नई दिल्ली। एनडीए और इंडिया ब्लॉक की सीधी लड़ाई में 16 अन्य भी चुनाव जीतकर संसद पहुंचे हैं. ये 16 अन्य कौन हैं और ये एनडीए-इंडिया ब्लॉक में से किससे कितने दूर या कितने पास नजर आते हैं? जानिए.
लोकसभा का चुनावी समर नतीजे आने के साथ ही अब अपनी पूर्णता तक पहुंच चुका है. चुनाव नतीजों में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की अगुवाई वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) को 293 सीटों पर जीत मिली. कांग्रेस की अगुवाई वाले विपक्षी इंडिया ब्लॉक को भी 234 सीटें मिलीं. एनडीए और इंडिया ब्लॉक के इस सीधे चुनावी मुकाबले में सात निर्दलीयों समेत 16 ऐसे कैंडिडेट भी जीतकर संसद पहुंचे जिनका नाता इन दोनों ही गठबंधनों से नहीं था.
एनडीए-इंडिया ब्लॉक की लड़ाई में संसद पहुंचे ये निर्दलीय या अन्य दलों के नेता कौन हैं और जरूरत पड़ने पर इन दोनों गठबंधनों में से किसके साथ जा सकते हैं? नतीजों के बाद बात अब इसे लेकर भी हो रही है. आइए, नजर डालते हैं इन 16 सांसदों के पॉलिटिकल बैकग्राउंड पर.
चंद्रशेखर आजाद
आजाद समाज पार्टी (कांशीराम) के प्रमुख चंद्रशेखर आजाद यूपी की नगीना सीट से पहली बार लोकसभा चुनाव में उतरे और जीत भी हासिल की. चंद्रशेखर की जीत इसलिए भी खास हैं क्योंकि इस सीट पर उनके सामने इंडिया ब्लॉक के साथ ही बीजेपी और सूबे में दलित सियासत की अगुवा बहुजन समाज पार्टी के उम्मीदवार की मजबूत चुनौती थी. चंद्रशेखर ने चौतरफा मुकाबले में डेढ़ लाख के बड़े अंतर से जीत हासिल की. चंद्रशेखर की सियासत दलित वर्ग के इर्द-गिर्द और बीजेपी के विरोध की रही है.
पप्पू यादव
पूर्णिया सीट से निर्दलीय जीते पप्पू यादव छठी बार संसद पहुंचे हैं. पप्पू यादव के लिए संसदीय चुनाव में बतौर निर्दलीय उम्मीदवार ये तीसरी जीत है और तीनों ही बार वे पूर्णिया से ही जीते. पप्पू यादव दो बार आरजेडी और एक बार सपा से भी सांसद रहे हैं. पप्पू यादव ने जन अधिकार पार्टी नाम से अपना राजनीतिक दल भी बनाया था.
हालिया चुनाव से ठीक पहले पप्पू यादव ने अपनी पार्टी का कांग्रेस में विलय करने, पूर्णिया सीट से चुनाव लड़ने का ऐलान किया था. इंडिया ब्लॉक में ये सीट आरजेडी के खाते में चली गई. पप्पू यादव निर्दलीय ही चुनाव मैदान में उतरे और विजय पताका फहरा दी. पप्पू यादव नामांकन के बाद तक कांग्रेस के साथ निष्ठा जताते रहे. उनकी पत्नी रंजीत रंजन भी कांग्रेस में हैं. ऐसे में पप्पू यादव का झुकाव कांग्रेस और इंडिया ब्लॉक की तरफ ही रहेगा, ऐसा माना जा रहा है.
हरसिमरत कौर बादल
बीजेपी से गठबंधन के बगैर पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ रही बादल परिवार की पार्टी शिरोमणि अकाली दल 13 सीटों वाले सूबे की केवल एक ही सीट जीत सकी और वह सीट है- बठिंडा. बठिंडा सीट से पार्टी की उम्मीदवार हरसिमरत कौर बादल को जीत मिली. हरसिमरत कौर बादल पंजाब की सियासत का पावर सेंटर रहे बादल परिवार से ही आती हैं. शिरोमणि अकाली दल एनडीए की स्थापना के समय से लेकर तीन नए कृषि कानूनों से संबंधित बिल संसद में आने तक, बीजेपी की अगुवाई वाले गठबंधन में रहा है. तीनों कृषि कानून सरकार पहले ही वापस ले चुकी है, ऐसे में हो सकता है कि बादल परिवार की पार्टी फिर से पुराने गठबंधन में लौट आए.
असदुद्दीन ओवैसी
ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन यानि एआईएमआईएम इस बार एक सीट जीत सकी है. एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी हैदराबाद सीट से संसद पहुंचे हैं. ओवैसी एनडीए और इंडिया ब्लॉक, दोनों पर ही समान रूप से हमलावर रहे हैं. उनकी पार्टी तेलंगाना में गठबंधन में रही भी है तो तीसरा मोर्चा बनाने की कवायद में जुटे रहे के चंद्रशेखर राव की पार्टी भारत राष्ट्र समिति यानि बीआरएस के साथ. देखना दिलचस्प होगा कि अगर किसी एक तरफ खड़े होने की नौबत आती है तो वह किसके साथ नजर आते हैं.
सबरजीत सिंह खालसा
सरबजीत सिंह खालसा ने पंजाब की फरीदकोट सीट से निर्दलीय चुनाव जीता है. सरबजीत पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के मामले में सजायाफ्ता रहे बेअंत सिंह के बेटे हैं. 2015 में सरबजीत पहली बार तब चर्चा में आए थे जब उन्होंने गुरुग्रंथ साहिब की बेअदबी का मुद्दा उठाया था. सिख संगत के कहने पर चुनाव मैदान में उतरने का दावा करते आए सरबजीत एनडीए या इंडिया ब्लॉक, किसके साथ खड़े नजर आते हैं? ये देखना दिलचस्प होगा.
अमृतपाल सिंह
खालिस्तान समर्थक अमृतपाल सिंह के खिलाफ राजद्रोह और राष्ट्रीय सुरक्षा कानून समेत गंभीर धाराओं में 16 मामले दर्ज हैं. पिछले साल अप्रैल में गिरफ्तारी के बाद असम की डिब्रूगढ़ जेल में बंद अमृतपाल ने खडूर साहिब सीट से बतौर निर्दलीय चुनाव लड़ा और करीब दो लाख वोट के बड़े अंतर से जीता भी.
विशाल पाटिल
महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री वसंतदादा पाटिल के पोते विशाल पाटिल सांगली सीट से सांसद निर्वाचित हुए हैं. विशाल इस सीट से कांग्रेस का टिकट मांग रहे थे लेकिन इंडिया ब्लॉक में ये सीट शिवसेना (यूबीटी) के खाते में चली गई. कांग्रेस के हाथ से ये सीट फिसली तो विशाल निर्दलीय ही चुनाव मैदान में उतर गए और बीजेपी के सीटिंग सांसद संजय काका पाटिल को एक लाख वोट से अधिक के अंतर से हरा दिया.
इंजीनियर राशिद
इंजीनियर राशिद जम्मू कश्मीर की बारामूला सीट से सांसद चुने गए हैं. इंजीनियर राशिद ने नेशनल कॉन्फ्रेंस के उम्मीदवार पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला को हराया है. राशिद दो बार विधायक रहे हैं और वह 2019 के चुनाव में भी मैदान में उतरे थे लेकिन मात मिली थी. फिलहाल वह टेरर फंडिंग केस में यूएपीए के तहत तिहाड़ जेल में बंद हैं. राशिद ऐसे पहले नेता हैं जिसके खिलाफ यूएपीए के तहत कार्रवाई हुई है.
पटेल उमेशभाई
पटेल उमेश भाई दमन और दीव लोकसभा सीट से संसद पहुंचे हैं. बिजनेसमैन उमेश भाई की पहचान एक सामाजिक कार्यकर्ता की रही है. उन्होंने बतौर निर्दलीय उम्मीदवार लोकसभा चुनाव लड़ा और तीन बार के बीजेपी सांसद लालू भाई पटेल को हराया. उमेश भाई जरूरत पड़ी तो किसके साथ खड़े होते हैं, ये देखना दिलचस्प होगा.
मोहम्मद हनीफा
मोहम्मद हनीफा लद्दाख सीट से निर्वाचित हुए हैं. हनीफा नेशनल कॉन्फ्रेंस से राजनीति में सक्रिय रहे हैं. लोकसभा चुनाव में जब नेशनल कॉन्फ्रेंस ने जम्मू की दो और लद्दाख की सीट पर कांग्रेस के समर्थन का ऐलान कर दिया तब पूरी करगिल यूनिट के साथ हनीफा ने पार्टी छोड़ दी थी. हनीफा बतौर निर्दलीय उम्मीदवार चुनाव मैदान में उतरे और विजयश्री हासिल की. मोहम्मद हनीफा चुनाव से ठीक पहले नेशनल कॉन्फ्रेंस में रहे हैं जो इंडिया ब्लॉक में है.
रिकी एन्ड्रयू
रिकी एंड्रू मेघालय की शिलांग सीट से वॉइस ऑफ द पीपुल्स पार्टी से चुनाव जीतकर संसद पहुंचे हैं. ये पार्टी न तो इंडिया ब्लॉक में है और ना ही एनडीए में. मेघालय की प्रमुख पार्टी एनपीपी पहले से ही बीजेपी की अगुवाई वाले एनडीए में शामिल है. ऐसे में ये देखने वाली बात होगी कि विपक्ष का वैक्यूम भरने की रणनीति के साथ चल रही वीओटीपीपी सत्ताधारी गठबंधन के साथ खड़ी होती है या विपक्षी गठबंधन के साथ?
रिचर्ड वानलालहमंगइहा
मिजोरम में सत्ताधारी जेडपीएम के उम्मीदवार रिचर्ड वानलालहमंगइहा जीते हैं. जेडपीएम अब तक न तो एनडीए में है और ना ही इंडिया ब्लॉक में लेकिन पूर्वोत्तर की राजनीति का एक ट्रेंड रहा है. पूर्वोत्तर की पार्टियां केंद्र में जिसकी सरकार उसे समर्थन के फॉर्मूले पर चलती रही हैं.
वाईएसआर कांग्रेस को भी मिली चार सीटें
आंध्र प्रदेश के निवर्तमान मुख्यमंत्री जगनमोहन रेड्डी की पार्टी को चार सीटों पर जीत मिली है. वाईएसआर कांग्रेस के टिकट पर पीवी मिधुन रेड्डी, अविनाश रेड्डी, थानुज रानी और गुरुमूर्ति मैडिला चुनाव जीतकर संसद पहुंचे हैं. वाईएसआर कांग्रेस कई अहम मौकों पर संसद में सरकार के साथ खड़ी नजर आई है लेकिन तब हालात दूसरे थे, अब दूसरे हैं. सूबे की सियासत में वाईएसआर कांग्रेस की प्रतिद्वंद्वी टीडीपी, बीजेपी की अगुवाई वाले एनडीए में शामिल है. जगन विधानसभा चुनाव में हार के साथ सत्ता गंवा चुके हैं.