अंतरिक्ष सेक्टर के विकास के लिए विनियमन बेहद जरूरी, इसरो प्रमुख एस सोमनाथ का बड़ा बयान

नईदिल्ली : अंतरिक्ष सेक्टर के विकास के लिए बेवजह रोकटोक और नियंत्रण से निजात पाने की जरूरत है। यह कहना है भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के प्रमुख एस सोमनाथ का। उन्होंने शनिवार को भारत के पहले साउंड रॉकेट लॉन्च की 60वीं वर्षगांठ पर कहा, अंतरिक्ष सेक्टर के तेज विकास के लिए विनियमन बेहद जरूरी है। उन्होंने अंतरिक्ष सेक्टर में निजी कंपनियों की भागीदारी बढ़ाने और बाहरी निवेश की जरूरत की तरफ भी संकेत किया।

इसरो प्रमुख सोमनाथ ने कहा कि भारत में बनने वाले उपग्रह काफी अत्याधुनिक हो चुके हैं। केरल में देश के पहले साउंड रॉकेट प्रक्षेपण की 60वीं वर्षगांठ पर उन्होंने कहा कि देश ने अंतरिक्ष विज्ञान की दुनिया में उल्लेखनीय तरक्की की है। उन्होंने कहा कि प्राइवेट सेक्टर के सहयोग से भारत की उपग्रह निर्माण क्षमता काफी बेहतर हुई है।

अंतरिक्ष सेक्टर में 130 से अधिक स्टार्टअप, एक हजार करोड़ तक कारोबार
सोमनाथ ने कहा, भारत में उपग्रहों, प्रक्षेपण व्हीकल और संबंधित प्रौद्योगिकी के विकास और उत्पादन का जिम्मा केवल इसरो के पास था। उन्होंने कहा कि इसरो के साथ 17 हजार लोग जुड़े हैं और इसका बजट 13,000 करोड़ रुपये है। उन्होंने कहा कि कई वर्षों तक हालात ऐसे ही रहे। इसरो प्रमुख के अनुसार, भारत में 130 से अधिक स्टार्टअप अंतरिक्ष क्षेत्र में काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि कुछ कंपनियों में 400 से 500 कर्मचारी कार्यरत हैं। आर्थिक पहलू बताते हुए इसरो प्रमुख ने कहा कि इन कंपनियों में 500 से 1000 करोड़ रुपये तक का कारोबार होता है।

भारत में अंतरिक्ष सेक्टर के व्यवसायिक विस्तार की संभावना
उन्होंने कहा, कुछ कंपनियों में इसरो से भी बेहतर वेतन का ऑफर मिल रहा है। इनमें इसरो के सेवानिवृत्त वैज्ञानिकों को भी रखा जा रहा है। इसरो प्रमुख ने कहा कि उपग्रह निर्माण के दृष्टिकोण से भारत एक उत्कृष्ट केंद्र बन सकता है। अर्थव्यवस्था के नजरिए से सोमनाथ ने कहा, व्यवसायिक रूप से भी भारत में अंतरिक्ष सेक्टर का उल्लेखनीय विस्तार हो सकता है। उन्होंने कहा, प्रौद्योगिकी विकास और अंतरिक्ष विज्ञान में प्रगति जरूरी है, लेकिन व्यवसाय भी महत्वपूर्ण है। इस सेक्टर में निवेश भी लाना होगा।

भारत में ही उपग्रह निर्माण और लॉन्च की अपील
उन्होंने बताया, पांच भारतीय कंपनियां उपग्रह निर्माण करने की क्षमता से लैस हैं। इनमें से तीन कंपनियां विदेश से उपग्रहों का सफल निर्माण और प्रक्षेपण भी कर चुकी हैं। भारत में उपग्रहों को अंतरिक्ष में भेजने की क्षमता का जिक्र करते हुए इसरो प्रमुख सोमनाथ ने कहा, हम चाहते हैं कि वे हमारी सुविधाओं का इस्तेमाल करें। हम चाहते हैं कि उपग्रह भारत में बनाए जाएं, तकनीक जहां से चाहें वहां से ला सकते हैं, लेकिन निर्माण और लॉन्च भारत से किया जाए। प्राइवेट सेक्टर की भूमिका के बारे में इसरो प्रमुख ने ने स्पष्ट किया कि अंतरिक्ष विज्ञान में निजी क्षेत्र के विस्तार का मतलब इसरो की भूमिका में कमी नहीं है।

लगातार उन्नत हो रही है तकनीक, पेलोड क्षमता पर भी बोले इसरो प्रमुख
सोमनाथ ने कहा, हम अब अंतरिक्ष में लोगों को भेजने के बारे में बात कर रहे हैं। इसरो रणनीति बनाना और विकास के काम करना जारी रखेगा। इसरो का दायरा बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि जीएसएलवी रॉकेट को नियमित रूप से अपग्रेड किया जा रहा है। पहले इसे 4 टन पेलोड ले जाने के लिए डिजाइन किया गया था, लेकिन हम पहले ही 7.5 टन का पेलोड सफलतापूर्वक लॉन्च कर चुके हैं। इसके क्रायोजेनिक चरण को भी अपग्रेड किया जा रहा है। सोमनाथ के मुताबिक पीएसएलवी को भी उन्नत किया जा रहा है। इसकी शुरुआती पेलोड क्षमता 850 किलोग्राम थी। अब बढ़ाकर दो टन किया जा रहा है।