नई दिल्ली। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के साथ अपने मतभेदों के दावों को सिरे से खारिज किया है। आरएसएस का कहना है कि इस तरह के दावे सिर्फ भ्रम पैदा करने के लिए किए जा रहे हैं। संघ के सूत्रों ने यह भी बताया कि केरल के पलक्कड़ में आरएसएस, भाजपा और उनके सहयोगियों की तीन दिवसीय वार्षिक बैठक 31 अगस्त से शुरू होगी। बताया गया है कि संघ के अध्यक्ष समेत भाजपा के वरिष्ठ नेता इस बैठक में शामिल होंगे।
भाजपा- आरएसएस में मनमुटाव नहीं- सूत्र
संघ से जुड़े सूत्रों का कहना है कि भाजपा और आरएसएस के बीच किसी भी तरह का मनमुटाव नहीं है। बता दें कि इससे पहले संघ प्रमुख मोहन भागवत ने टिप्पणी की थी कि ‘सच्चा सेवक कभी अहंकारी नहीं होता।’ इसके बाद से विपक्ष के नेताओं और कुछ लोगों ने दावा किया था कि लोकसभा चुनाव में भाजपा के खराब प्रदर्शन के संघ प्रमुख ने तल्ख संदेश दिया है।
सूत्रों का कहना है कि भागवत के बयान को गलत तरीके से पेश किया गया है। संघ प्रमुख की अहंकार वाली टिप्पणी प्रधानमंत्री या किसी भी भाजपा नेता के संदर्भ में नहीं थी।
मोहन भागवत ने क्या कहा था?
संघ प्रमुख मोहन भागवत ने आम चुनाव के बाद अपनी पहली टिप्पणी में मणिपुर को प्राथमिकता दी थी। उन्होंने मणिपुर के हालातों पर चिंता जताते हुए कहा था कि राज्य में संघर्ष को समाप्त करने के लिए सरकार और विपक्ष के बीच आम सहमति की आवश्यकता है। इसके साथ ही भागवत ने यह भी कहा था ‘एक सच्चा सेवक मर्यादा बनाए रखता है, वह काम करते समय मर्यादा का पालन करता है। उसमें अहंकार नहीं होता।’
इंद्रेश कुमार के बयान से मची थी खलबली
हालांकि, यह स्पष्ट नहीं था कि संघ प्रमुख मोहन भागवत ने किस पर निशाना साधा लेकिन इसके बाद आरएसएस नेता इंद्रेश कुमार के बयान से राजनीतिक हलकों में हलचल मच गई। इंद्रेश कुमार ने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा था ‘जो पार्टी राम की पूजा करती थी, वह अहंकारी हो गई। 2024 के चुनाव में वह सबसे बड़ी पार्टी बन तो गयी, लेकिन जो उसे सत्ता मिलनी चाहिए थी, उसे भगवान राम ने अहंकार के कारण रोक दिया।’
इस बीच आरएसएस के एक पदाधिकारी का कहना है कि यह इंद्रेश कुमार की निजी राय है। संघ के सूत्रों ने स्पष्ट किया है कि 31 अगस्त से पलक्कड़ में आरएसएस, भाजपा और उनके सहयोगियों की तीन दिवसीय वार्षिक बैठक होगी। इसमें सभी वरिष्ठ नेता भाग लेंगे।