‘हारी हुई सरकार विराजमान है, अब मनमर्जी नहीं, जनमर्जी चलेगी’, लोकसभा में बोले अखिलेश

नई दिल्ली। लोकसभा की कार्यवाही एक बार फिर मंगलवार को शुरू हुई। केंद्रीय एजेंसियों के दुरुपयोग, नीट और अग्निपथ जैसे मुद्दों को लेकर विपक्ष ने सरकार को घेरा। इस दौरान दोनों सदनों में जमकर हंगामा हुआ। लोकसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण के लिए धन्यवाद प्रस्ताव पर बोलते हुए उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और सपा सांसद अखिलेश यादव ने कहा कि सरकार अर्थव्यवस्था पर आंकड़े छुपा रही है। 

यह गिरने वाली सरकार
अखिलेश यादव ने पहले लोकसभा स्पीकर ओम बिरला को बोलने का मौका देने पर धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा कि सबसे पहले उन सभी मतदाताओं को धन्यवाद देना चाहता हूं, जिन्होंने लोकतंत्र को एकतंत्र बनाने से रोका। चुनाव के समय ऐसा कहा गया कि 400 पार पर समझदार जनता को फिर से धन्यवाद। उन्होंने कहा, ‘आवाम ने तोड़ दिया हूकुमत का गुमार, दरवार तो लगा है, मगर बड़ा गमगीन बेनूर है और पहली बार ऐसा लग रहा है कि हारी हुई सरकार विराजमान है। जनता कह रही है कि चलने वाली नहीं, यह गिरने वाली सरकार है। क्योंकि ऊपर से जुड़ा कोई तार नहीं, नीचे कोई आधार नहीं, अधर में जो लटकी, वो तो कोई सरकार नहीं।’

उन्होंने कहा, ‘इस चुनाव में पूरे इंडिया गठबंधन की जीत हुई है। यह इंडिया की सकारात्मक जीत हुई है। 2024 का परिणाम हम इंडिया वालों के लिए जिम्मेदारी से भरा पैगाम भी है। हम यह भी कहे 15 अगस्त 1947 अगर आजादी का दिन था, तो 4 जून 2024 देश के लिए सांप्रदायिक राजनीति से आजादी का दिन रहा। सबसे अच्छी बात यह है कि सांप्रदायिक राजनीति की हार हो गई।’

यूपी में 35 फीसदी की ग्रोथ चाहिए
उन्होंने आगे कहा, ‘सरकार कहने को तो कहती है कि यह पांचवीं बड़ी अर्थव्यवस्था बन गई है। मगर सरकार क्यों छिपा रही है कि अगर यह सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है तो हमारे देश की प्रति व्यक्ति आय किस स्थान पर पहुंची है। हमने देखा है कि अगर दिल्ली सरकार ने कहा होगा पांच ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनेगी, तो जहां से पीएम से चुनकर आती है, तो वहां की प्रदेश सरकार कह रही है कि हम एक ट्रिलियन डॉलर अर्थव्यवस्था बना लेंगे। अगर उत्तर प्रदेश की अर्थव्यवस्था को एक ट्रिलियन डॉलर बनना है तो 35 फीसदी की ग्रोथ चाहिए। मुझे नहीं लगता है कि इतनी ग्रोथ हो पाएगी।’

अब मनमर्जी नहीं जनमर्जी चलेगी
उन्होंने कहा, ‘जो लोग चुनाव को अपनी तरह से मोड़ते हैं। मैं उनसे कहना चाहता हूं कि इस चुनाव के परिणाम में तोड़ने वाली राजनीति की हार हुई है। वहीं जोड़ने वाली राजनीति की जीत हुई है। इस चुनाव में धन, छल, बल की नकारात्मक राजनीति की शिकस्त हुई है। यह चुनाव सकारात्मक का दौर शुरू हुआ है। संविधान ही संजीवनी है। यह संविधान मंथन में हैं। संविधान रक्षकों की जीत हुई है। मैं कहना चाहता हूं कि देश किसी की निजी महत्वाकांक्षा से नहीं, बल्कि जन आंकाक्षा से चलेगा। मतलब अब मनमर्जी नहीं जनमर्जी चलेगी।’