क्या सच में पूर्व पीएम मनमोहन सिंह ने कहा था कि देश के संसाधनों पर पहला हक मुसलमानों का है? जानें क्या है सच्चाई

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का एक बयान बीते 24 घंटे से चर्चा में है। राजस्थान के बांसवाड़ा में 21 अप्रैल को पीएम मोदी ने कहा कि अगर कांग्रेस की सरकार बनेगी तो हरेक की प्रॉपर्टी का सर्वे किया जाएगा। हमारी माताओं-बहनों के पास कितना सोना है? इसकी जांच होगी। फिर सबमें बांट दिया जाएगा। 

इसके बाद पीएम मोदी ने पूर्व प्रधानमंत्री डॉक्टर मनमोहन सिंह के 18 साल पुराने एक बयान का जिक्र किया। मोदी ने कहा कि जब कांग्रेस की सरकार थी, तब उन्होंने कहा था कि देश की संपत्ति पर पहला अधिकार मुसलमानों का है। इसका मतलब है कि संपत्ति किसे बांटी जाएगी? यह उन लोगों में बांटी जाएगी, जिनके बच्चे अधिक हैं। यह घुसपैठियों में बांटा जाएगा। क्या आपको यह मंजूर है?

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मनमोहन सिंह ने क्या कहा था, जानिए पूरी बात?
तारीख 9 दिसंबर, साल 2006। मौका था 11वीं पंचवर्षीय योजना और विकास पर चर्चा के लिए राष्ट्रीय विकास परिषद (NDC) की 52वीं बैठक का। पूर्व पीएम मनमोहन सिंह इस बैठक को संबोधित कर रहे थे। तब उन्होंने समाज के सभी पिछड़े, अल्पसंख्यकों के विकास में हिस्सेदारी सुनिश्चित करने के लिए उनके सशक्तिकरण की बात की थी। 

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डॉक्टर मनमोहन सिंह ने कहा था- ‘मेरा मानना है कि हमारी सामूहिक प्राथमिकताएं स्पष्ट हैं- कृषि, सिंचाई, जल संसाधन, स्वास्थ्य, शिक्षा, ग्रामीण बुनियादी ढांचे में महत्वपूर्ण निवेश, और सामान्य बुनियादी ढांचे के लिए आवश्यक सार्वजनिक निवेश की जरूरतें, साथ ही अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़े वर्गों के उत्थान के लिए कार्यक्रम, अल्पसंख्यक और महिलाएं और बच्चों के कार्यक्रम, अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के योजनाओं को पुर्नजीवित करने की जरूरत है। हमें नई योजना लाकर ये सुनिश्चित करना होगा कि अल्पसंख्यकों का और खासकर मुस्लिमों का भी उत्थान हो सके, विकास का फायदा मिल सके। इन सभी का संसाधनों पर पहला दावा है। केंद्र के पास बहुत सारी जिम्मेदारियां हैं और ओवर ऑल संसाधनों की उपलब्धता में सबकी जरूरतों का समावेश करना होगा।’

2006 में पीएम डॉक्टर मनमोहन सिंह के बयान पर पीएमओ की तरफ स्पष्टीकरण जारी किया गया था।

सच्चाई क्या है?
पूर्व पीएम डॉक्टर मनमोहन सिंह ने अपने बयान यह बिलकुल नहीं कहा था कि अल्पसंख्यकों, खासकर मुसलमानों का देश के संसाधनों पर पहला हक है। उन्होंने सभी वर्गों की बात की थी। डॉक्टर मनमोहन के इस बयान पर उस वक्त भी हंगामा भी हुआ था। अगले दिन 11 दिसंबर को पीएमओ ने स्पष्टीकरण जारी किया था, जो आज भी पीएमओ के आर्काइव में मौजूद है।