल भुयां की पीठ ने यह टिप्पणी आरोपी अरविंद सिंह की जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान की। यह टिप्पणी तब आई जब ED की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एस. वी. राजू अरविंद सिंह के खिलाफ 40 करोड़ रुपए की अवैध कमाई का कोई ठोस सबूत अदालत के सामने नहीं रख सके।

शराब घोटाला मामले में कारोबारी अरविंद सिंह को भी आरोपी बनाया गया है। - Dainik Bhaskar

शराब घोटाला मामले में कारोबारी अरविंद सिंह को भी आरोपी बनाया गया है।

आरोपी पक्ष की दलीलें

अरविंद सिंह के वकील ने बताया कि, वह पहले ही 10 महीने से हिरासत में हैं। ईडी ने उनके खिलाफ एक मुख्य और 3 पूरक शिकायतें दर्ज की हैं, लेकिन अब तक जांच पूरी नहीं हुई। मामले में 21 आरोपी, 25 हजार से अधिक पन्नों के दस्तावेज और 150 से अधिक गवाहों के बयान शामिल हैं।

अब इस पर ईडी ने क्या कहा?

अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एस. वी. राजू ने तर्क दिया- केवल सामग्री की मात्रा के आधार पर जमानत नहीं दी जा सकती। इस तर्क को मान लिया जाए, तो पहले दिन ही जमानत मिल जाएगी। अरविंद सिंह की गिरफ्तारी को अभी एक साल भी नहीं हुआ है।

जस्टिस ओका ने स्पष्ट किया– जमानत के लिए एक साल की हिरासत कोई कानूनी मानक नहीं है।

ईडी की ओर से कहा गया- अरविंद सिंह घोटाले में प्रमुख भूमिका में है, वह सह-आरोपी अनवर ढेबर के करीबी थे। व्हाट्सएप चैट में नकली होलोग्राम, शराब नीति और सप्लायरों को लेकर बातचीत का हवाला दिया गया।

कोर्ट ने फिर पूछा– 40 करोड़ रुपए की कमाई से उनका सीधा संबंध कहां है?

ED की ओर से राजू ने बताया- यह रकम अरविंद सिंह और दुबई भाग चुके विकास अग्रवाल द्वारा संयुक्त रूप से कमाई गई थी।

जस्टिस ओका ने पूछा– क्या अग्रवाल के खिलाफ भी कोई मामला दर्ज किया गया है?

राजू ने बताया– अभी उन्हें आरोपी नहीं बनाया गया है, जांच पूरी होने पर ही ऐसा किया जाएगा।

ED की दलील, 5 रुपए प्रति बोतल मुनाफा

ED की ओर से ‘वेलकम डिस्टिलरीज’ और ‘अनुराग ट्रेडर्स’ के बीच बैंक लेन-देन का हवाला दिया गया। कहा कि आरोपियों से जुड़ी कंपनियों ने बोतलों की आपूर्ति में 5 रुपए प्रति बोतल का मुनाफा कमाया। इससे कुल 900 करोड़ रुपए का घोटाला हुआ। सिंह को अमित सिंह का रिश्तेदार बताया गया, जिसे यह धन मिला।

इस पर राजू ने कहा कि, सिंह इन कंपनियों को चला रहे थे और विवरण पेश करने के लिए समय मांगा। उन्होंने यह भी कहा कि कोई व्यक्ति कंपनी का प्रबंध निदेशक न होते हुए भी जिम्मेदार हो सकता है।

क्या है छत्तीसगढ़ का शराब घोटाला ?

छत्तीसगढ़ शराब घोटाला मामले में ED जांच कर रही है। ED ने ACB में FIR दर्ज कराई है। जिसमें 2 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा के घोटाले की बात कही गई है। ED ने अपनी जांच में पाया कि तत्कालीन भूपेश सरकार के कार्यकाल में IAS अफसर अनिल टुटेजा, आबकारी विभाग के एमडी AP त्रिपाठी और कारोबारी अनवर ढेबर के सिंडिकेट के जरिए घोटाले को अंजाम दिया गया था।

ED के मुताबिक ऐसे होती थी अवैध कमाई

  • पार्ट-A कमीशन: CSMCL यानी शराब की खरीद और बिक्री के लिए राज्य निकाय द्वारा उनसे खरीदी गई शराब के प्रति ‘केस’ के लिए डिस्टिलर्स से रिश्वत ली जाती थी।
  • पार्ट-B कच्ची शराब की बिक्री: बेहिसाब ‘कच्ची ऑफ-द-बुक’ देसी शराब की बिक्री हुई। इस मामले में सरकारी खजाने में एक भी रुपया नहीं पहुंचा और बिक्री की सारी रकम सिंडिकेट ने हड़प ली। अवैध शराब सरकारी दुकानों से ही बेची जाती थी।
  • पार्ट-C कमीशन: शराब बनाने वालों से कार्टेल बनाने और बाजार में निश्चित हिस्सेदारी दिलाने के लिए रिश्वत ली जाती थी। FL-10 A लाइसेंस धारकों से कमीशन ली गई, जिन्हें विदेशी शराब के क्षेत्र में कमाई के लिए लाया गया था।