कोरबा।बालको में फोर्कलिफ्ट ऑपरेटर के रूप में कार्यरत ट्रांसजेंडर कर्मचारी भवानी राठिया कहती हैं कि टीम प्रयास से ही एल्यूमिनियम उत्पादन होता और मुझे अपने सहयोगियों के साथ उत्पादन में योगदान करने पर गर्व है। छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले में भवानी जैसी सशक्तिकरण की विभिन्न प्रेरक कहानियाँ हैं, जो समुदाय में ट्रांसजेंडर समुदाय के लिए आशा की किरण के रूप में काम करती हैं।
भारत एल्यूमिनियम कंपनी लिमिटेड (बालको) में 17 ट्रांसजेंडर कर्मचारी कार्यरत हैं, जिनमें से प्रत्येक अलगाव से पहचान की मजबूत भावना में परिवर्तन की अपनी यात्रा साझा करते हैं। वर्ष 2022 में 7 ट्रांसजेंडर कर्मचारियों को कार्यबल में शामिल कर कंपनी ने अपनी कार्य संस्कृति के समावेशिता को बढ़ावा दिया। कंपनी के इस प्रयास से समाज में उनके पहचान को मजबूती मिली। ये कर्मचारी फोर्कलिफ्ट संचालन, स्टोर प्रबंधन और सुरक्षा गार्डों के पदों पर अपनी भूमिकाएँ निभा रहे हैं तथा कंपनी के महत्वपूर्ण योगदानकर्ता के तौर पर अपने पहचान को सशक्त किया है।
दीपा को अपनी शुरुआती घबराहट अच्छी तरह याद है जब उन्होंने बालको में सुरक्षा कार्य में काम करना शुरू किया था। हालाँकि अब वो अपनी नौकरी पर गर्व करती है लेकिन चुनौतियों से निपटने और व्यक्तिगत एवं पेशेवर रूप से आगे बढ़ने में मदद करने के लिए वह अपने सहायक प्रबंधक को श्रेय देती है।
फोर्कलिफ्ट गैराज की पर्यवेक्षक आकांक्षा सोनी ने बताया कि बालको सभी ट्रांसजेंडर कर्मचारियों के लिए एक अभिभावक रहा है। उन्होंने कहा कि कैसे नौकरी किसी व्यक्ति के आत्मविश्वास को बढ़ाने में मददगार साबित हो सकता है। बालको ने मेरे सपनों को उड़ान देने का कार्य किया है और मुझे मेरी क्षमता का एहसास करने में मदद की है। आज मेरा आत्मविश्वास मुझे फोर्कलिफ्ट गैरेज में एक पर्यवेक्षक के रूप में काम करने के लिए प्रेरित करता है। मैं उचित व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण (पीपीई) के उपयोग को बढ़ावा देकर सुरक्षा के उच्चतम मानकों को सुनिश्चित करके संयंत्र की सुरक्षा में भी योगदान देती हूं।
कंपनी से मिले सम्मान एवं पहचान के प्रति आभार व्यक्त करते हुए आकांक्षा ने कहा कि पहले का उनका डर अब आत्मविश्वास में बदल गया है जो उन्हें समाज में सशक्त बनने में सहायक हुआ है। जेंडर रिफॉर्मेशन नीति के लाभ को लेकर उन्होंने बताया कि लिंग पुनर्मूल्यांकन सर्जरी की योजना बनाने और उसे क्रियान्वित करने में हमें वर्षों लग जाते थे। कंपनी के नीति से एलजीबीटीक्यू प्लस कर्मचारियों को 30 दिनों की सवैतनिक छुट्टी और मुआवजे का लाभ मिला है। कंपनी द्वारा लिंग पुनर्मूल्यांकन सर्जरी के लिए 2 लाख रुपये दिये जा रहे हैं।
बालको में सुरक्षाकर्मी के तौर पर तैनात आयशा विश्वकर्मा ने पुरस्कार एवं सम्मानित कार्यक्रम के बारे में बात करते हुए ने कहा कि कार्यस्थल पर मेरे प्रदर्शन को सराहना मिली है। संयंत्र में सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए मेरे बेहतर प्रदर्शन को देखते हुए सम्मानित किया गया। ऐसे सम्मान मुझे हर दिन बेहतर करने के लिए प्रेरित करती हैं।
ट्रांसजेंडर वेलफेयर सोसाइटी की सदस्य और छत्तीसगढ़ मितवा संकल्प समिति की अध्यक्ष सुश्री विद्या राजपूत ने अपने साथियों के लिए एक उल्लेखनीय उदाहरण स्थापित करने पर बालको की प्रतिबद्धता के प्रति आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि कंपनी अपने संयंत्र के भीतर और समुदाय में विविधता को प्रोत्साहित करने के हमेशा तत्पर रहा है।
कंपनी सुरक्षित और समावेशी कार्यस्थल को बढ़ावा देने के लिए कटिबद्ध है। बालको ने ट्रांसजेंडर समुदाय के समाज के हाशिये से औद्योगिक संगठन कार्यों से जोड़ने के लिए तीन-आयामी दृष्टिकोण अपनाया है। कंपनी अपने संयंत्र के भीतर विभिन्न उच्चस्तरीय मापदंड़ के आधार पर नियोजन प्रक्रिया को पूरा करती है। प्रचालन के लिए आवश्यक उचित कौशल प्रदर्शित करने वाले ट्रांसजेंडर पेशेवरों का मूल्यांकन और पहचान करते समय एक समावेशी नियुक्ति दृष्टिकोण अपनाती है। नियोजन के लिए प्रचालन कौशल, सॉफ्ट स्किल और व्यावसायिक ज्ञान पर केंद्रित व्यापक कौशल वृद्धि सुनिश्चित की जाती है जिससे एल्यूमिनियम उत्पादन में उनके उत्कृष्ट सहयोग की क्षमता को विकसित की जा सके।