छत्तीसगढ़: प्रभु जगन्नाथ की रथयात्रा पर उत्सव का माहौल, सीएम साय ने झाड़ू लगाकर किया शुभारंभ, दर्शन करने भक्तों की उमड़ी भीड़

रायपुर। आज रथयात्रा का महापर्व है. आज ओडिशा के साथ-साथ छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में भी बड़े धूमधाम से भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा निकाली जा रही है. रायपुर के गायत्री नगर स्थित जगन्नाथ मंदिर से प्रभु की रथयात्रा निकलेगी. इस महापर्व के मौके पर राजधानी में सुबह से ही  उत्सव का माहौल है. वहीं इस अवसर पर मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय, पूर्व सीएम बघेल और  सांसद बृजमोहन अग्रवाल सहित कई दिग्गज नेता भी प्रभु का आशिर्वाद पाने मंदिर पहुंच गए हैं. सीएम साय ने छेरापहरा का पारंपरिक अनुष्ठान किया और सोने के झाडू से झाडू लगाकर रथ यात्रा का शुभारंभ किया.

ओडिशा के पुरी में भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा की झलक

बता दें, ओडिशा के पुरी में भगवान जगन्नाथ का मुख्य मंदिर है, जहां हर साल आषाढ़ मास की शुक्ल पक्ष की द्वितीया को भगवान जगन्नाथ अपने भक्तों से मिलने बाहर निकलते हैं. वहीं छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के गायत्री नगर स्थित जगन्नाथ मंदिर में भी यह त्यौहार हर साल बड़े हरषोल्लास के साथ मनाया जाता है. इस साल भी यहां रथयात्रा को लेकर काफी उत्साह से तैयारियां की गई हैं. मंदिर में विशेष हवन और पूजा की जा रही है. इस अवसर पर रविवार को यहां बड़ी संख्या में श्रद्धालु भगवान के दर्शन को आते हैं. वहीं जगन्नाथ सेवा समिति ने इस साल बड़े पैमाने पर प्रसाद वितरण की व्यवस्था भी की है.

अधिक स्नान से बीमार हो जाते हैं प्रभु जगन्नाथ

रथयात्रा से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण धार्मिक विधियों के बारे में जानकारी देते हुए पुजारियों ने बताया कि इस यात्रा का शुभारम्भ ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन स्नान पूर्णिमा से हो जाता है, जिसमें भगवान जगन्नाथ मन्दिर से बाहर निकलकर भक्ति रस में डूबकर अत्यधिक स्नान कर लेते हैं, जिसकी वजह से वे बीमार हो जाते हैं. पन्द्रह दिनों तक जगन्नाथ मन्दिर में प्रभु की पूजा अर्चना के साथ दुर्लभ जड़ी बूटियों से बना हुआ काढ़ा तीसरे, पांचवें, सातवें और दसवें दिन पिलाया जाता है. भगवान जगन्नाथ का बीमार अवस्था में दर्शन करने पर भक्तजनों को अतिपुण्य का लाभ प्राप्त होता है.

भाई बलराम और बहन सुभद्रा के सात गुण्डिचा मंदिर जाते हैं भगवान

वहीं स्वास्थ्य लाभ प्राप्त होने के पश्चात् भगवान जगन्नाथ जी अपने बड़े भाई बलराम और बहन सुभद्रा जी के साथ तीन अलग अलग रथ पर सवार होकर अपनी मौसी के घर अर्थात् गुण्डिचा मन्दिर जाते हैं, प्रभु की इस यात्रा को रथयात्रा कहा जाता है.

जगन्नाथ जी के रथ को नन्दी घोष कहते हैं और बलराम दाऊ जी के रथ को तालध्वज कहते हैं, दोनों भाईयों के मध्य भक्तों का आकर्षण केन्द्र बिन्दु रहता है, बहन सुभद्रा जी देवदलन रथ पर सवार होकर गुण्डिचा मन्दिर जाती हैं. रथयात्रा पर भगवान जगन्नाथ महाप्रभु जी का नेत्र उत्सव मनाया जाता है. रथयात्रा के दिन जगन्नाथ मन्दिर गायत्री नगर में 11 पन्डितों द्वारा जगन्नाथ जी का विशेष अभिषेक, पूजा और हवन करते हुए रक्त चंदन, केसर, गोचरण, कस्तुरी और कपूर स्नान के पश्चात् भगवान को गजामूंग का भोग लगाया जाता है.