छत्तीसगढ़: दूसरे चरण में दांव पर प्रत्याशियों की किस्मत, जानिए 70 सीटों का समीकरण, कौन मारेगा बाजी

रायपुर।  छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव के तहत 7 नवंबर को पहले चरण की 20 सीटों पर चुनाव हो चुके हैं। अब आज 17 नवंबर को शेष 70 सीटों पर दूसरे चरण चुनाव हो रहे हैं। एक सीट को छोड़कर बाकी सभी 69 सीटों पर सुबह 8 से 5 बजे तक मतदान होंगे। वहीं गरियाबंद जिले की बिंद्रानवागढ़ सीट के 9 मतदान केंद्रों में सुबह 7 से दोपहर 3 बजे तक चुनाव होंगे। शेष मतदान केंद्रों में 69 सीटों की तरह की चुनाव कराए जाएंगे। छत्तीसगढ़ में कुल 90 विधानसभा सीटें हैं। यहां पढ़िए सभी 70 विधानसभा सीटों का राजनीतिक विश्लेषण…

अंबिकापुर विधानसभा: दांव पर लगी बाबा की प्रतिष्ठा 
अंबिकापुर विधानसभा सीट से कांग्रेस के दिग्गज नेता और वर्तमान डिप्टी सीएम टीएस सिंहदेव (त्रिभुनेश्वर शरण सिंहदेव) चुनाव लड़ रहे हैं। सरगुजा संभाग में कांग्रेस की हार-जीत में राजघराने की महत्वपूर्ण भूमिका रहती है। यहां से उनके सामने बीजेपी प्रत्याशी राजेश अग्रवाल चुनाव मैदान में हैं। यहां पर कांटे की टक्कर देखी जा रही है। दोनों प्रत्याशियों के बीच कड़ा मुकाबला है। सिंहदेव के सामने लगातार चौथी बार विधायक बनने की चुनौती है। सरगुजा संभाग में उनकी प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई है। वहीं राजेश अग्रवाल की अग्निपरीक्षा है। वो खुद को बेहतर प्रत्याशी साबित करने में लगे हुए हैं। उन्हें पार्टी और ग्रामीणों मतदाताओं पर पूरा भरोसा है।  

‘चिंतामणि ने बढ़ाई बाबा की चिंता’ 
बात टीएस सिंहदेव की करें तो तो लोग उन्हें प्यार से बाबा कहकर पुकारते हैं। इस बार इस सीट पर बाबा की प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई है, क्योंकि सामरी से कांग्रेस विधायक चिंतामणि महाराज ने उन्हें ‘चिंता’ में डाल दिया है। पहले से ही अंबिकापुर में राजेश अग्रवाल के साथ बाबा का कड़ा मुकाबला देखा जा रहा था, तो दूसरी ओर हाल ही में टिकट नहीं मिलने पर सामरी से कांग्रेस  विधायक चिंतामिण महाराज बागी होकर बीजेपी प्रदेश प्रभारी ओम माथुर के सामने बीजेपी का दामन थाम लिया था। उनके जाने से कांग्रेस को सरगुजा संभाग में बड़ा झटका लगा है। 

लोरमी विधानसभा: अरुण साव जीते तो बन सकते हैं सीएम का फेस 
लोरमी विधानसभा सीट पर भाजपा प्रत्याशी अरुण साव के सामने कांग्रेस प्रत्याशी थानेश्वर साहू हैं। वर्तमान में अरुण साव बिलासपुर सांसद और बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष हैं। इस वजह से ये सीट हाई प्रोफाइल हो चुकी है। पूरे प्रदेश की निगाहें इस सीट पर टिकी हुई है। क्योंकि सियासी गलियारे में इस बात की चर्चा है कि बीजेपी में ओबीसी वर्ग से अरुण साव सीएम पद के प्रबल दावेदार हो सकते हैं। जिस प्रकार से प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी संभालने के बाद उनकी प्रतिष्ठा में वृद्धि हुई है। पूर्व सीएम रमन सिंह के बाद बीजेपी के सभी पोस्टर्स-बैनर में उनकी तस्वीरें प्रमुखता से दिख रही हैं। पीएम नरेंद्र मोदी की रायगढ़ जिले के कोड़ातराई समेत कई सभाओं में वो पीएम के साथ रथ पर सवार दिखे, जबकि रमन सिंह मंच पर ही चुपचाप बैठे नजर आए। इसलिए लोरमी से साव की प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई है। वहीं थानेश्वर साहू सामाजिक वोटों के सहारे अपनी नैया पार करने की जुगत में लगे हुए हैं, जबकि सागर सिंह बैस के सामने अपने आप को साबित करने की चुनौती है।  

जांजगीर-चांपा विधानसभा: चंदेल को सीट बचाए रखने की चुनौती 
छत्तीसगढ़ के बीचो-बीच स्थित जांजगीर-चांपा को प्रदेश का हृदय स्थल कहा जाता है। कोसा, कांसा और कंचन की नगरी जांजगीर चांपा विधानसभा सीट पर चुनावी समीकरण दिलचस्प देखने को मिलते हैं। जांजगीर चांपा जिले में तीन विधानसभा सीट अकलतरा,जांजगीर चांपा,पामगढ़ है। पामगढ़ विधानसभा सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है। बाकी दोनों सीट सामान्य के लिए हैं। विधानसभा चुनाव 2023 में इस बार जांजगीर चांपा हाई प्रोफाइल वीआईपी सीट बन चुकी है। क्योंकि यहां से छत्तीसगढ़ विधानसभा नेता प्रतिपक्ष और बीजेपी प्रत्याशी नारायण चंदेल चुनावी रण में है। उनके सामने कांग्रेस प्रत्याशी व्यास कश्यप चुनाव मैदान में ताल ठोक रहे हैं। व्यास कश्यप लंबे समय तक बीजेपी में रह चुके हैं। इसके बाद साल 2018 में बसपा के टिकट पर चुनाव  लड़ा। अब इस बार कांग्रेस ने उन पर भरोसा जताया है। वर्तमान में नेता प्रतिपक्ष नारायण चंदेल यहां से विधायक हैं। उनके बेटे पलाश चंदेल के खिलाफ एक आदिवासी शिक्षिका ने दुष्कर्म और गर्भपात का केस दर्ज कराया था। हालांकि सितंबर 2023 में हाईकोर्ट ने इस एफआईआर को रद्द कर चुका है। इस केस की वजह से विधायक नारायण चंदेल और उनके बेटे के छवि पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा है। जांजगीर-चांपा सीट सीट कांग्रेस का गढ़ मानी जाती है।  

एक उप चुनाव समेत अब तक 16 बार चुनाव हो चुके हैं। जिनमें 11 बार कांग्रेस जीती है, जिनमें एक उपचुनाव सहित पहले तीन चुनाव में रामकृष्ण राठौर और बिसाहूदास महंत, उनके बेटे चरणदास महंत और बीजेपी के नारायण चंदेल ने तीन बार विधायक रह चुके हैं। चंदेल अविभाजित मध्यप्रदेश में 1998 में पहली बार विधायक बने थे। इसके बाद छत्तीसगढ़ राज्य गठन के बाद वर्ष 2008 में दूसरी बार अपने प्रतिद्वंदी कांग्रेस के विधानसभा प्रत्याशी मोतीलाल देवांगन को 1190 मतों से हराकर विधायक चुने गए और उन्हें विधानसभा उपाध्यक्ष की जिम्मेदारी दी गई थी। वर्ष 2018 में वे तीसरी बार यहां के विधायक बने हैं और नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं। चंदेल के सामने फिर से इस सीट को बचाए रखने की चुनौती है तो कांग्रेस जीत के लिए पूरी ताकत झौंक दी है।  

रायगढ़ विधानसभा: ‘ओपी चौधरी चुनाव जीते तो बन जाएंगे बड़े आदमी’ 
इस बार रायगढ़ सीट पर सबकी निगाह टिकी है। पूर्व आईएएस ओपी चौधरी रायगढ़ से चुनाव लड़ रहे हैं। इस बार बीजेपी ने उनकी सीट बदल दी है। इस बार पार्टी उन्हें खरसिया की जगह रायगढ़ से चुनाव लड़ा रही है। ऐसे में ओपी चौधरी के सामने एक बार फिर रायगढ़ से चुनाव जीतने की चुनौती है। एक बार फिर उन्हें अपने आप को साबित करने की चुनौती है। इस बार वो यदि रायगढ़ सीट जीतते हैं तो निश्चिततौर पर भाजपा में उनका कद बढ़ना तय है। क्योंकि अमित शाह रागगढ़ में चुनाव प्रचार के दौरान जनता से कहा था कि आप चौधरी को चुनाव जीता दें। इन्हें बड़ा आदमी मैं बना दूंगा। बड़ा आदमी बनाना मेरा काम है। रायगढ़ सीट पर नजर दौड़ाएं तो इस बार चौधरी के सामने कांग्रेस के प्रकाश नायक सामने हैं, जो वर्तमान विधायक हैं। ऐसे में नायक के सामने दोबारा विधायकी की सीट पर कब्जा करने का लक्ष्य है। अब देखना होगा कि वो इस अपने इस टारगेट में कितने कामयाब हो पाते हैं। 

ओपी चौधरी साल 2018 के विधानसभा चुनाव में रायगढ़ जिले की खरसिया सीट से चुनाव लड़े थे। उस समय उनके सामने कांग्रेस के दिवंगत नेता नंदकुमार पटेल के बेटे उमेश पटले सामने थे। इस चुनाव में उमेश पटेल ने ओपी चौधरी को शिकस्त दी थी। उमेश पटेल ने ओपी चौधरी को 16,967 मतों से हराया था। उमेश पटेल को 94,201 वोट मिले थे, वहीं ओपी चौधरी को 77,234 वोटों से संतुष्ट होना पड़ा था। दूसरी ओर रायगढ़ का विधानसभा इस बार त्रिकोषणीय देखने को मिल रहा है। भाजपा के ओपी चौधरी और कांग्रेस के प्रकाश नायक को चुनौती देने के लिए जेसीसीजे प्रत्याशी और पूर्व महापौर मधु किन्नर चुनावी मैदान में हैं। भाजपा और कांग्रेस की सूची जारी होने के बाद अब जेसीसीजे ने रायगढ़ सीट से अपने प्रत्याशी के नाम का ऐलान किया है। मधु किन्रर जेसीसीजे का शपथ पत्र लेकर जनता के बीच जा रही हैं और अपने महापौर कार्यकाल की उपलब्धियां गिना रही हैं। मधु इस बार एक कदम गरीबी खतम की शपथ के साथ जनता से वोट मांग रही हैं।  

पाटन विधानसभा: चाचा भतीजा की रोचक लड़ाई, जोगी बिगाड़ सकते हैं खेल 
इस बार छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले की पाटन वीआईपी हाई प्रोफाइल सीट पर चुनावी लड़ाई काफी रोचक दिख रही है। इस सीट पर बीजेपी और कांग्रेसके बीच कांटे की टक्कर देखी जा रही है। कांग्रेस से जहां सीएम भूपेश बघेल खुद चुनावी ताल ठोक रहे हैं, तो वहीं बीजेपी से सीएम भूपेश के भतीजे विजय बघेल चुनावी रण में हैं। पाटन से चाचा-भतीजा (सीएम भूपेश बघेल और दुर्ग सांसद विजय बघेल) के चुनावी मुकाबले के बीच जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ जोगाी (जेसीसीजे) के प्रदेश अध्यक्ष अमित जोगी भी पाटन से चुनाव लड़ रहे हैं। ऐसे में उनके आने से चुनाव त्रिकोणीय हो चुका है। भूपेश बघेल को जहां तीसरी बार लगातार जीत हासिल करने की चुनौती है तो वहीं सांसद विजय बघेल की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है। वो 2013 में मिली हार का बदला 2023 में लेना चाहते हैं। यदि वे चुनाव जीत गए तो पार्टी में उनका कद और बढ़ जाएगी। दूसरी ओर अमित जोगी बीजेपी को फायदा और कांग्रेस को नुकसान पहुंचाने में लगे हैं। इन सबके बीच तीन दिसंबर को मालूम चल जाएगा कि कौन पाटन का सरताज होगा।  

कोटा विधानसभा: कोटा में पहली बार जूदेव खिलाएंगे कमल या बरकरार रहेगा रेणु जोगी का जादू? 
बिलासपुर जिले की कोटा विधानसभा सीट छत्तीसगढ़ के सियासी इतिहास में महत्वपूर्ण स्थान रखती है। हर बार की तरह इस बार भी यह सीट वीआईपी हाई प्रोफाइल बनी हुई है। साल 2023 के चुनाव में कोटा से भाजपा प्रत्याशी प्रबल प्रताप सिंह जूदेव के सामने कांग्रेस प्रत्याशी अटल श्रीवास्तव हैं। यही से वर्तमान विधायक और जेसीसीजे के संस्थापक अजीत जोगी की पत्नी रेणु जोगी भी चुनाव मैदान में हैं। रेणु जोगी तीन बार से विधायक हैं। प्रबल प्रताप सिंह जूदेव बीजेपी के दिग्गज नेता रहे दिलीप सिंह जुदेव के बेटे हैं। इस वजह से कोटा में इस बार चुनावी घमासान है। यहां पर त्रिकोणीय मुकाबला है। कोटा सीट कांग्रेस का गढ़ मानी जाती है। बीजेपी यहां से कमल खिलाने के लिए जद्दोजहद कर रही है। प्रबल प्रताप सिंह के सामने कोटा से कमल खिलाने की चुनौती है, तो रेणु जोगी के सामने चौथी बार इस सीट को बचाए रखने की जद्दोजहद है। वहीं अटल श्रीवास्तव की प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई है।  

रायपुर दक्षिण विधानसभा: रायपुर दक्षिण में गुरु-शिष्य के बीच कांटे की टक्कर, दांव पर लगी महंत की प्रतिष्ठा 
हर बार की तरह ही इस बार भी रायपुर जिले की रायपुर दक्षिण विधानसभा सीट हाई प्रोफाइल है। कांग्रेस ने रायपुर जिले की हाई प्रोफाइल वीआईपी सीट रायपुर दक्षिण से पिछली बार चुनाव लड़ चुके कन्हैया अग्रवाल का टिकट काटकर सीएम के करीबी और प्राचीन दूधाधारी मठ के महंत रामसुंदर दास को टिकट दिया है। ऐसे में यहां पर चुनावी लड़ाई काफी रोचक हो गई है। अब इस सीट पर पूरे प्रदेश की नजर टिकी हुई है। क्योंकि बीजेपी प्रत्याशी और पूर्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल महंत को अपना गुरु मानते हैं। ऐसे में गुरु और शिष्य के बीच कांटे की टक्कर देखने को मिल रही है। बृजमोहन अग्रवाल इस सीट से साल 1990 से लगातार 7 बार से विधायक हैं और 8वीं बार चुनाव मैदान में हैं। उनके सामने 8वीं बार जीत के चक्र को बनाए रखने की चुनौती है तो महंत की प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई है। समर्थकों का मानना है कि इस बार मुकाबला काफी करीबी होगा। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के करीबी महंत रामसुंदर दास वर्तमान में गोसेवा आयोग के अध्यक्ष हैं।  

रायपुर पश्चिम 
भाजपा के पूर्व मंत्री रहे राजेश मूणत और कांग्रेस से वर्तमान विधायक विकास उपाध्याय आमने-सामने हैं। पिछले 2018 के चुनाव में मूणत की लगातार तीन जीत का क्रम तोड़ते हुए विकास ने सफलता हासिल की थी। संसदीय सचिव विकास क्षेत्र में सक्रियता के चलते लोकप्रिय हैं। विकास के सामने दूसरी बार इस सीट को बचाए रखने की चुनौती है तो मूणत अपनी हार का बदला लेने के लिए चौथी बार चुनाव मैदान में हैं। दोनों के बीच कांटे की टक्कर देखी जा रही है।  

रायपुर उत्तर : सिंधी समाज की नाराजगी में उलझी कांग्रेस 
कांग्रेस ने लगातार तीसरी बार कुलदीप जुनेजा को टिकट देकर सिंधी समाज की नाराजगी मोल ले ली है। नाराज अजीत कुकरेजा बागी होकर मैदान में हैं। वहीं, भाजपा ने छत्तीसगढ़ सर्व उड़िया समाज के प्रदेश अध्यक्ष पुरंदर मिश्रा पर दांव खेलकर जुनेजा को घेरने की कोशिश की है। समाजसेवी की छवि वाले पुरंदर के उड़िया समाज के मतदाताओं की अच्छी-खासी संख्या है।  

रायपुर ग्रामीण- विधायक पिता की जगह बेटे को मौका 
कांग्रेस ने सात बार के विधायक 80 वर्षीय सत्यनारायण शर्मा की जगह बेटे पंकज शर्मा को यहां से उतारा है। साल 1985 में पहली बार चुने गए सत्यनारायण इस सीट से सिर्फ एक बार 2008 में हारे थे। उनके बेटे पंकज भी दो दशक से अधिक समय से संगठन से जुड़े हैं। भाजपा ने पूर्व प्रदेश उपाध्यक्ष मोतीलाल साहू को उतारकर मुकाबले को रोचक बना दिया है। यहां ओबीसी मतदाता निर्णायक भूमिका में हैं।  

धरसींवा 
कांग्रेस ने विधायक अनीता योगेंद्र शर्मा का टिकट काटकर पूर्व राज्यसभा सदस्य छाया वर्मा को उतारा है। उनके मुकाबले में भाजपा ने छत्तीसगढ़ी फिल्मों के सितारे पद्मश्री अनुज शर्मा की लोकप्रियता को भुनाने की कोशिश की है। 

आरंग : भाजपा की घेरेबंदी में फंसे मंत्री शिव कुमार डहरिया 
इस बार मंत्री शिवकुमार डहरिया की राह आसान नहीं है, क्योंकि भाजपा ने उनके खिलाफ सतनामी समाज के धर्मगुरु बालदास के पुत्र गुरु खुशवंत सिंह को मैदान में उतारा है। गुरु बालदास पहले कांग्रेस में थे। वह इसी साल भाजपा के पाले में आए और बेटे को टिकट दिलाने में भी सफल रहे। क्षेत्र में सतनामी मतदाताओं का अच्छा प्रभाव है। 

बिलासपुर विधानसभा 
बात बिलासपुर विधानसभा क्षेत्र की करें तो यहां नवोदित कांग्रेसी विधायक शैलेष पांडेय का राजनीतिक आभा तेजी से बढ़ा है। बिलासपुर विधानसभा क्षेत्र बीजेपी के दिग्गज नेता अमर अग्रवाल का एकाधिकार वाला क्षेत्र माना जाता था। इस मिथक को पिछले विधानसभा चुनाव में पांडेय ने बखूबी तोड़ दिया। जानकारों का मानना है कि बिलासपुर विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस को भेद पाना बीजेपी के लिये अब आसान नहीं होगा। बिलासपुर से लगा हुआ बिल्हा विधानसभा क्षेत्र की बात करें तो यह विधानसभा अबतक हर बार विधायक बदलने के ट्रेंड को अपनाता है। अगर यही ट्रेंड रहा तो ऐसा लगता है कि बिल्हा में अगला विधायक भी कांग्रेस का हो। फिलहाल, बिल्हा में सीटिंग एमएलए भाजपा के दिग्गज नेता धरमलाल कौशिक के खिलाफ ऐसा कुछ देखने को नहीं मिल रहा है। यह बीजेपी के लिए राहत वाली बात है।  

बेलतरा विधानसभा 
बेलतरा के बीजेपी विधायक रजनीश सिंह का रिपोर्ट कार्ड ठीक ठाक बताया जा रहा है। जानकारों की मानें तो बेलतरा में बीजेपी को फायदा त्रिकोणीय मुकाबला होने के कारण मिला था । यहां जेसीसीजे की उपस्थिति ने कांग्रेस को नुकसान पहुंचाया था, लेकिन इस बार जब जेसीसीजे एक राजनीतिक ताकत के रूप में बहुत कमजोर नजर आ रही है, तो बेलतरा में बीजेपी-कांग्रेस के बीच बराबर के मुकाबले की संभावना दिख रही है।  

लुंड्रा विधानसभा 
बात लुंड्रा विधानसभा की करें तो वर्ष 2008 से लगातार ये सीट कांग्रेस की झोली में रही है। यहां वर्ष 2008 में कांग्रेस के उम्मीदवार रामदेव राम में भाजपा प्रत्याशी को हराकर पहली बार विधानसभा पहुंचे थे। इसके बाद वर्ष 2013 में चिंतामणि महाराज को भाजपा शासन काल में संस्कृत बोर्ड के अध्यक्ष रहे को तोड़कर कांग्रेस में लाकर पहली बार चुनाव लड़ाकर विधानसभा भेजा था। वर्ष 2018 में इस सीट से कांग्रेस के पूर्व विधायक रामदेव राम के छोटे भाई एवं पेशे से चिकित्सक डॉ प्रीतम राम का क्षेत्र में अच्छी पकड़ का कार्ड खेला था। जिसमें डॉ प्रीतम राम ने भाजपा के पूर्व विधायक विजयनाथ को कड़ी टक्कर देते हुए हराया था। इस बार भाजपा ने अंबिकापुर में लगातार दो बार महापौर रहे प्रबोध मिंज के ऊपर भरोसा जताते हुए टिकट दिया है। मिंज का उरांव जनजाति में अच्छी पकड़ है। बताया जाता है कि यह दो बार लगातार अच्छी राजनीति एवं उरांव वोट बैंक के बदौलत महापौर तक का सफर तय किए हैं। बरहाल देखना होगा कि इस बार मिंज भाजपा के लिए हुकुम का इक्का साबित होते हैं या नहीं।  

सामरी विधानसभा : पूर्व विधायक की पत्नी आजमा रहीं किस्मत 
सामरी विधानसभा की बात करें तो यहां वर्तमान में चिंतामणि महाराज कांग्रेस से विधायक है। वो पहली बार वर्ष 2013 में लुंड्रा विधानसभा से चुनाव लड़कर विधानसभा पहुंचे थे। इनका आदिवासी समाज में संत गहिरा गुरु के पुत्र होने की वजह से कंवर समाज में अच्छी पकड़ है। आदिवासी बहुल क्षेत्र में इनकी एक अलग पहचान है। इस बार इस सीट से भाजपा ने पूर्व विधायक और संसदीय सचिव सिद्धनाथ पैकरा की पत्नी उदेश्वरी पैकरा को अपना प्रत्याशी बनाया है। भाजपा पूर्व विधायक की पत्नी होने के नाते इस सीट पर अपनी दांव आजमा रही है। बरहाल देखना होगा कि भाजपा कितनी सफल होती है।  

रामानुजगंज विधानसभा  
बात रामानुजगंज विधानसभा की करें तो वर्ष 2008 परिसीमन के बाद पाल क्षेत्र का बड़ा हिस्सा टूटकर रामानुजगंज विधानसभा के रूप में अस्तित्व में आया। पाल विधानसभा क्षेत्र से लगातार जीत का सेहरा हासिल कर भाजपा के कद्दावर नेता और बड़ा आदिवासी चेहरा रामविचार नेताम अपने प्रतिद्वंदी कांग्रेस के प्रत्याशी को मात देकर विधानसभा पहुंचे थे। वो लगातार वर्ष 1990 से आविभाजित मध्य प्रदेश से लेकर छत्तीसगढ़ गठन के बाद वर्ष 2008 तक जीतते रहे हैं। इन्होंने कभी हार का चेहरा नहीं देखा था, लेकिन वर्ष 2012 में जिला विभाजन के बाद सरगुजा से अलग कर दो जिले बलरामपुर और सूरजपुर बना। जिसमें क्षेत्रवासियों की मांग के अनुरूप जिला रामानुजगंज को जिला नहीं बनाए जाने को लेकर क्षेत्र की जनता ने इन्हें हार का स्वाद चखा दिया। पहली बार कांग्रेस प्रत्याशी बृहस्पति सिंह रामविचार को मात देकर विधानसभा पहुंचे। साल 2018 में लगातार दूसरी बार बृहस्पति सिंह चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे। इस बार भाजपा ने रामविचार नेताम पर पुन: विश्वास जताते हुए अपना प्रत्याशी घोषित किया है। दूसरी और कांग्रेस ने वर्तमान विधायक बृहस्तप सिंह का टिकट काटकर अजय तिर्की को प्रत्याशी बनाया है। इस सीट पर कांटे की टक्कर देखने को मिल सकती है। 

प्रतापपुर विधानसभा सीट  
यहां कांग्रेस के पूर्व कैबिनेट मंत्री डॉ. प्रेमसाय सिंह टेकाम मौजूदा विधायक हैं। ये वर्ष 1980 से 2018 तक बतौर कांग्रेस के प्रत्याशी रह चुके हैं। वर्ष 2013 में भाजपा शासन काल में गृहमंत्री रहे रामसेवक पैकरा को सर्वाधिक 6 बार हराकर अपने नाम जीत हासिल की है। वही भाजपा के रामसेवक पैकरा को इनके खिलाफ केवल दो बार ही जीत मिली है। जिसको लेकर इस बार भाजपा ने प्रत्याशी बदलते हुए शकुंतला पोर्ते के ऊपर विश्वास जताते हुए भाजपा का उम्मीदवार बनाया है। पोर्ते वर्तमान में वाड्रफनगर के समीप स्थित आसनडीह गांव की सरपंच एवं बलरामपुर जिला महिला मोर्चा के अध्यक्ष का दायित्व संभाल रही हैं। जानकारों की मानें तो घाट पंडरी के निचले हिस्से से वाड्रफनगर से पिछले कई बार से लगातार कांग्रेस बढ़त हासिल करती रही हैं। वहीं भाजपा घाट पंडरी से ऊपर प्रतापपुर की मैदानी इलाके में बढ़त में रहती है। इस बार भाजपा ने बड़ा दांव खेलकर कांग्रेस के वोट बैंक को भेदने के लिए वाड्रफनगर क्षेत्र से प्रत्याशी घोषित कर कांग्रेस का चुनावी समीकरण बिगड़ने का प्रयास किया है। वहीं कांग्रेस ने राजकुमारी मरावी को प्रत्याशी बनाया है।  
 
भटगांव विधानसभा  
भटगांव विधानसभा की बात करें तो यहां वर्तमान में कांग्रेस के प्रत्याशी पारसनाथ राजवाड़े लगातार वर्ष 2013 से दो बार के विधायक रहे हैं। इन्होंने वर्ष 2013 में भाजपा की पूर्व विधायक रजनी रविशंकर त्रिपाठी को हराकर पहली बार विधानसभा का रूख किया था। इसके बाद लगातार क्षेत्र में सक्रिय होकर कई बड़ी योजनाओं को सुदृढ़ इलाकों में पहुंचाकर जनता को राहत दी है। जातिगत समीकरण की बात करें तो इस विधानसभा में राजवाड़े समुदाय लगातार दो बार चुनावी समीकरण को बिगड़ने में सफल रही है। जिसको लेकर जाति समीकरण के आधार पर ये लगातार अपने प्रतिद्वंदियों को मात दे रहे हैं। इस बार भाजपा ने भी कि उनकी चुनावी समीकरण को बिगाड़ने के लिए राजवाड़े कार्ड खेलकर लक्ष्मी राजवाड़े को अपना प्रत्याशी घोषित किया है। लक्ष्मी राजवाड़े वर्तमान में महिला मोर्चा सूरजपुर की जिला अध्यक्ष और जिला पंचायत सदस्य हैं। वहीं भाजपा ने इस क्षेत्र से प्रतिनिधित्व कर रहे लक्ष्मी राजवाड़े पर भरोसा जता रही है। बरहाल देखना होगा कि जाति समीकरण का यह कार्ड भाजपा को कितना लाभ पहुंचाता है।  

 प्रेमनगर विधानसभा  
बात प्रेमनगर विधानसभा की हो तो यहां से कांग्रेस से वरिष्ठ कांग्रेसी नेता एवं आदिवासी विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष खेलसाय सिंह वर्तमान में विधायक हैं। अनारक्षित सीट होने के बावजूद इस विधानसभा में परिसीमन के बाद कोई भी सामान्य जाति का व्यक्ति चुनाव नहीं जीत सका है। जिसके कारण भाजपा एवं कांग्रेस अनुसूचित जनजाति के ऊपर दांव खेलती रही है। वर्ष 2008 में भाजपा ने रेणुका सिंह को अपना प्रत्याशी घोषित कर चुनावी मैदान में उतारा था, जिस पर रेणुका सिंह ने पार्टी के भरोसे को कायम रख अपने विरोधी को हराया था। इसके बाद वर्ष 2013 में कांग्रेस के वरिष्ठ आदिवासी नेता खेलसाय सिंह के ऊपर बड़ा दांव खेलकर इस सीट से भाजपा को बाहर का रास्ता दिखाया था। इसके बाद से लगातार दो बार वो विधायक निर्वाचित हुए। इस बार भाजपा ने पूर्व जिला पंचायत सदस्य एवं भाजपा के कद्दावर आदिवासी नेता भूलन सिंह मरावी को अपना उम्मीदवार बनाया है। बताया जा रहा है कि मरावी का आदिवासियों में पकड़ है। ये पूर्व में तीन पंचवर्षीय सरपंच, एक पंचवर्षीय जनपद पंचायत सदस्य और एक पंचवर्षीय जिला पंचायत सदस्य का दायित्व का निर्वहन कर चुके हैं। इस अनुभव को वो लाभ उठा सकते हैं। भाजपा 85 सीटों पर अपने पत्ते खोल चुकी है। कांग्रेस ने खेलसाय सिंह पर भरोसा जताया है।  

धमतरी विधानसभा 
धमतरी विधानसभा में 2018 के चुनाव में विजय हासिल करने वाली रंजना साहू को पुनः भरोसा जताते हुए टिकट दिया गया है। रंजना दीपेन्द्र साहू ने अपने राजनीतिक पारी की शुरुआत जनपद सदस्य के रूप में की थी। जनपद सदस्य रहते हुए धमतरी जनपद पंचायत की अध्यक्ष बनीं। अध्यक्ष रहते हुए भारतीय जनता पार्टी ने उनकी कार्यशैली को देखते हुए 2018 के चुनाव में उन्हें धमतरी विधानसभा से प्रत्याशी घोषित किया गया था। विधानसभा चुनाव में त्रिकोणीय मुकाबले में उन्होंने 63,198 वोट मिले थे। निकटतम प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस प्रत्याशी गुरमुख सिंह को 62,734 वोट मिले थे। जिसपर भाजपा की रंजना साहू ने 464 वोट से विजय रही थी। अब देखना होगा कि भाजपा की धमतरी विधानसभा से रंजना साहू की इस बार 2023 के चुनाव में क्या रणनीति रहती है। वहीं 2008 से ले कर 2018 तक का धमतरी विधानसभा का आंकड़ा- 2008 विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की ओर से गुरमुख सिंह होरा ने 27,007 वोटों से जीत दर्ज की थी। कांग्रेस को 76,746 वोट मिले थे तो वही भाजपा के विपिन साहू को 49,739 वोट मिले थे। इसी प्रकार 2013 के चुनाव में कांग्रेस से गुरुमुख सिंह होरा को ही टिकट दी गई थी और उन्होंने 10,500 वोट से जीत भी हासिल की। कांग्रेस को 70,960 वोट मिले वही भाजपा के इंदर चोपड़ा को 60460 वोट मिले। इस बार कांग्रेस ने ओंकार साहू को प्रत्याशी बनाकर उन पर भरोसा जताया है।  

कुरूद विधानसभा 
कुरूद विधानसभा से भी भाजपा ने 2018 चुनाव में विजय रहे भाजपा पूर्व मंत्री और भाजपा प्रदेश प्रवक्ता अजय चंद्राकर को टिकट दिया है। कुरूद से अजय चंद्राकर ने चार बार कुरूद विधायक के रूप में जीत दर्ज करते आ रहे हैं। वह 1998, 2003, 2013 और 2018 कुरूद विधानसभा से भाजपा के प्रत्याशी बने और जीत हासिल की है। 2008 में उन्हें कांग्रेस से खड़े हुए लेखराम साहू से हार का सामना करना पड़ा था। अजय चंद्राकर छत्तीसगढ़ के मंत्री पद पर भी रहे है। छतीसगढ़ राज्य वित्त आयोग के अध्यक्ष, पंचायत, स्वास्थ्य, संसदीय कार्य मंत्री, स्कूल शिक्षा,तकनीकी व उच्च शिक्षा संस्कृति व पर्यटन मंत्री, गृह जेल मंत्री रहे हैं। इस बार कांग्रेस ने तारिणी चंद्राकर को प्रत्याशी बनाया है।  

सिहावा विधानसभा 
सिहावा विधानसभा एक आदिवासी बाहुल्य इलाका है जिसके चलते यह विधानसभा सीट आदिवासी आरक्षित है। सिहावा विधानसभा की तासीर यह है कि यहां एक बार जीत हासिल करने के बाद वहां की जनता दोबारा उनके ऊपर भरोसा नहीं जताती है। भाजपा द्वारा 2023 के सिहावा विधानसभा चुनाव के प्रत्याशी के रूप में श्रवण मरकाम को उतारा है वह 2013 में सिहावा विधानसभा क्षेत्र के विधायक रह चुके हैं जिन्होंने कांग्रेस की अंबिका मरकाम को 7487 वोट से हराया था। इसके बाद 2018 चुनाव में भाजपा के द्वारा उन्हें टिकट नहीं दिया गया था। 2008 से 2018 के चुनाव भी आंकड़े की बात करें तो 2008 में सिहावा विधानसभा से कांग्रेस की अंबिका मरकाम को टिकट दिया गया था जिन्होंने 14896 वोटो से जीत दर्ज की थी उन्हें 56000 48 वोट मिले थे। वहीं भाजपा की पिंकी शिवराज शाह ने 41152 वोट मिले थे वहीं 2013 में बीजेपी के श्रवण मरकाम ने 7487 वोट से जीत दर्ज की थी जिसमें उन्होंने 53894 वोट मिले थे। वहीं कांग्रेस से प्रत्याशी अंबिका मरकाम 464007 वोट मिले थे, 2018 में कांग्रेस की प्रत्याशी डॉक्टर लक्ष्मी ध्रुव ने बड़ी जीत हासिल दर्ज की थी जिसे उन्होंने 45436 वोट के अंतराल से भाजपा की प्रत्याशी पिंकी शिवराज शाह को हराया था जिसमें डॉक्टर लक्ष्मी ध्रुव ने 88451 वोट अर्जित किए थे जिसमें भाजपा की प्रत्याशी पिंकी शिवराज शाह ने 43015 वोट मिले थे। 

दूसरे चरण में 17 नवंबर को बीजेपी-कांग्रेस के ये प्रत्याशी हैं आमने-सामने- 

  1. अंबिकापुर से बीजेपी प्रत्याशी राजेश अग्रवाल के सामने कांग्रेस प्रत्याशी त्रिभुनेश्वर शरण सिंहदेव (टीएस सिंहदेव)
  2. सीतापुर से बीजेपी प्रत्याशी रामकुमार टोप्पो के सामने कांग्रेस प्रत्याशी अमरजीत भगत 
  3. लुंड्रा से भाजपा प्रत्याशी प्रमोद मिंज के सामने कांग्रेस प्रत्याशी प्रीतम राम 
  4. जशपुर से भाजपा प्रत्याशी रायमुनि भगत के सामने कांग्रेस प्रत्याशी विनय कुमार भगत
  5. कुनकुरी से विष्णुदेव साय के सामने कांग्रेस प्रत्याशी यूडी मिंज
  6. पत्थलगांव से भाजपा प्रत्याशी गोमती साय के सामने कांग्रेस प्रत्याशी रामपुकार सिंह 
  7.  प्रेमनगर से भाजपा प्रत्याशी भूलन सी मरावी के सामने कांग्रेस प्रत्याशी खेलसाय सिंह
  8. भटगांव से भाजपा प्रत्याशी लक्ष्मी राजवाड़े के सामने कांग्रेस प्रत्याशी पारसनाथ राजवाड़े
  9. प्रतापपुर से भाजपा प्रत्याशी शकुंतला के सामने कांग्रेस प्रत्याशी राजकुमारी मरावी
  10. रामानुजगंज से भाजपा प्रत्याशी राम विचार नेताम के सामने कांग्रेस प्रत्याशी अजय तिर्की
  11. सामरी भाजपा प्रत्याशी उधेश्वरी पैकरा के सामने कांग्रेस प्रत्याशी विजय पैकरा
  12. बैकुंठपुर से भाजपा प्रत्याशी भैयालाल राजवाड़े के सामने कांग्रेस प्रत्याशीअंबिका सिंहदेव
  13. मनेंद्रगढ़ से भाजपा प्रत्याशी श्याम बिहारी जायसवाल के सामने कांग्रेस प्रत्याशी रमेश सिंह
  14. भरतपुर-सोनहत से भाजपा प्रत्याशी रेणुका सिंह के सामने कांग्रेस प्रत्याशी गुलाब सिंह कमरो
  15. बिलासपुर से भाजपा प्रत्याशी अमर अग्रवाल के सामने कांग्रेस प्रत्याशी शैलेश पांडे 
  16. कोटा से भाजपा प्रत्याशी प्रबल प्रताप सिंह जूदेव के सामने कांग्रेस प्रत्याशी अटल श्रीवास्तव 
  17. तखतपुर से भाजपा प्रत्याशी धर्मजीत सिंह के सामने कांग्रेस प्रत्याशी रश्मि सिंह 
  18. बिल्हा से भाजपा प्रत्याशी धरमलाल कौशिक के सामने कांग्रेस प्रत्याशी सियाराम कौशिक 
  19. मस्तूरी से भाजपा प्रत्याशी कृष्णमूर्ति बंदी के सामने कांग्रेस प्रत्याशी दिलीप लहरिया
  20. बेलतरा से भाजपा प्रत्याशी सुशांत शुक्ला के सामने कांग्रेस प्रत्याशी विजय केसरवानी
  21. मुंगेली से भाजपा प्रत्याशी पुन्नी लाल मोहले के सामने कांग्रेस प्रत्याशी संजीत बनर्जी
  22. लोरमी से भाजपा प्रत्याशी अरुण साव के सामने कांग्रेस प्रत्याशी थानेश्वर साहू 
  23. मरवाही से भाजपा प्रत्याशी प्रणव कुमार मरपच्ची के सामने कांग्रेस प्रत्याशी केके ध्रुव  
  24. जांजगीर चांपा से भाजपा प्रत्याशी नारायण चंदेल के सामने कांग्रेस प्रत्याशी व्यास कश्यप 
  25. अकलतरा से भाजपा प्रत्याशी सौरभ सिंह के सामने कांग्रेस प्रत्याशी राघवेंद्र सिंह 
  26. पामगढ़ से भाजपा प्रत्याशी संतोष लहरे के सामने कांग्रेस प्रत्याशी शहद हरबंस 
  27. सक्ति से बीजेपी प्रत्याशी खिलावन साहू के सामने कांग्रेस प्रत्याशी डॉ. चरणदास महंत 
  28. चंद्रपुर से भाजपा प्रत्याशी संयोगिता सिंह जूदेव के सामने कांग्रेस प्रत्याशी रामकुमार यादव 
  29. जैजैपुर से भाजपा प्रत्याशी कृष्णकांत चंद्र के सामनेकांग्रेस प्रत्याशी बालेश्वर साहू 
  30. लैलूंगा से भाजपा प्रत्याशी सुनीता सत्यानंद रठिया के सामने कांग्रेस प्रत्याशी विद्यावती सिदार
  31. रायगढ़ से भाजपा प्रत्याशी ओपी चौधरी के सामने कांग्रेस प्रत्याशी प्रकाश नायक
  32. खरसिया से बीजेपी प्रत्याशी महेश साहू के सामने कांग्रेस प्रत्याशी उमेश पटेल
  33. धरमजयगढ़ से भाजपा प्रत्याशी हरिश्चंद्र रठिया के सामने कांग्रेस प्रत्याशी लालजीत राठिया 
  34. कोरबा से बीजेपी प्रत्याशी लखनलाल देवांगन के सामने कांग्रेस प्रत्याशी जयसिंह अग्रवाल
  35. कटघोरा से भाजपा प्रत्याशी प्रेमचंद पटेल के सामने कांग्रेस प्रत्याशी पुरुषोत्तम कंवर
  36. पाली-तानाखार से भाजपा प्रत्याशी रामदयाल उइके के सामने कांग्रेस प्रत्याशी दिलेश्वरी सिदार
  37. रामपुर से भाजपा प्रत्याशी ननकी रामकवंर के सामने कांग्रेस प्रत्याशी फूलसिंह रठिया 
  38. बलौदाबाजार से भाजपा प्रत्याशी टंकराम वर्मा के सामने कांग्रेस प्रत्याशी शैलेश नितिन त्रिवेदी 
  39. भाटापारा से भाजपा प्रत्याशी शिवरतन शर्मा के सामने कांग्रेस प्रत्याशी इंदर कुमार साव 
  40. कसडोल से भाजपा प्रत्याशी धनीराम धीवर के सामने कांग्रेस प्रत्याशी संदीप साहू
  41. बिलाईगढ़ से भाजपा प्रत्याशी दिनेश लाल जांगड़े के सामने कांग्रेस प्रत्याशी कविता प्राण लहरे
  42. सारंगढ़ से भाजपा प्रत्याशी शिव कुमारी चौहान के सामने कांग्रेस प्रत्याशी उत्तरी जांगड़े 
  43. रायपुर दक्षिण से भाजपा प्रत्याशी बृजमोहन अग्रवाल के सामने कांग्रेस प्रत्याशी महंत रामसुंदर दास 
  44. रायपुर पश्चिम से भाजपा प्रत्याशी राजेश मूणत के सामने कांग्रेस प्रत्याशी विकास उपाध्याय 
  45. रायपुर उत्तर से भाजपा प्रत्याशी पुरंदर मिश्रा के सामने कांग्रेस प्रत्याशी कुलदीप जुनेजा
  46. रायपुर ग्रामीण से भाजपा प्रत्याशी मोतीलाल साहू के सामने कांग्रेस प्रत्याशी पंकज शर्मा 
  47. धरसींवा से भाजपा प्रत्याशी अनूज शर्मा के सामने कांग्रेस प्रत्याशी छाया वर्मा 
  48. अभनपुर से भाजपा प्रत्याशी इंद्र कुमार साहू के सामने कांग्रेस प्रत्याशी धनेंद्र साहू 
  49. आरंग से बीजेपी प्रत्याशी गुरु खुशवंत सिंह के सामने कांग्रेस प्रत्याशी डॉ. शिवकुमार डहरिया
  50.  बिंद्रानवागढ़ से भाजपा प्रत्याशी गोवर्धन राम मांझी के सामने कांग्रेस प्रत्याशी जनकलाल ध्रुव
  51. राजिम से भाजपा प्रत्याशी रोहित साहू के सामने कांग्रेस प्रत्याशी अमितेष शुक्ला 
  52. संजारी बालोद से भाजपा प्रत्याशी राकेश यादव के सामने कांग्रेस प्रत्याशी संगीता सिन्हा 
  53. डोंडीलोहारा से बीजेपी प्रत्याशी देवलाल हलवा ठाकुर के सामने कांग्रेस प्रत्याशी अनिला भेड़िया
  54. गुंडरदेही से भाजपा प्रत्याशी वीरेंद्र कुमार साहू के सामने कांग्रेस प्रत्याशी कंवर सिंह निषाद 
  55. दुर्ग शहर से भाजपा प्रत्याशी गजेंद्र यादव के सामने कांग्रेस प्रत्याशी अरुण वोरा 
  56. दुर्ग ग्रामीण से बीजेपी प्रत्याशी ललित चंद्राकर के सामने कांग्रेस प्रत्याशी ताम्रध्वज साहू 
  57. भिलाई नगर से भाजपा प्रत्याशी से प्रेम प्रकाश पांडे के सामने कांग्रेस प्रत्याशी देवेंद्र यादव
  58. वैशाली नगर भाजपा प्रत्याशी राकेश सेन के सामने कांग्रेस प्रत्याशी मुकेश चंद्राकर 
  59. अहिवारा से भाजपा प्रत्याशी डोमन लाल कोर्ट के सामने कांग्रेस प्रत्याशी निर्मल कोसरे
  60. पाटन से बीजेपी प्रत्याशी दुर्ग सांसद विजय बघेल के सामने कांग्रेस प्रत्याशी भूपेश बघेल
  61. बेमेतरा से भाजपा प्रत्याशी दीपेश साहू के सामने कांग्रेस प्रत्याशी आशीष छाबड़ा
  62. साजा से बीजेपी प्रत्याशी ईश्वर साहू के सामने कांग्रेस प्रत्याशी रविंद्र चौबे 
  63. नवागढ़ से बीजेपी प्रत्याशी दयाल दास बघेल के सामने कांग्रेस प्रत्याशी गुरु रुद्र कुमार
  64. महासमुंद से भाजपा प्रत्याशी योगेश्वर राजू सिन्हा के सामने कांग्रेस प्रत्याशी डॉ. रश्मि चंद्राकर
  65. सरायपाली से भाजपा प्रत्याशी सरला कोसरिया के सामने कांग्रेस प्रत्याशी चातुरी नंद
  66. बसना से संपत अग्रवाल भाजपा प्रत्याशी के सामने कांग्रेस प्रत्याशी देवेंद्र बहादुर सिंह 
  67. खल्लारी से भाजपा प्रत्याशी अलका चंद्राकर के सामने कांग्रेस पर का प्रत्याशी द्वारिकाधीश यादव 
  68. धमतरी से बीजेपी प्रत्याशी रंजन दीपेंद्र साहू के सामने कांग्रेस प्रत्याशी ओंकार साहू
  69. सिहावा से भाजपा प्रत्याशी श्रवण मरकाम के सामने कांग्रेस प्रत्याशी अंबिका मरकाम
  70. कुरूद से भाजपा प्रत्याशी अजय चंद्राकर के सामने कांग्रेस प्रत्याशी तारिणी चंद्राकर