बिलासपुर। विधानसभा चुनाव होने में अब बस करीब 2 महीने रह गए हैं। टिकट के लिए बीजेपी में दावेदारों की होड़ लगी हुई है। 14 सितंबर को घोषित होने वाली भाजपा प्रत्याशियों की सूची चेहरे बदलने से उठ रहे कार्यकर्ताओं के बगावती सुर को शांत करने के लिए रोक दी गई। बिलासपुर में भी विरोधियों को मनाने की कोशिश की जा रही है।
हालांकि बाहर से टिकटों की घोषणा स्थगित करने के पीछे परिवर्तन यात्रा का तर्क दिया जा रहा है, लेकिन सच्चाई यही है कि घोषित 21 सीटों में से 4 जगह उठे विरोध के स्वर से पार्टी में खलबली मच गई है। यह स्वाभाविक भी है, क्योंकि दूसरी किस्त में 4 बार के विधायकों और 60 पार के नेताओं को एडजस्ट किया जा रहा था, उनके बारे में पार्टी की अंदरूनी रिपोर्ट सही नहीं आने पर नए नामों पर रायशुमारी हो गई थी।
नतीजतन एडजस्टमेंट से बाहर किए गए नेताओं को समझा-बुझाकर उनसे इस बात की अपील कराने पर सहमति लेने का प्रयास किया जा रहा है कि वे इस बार चुनाव नहीं लड़ेंगे। लेकिन डॉ रमन सिंह मंत्रिमंडल के सदस्य रहे कुछ वरिष्ठ नेता इससे सहमत नहीं हैं। ऐसी परिस्थिति में 12 सितंबर को दिल्ली में हुई चुनाव समिति की बैठक में छत्तीसगढ़ भाजपा की 19 से अधिक सीटों के लिए रायशुमारी होने के बावजूद सूची को रोकना ठीक समझा गया।
भाजपा की घोषित कुछ टिकटों को लेकर चल रहे विरोध के बारे में संगठन महामंत्री पवन साय ने स्वीकार किया कि टिकट घोषित होने के बाद थोड़ा बहुत विरोध रहता है, पर सबसे बातचीत की जा रही है।
भाजपा के संगठन महामंत्री पवन साय के मुताबिक टिकटों की घोषणा सेंट्रल का अधिकार है। दूसरी सूची घोषित होने में अभी समय लगेगा। 28 सितंबर को परिवर्तन यात्रा समाप्त होने के बाद इसे घोषित किया जाएगा। कब, यह आलाकमान से तय होगा। चेहरे बदलने के बारे में उन्होंने कहा कि हर चुनाव में कुछ नए प्रत्याशी लिए जाते हैं।
बिलासपुर विधानसभा सीट से भाजपा के प्रबल दावेदार पूर्व मंत्री अमर अग्रवाल शनिवार को वैष्णो देवी के दर्शन करने के लिए पहुंचे। उन्होंने कहा कि टिकटों की घोषणा परिवर्तन यात्रा के बाद होगी।
भाजपा द्वारा चुनावी आचार संहिता के पूर्व आधी टिकटें घोषित करने की बात कही गई थी, इसी हिसाब से 21 सीटों के बाद 14 सितंबर को दूसरी सूची जारी करने की बात कही गई थी। इसमें देरी की कई वजहों में हाई प्रोफाइल सीटों की टिकटों को लेकर चल रहा घमासान बड़ा कारण है। भाजपा ने लगातार जीत वाली सीटों को ‘ए’, दो बार जीतने के बाद एक बार हार को बी और लगातार हारने वाली सीट के लिए सी कैटेगरी निर्धारित की है।
बिलासपुर जिले की बात करें, तो बिलासपुर के बाद बेलतरा, बिल्हा, मस्तूरी ए श्रेणी की सीटें हैं। बेलतरा के बारे में कहा जा रहा है कि कांग्रेस द्वारा यहां ब्राह्मण प्रत्याशी घोषित करने के बाद भाजपा उसी हिसाब से प्रत्याशी घोषित करेगी, इसलिए भी इसमें समय लग रहा है। वैसे भाजपा में इस वर्ग से पूर्व विधायक बद्रीधर दीवान के पुत्र विजयधर दीवान, छत्तीसगढ़ भाजपा युवा मोर्चा के सह प्रभारी सुशांत शुक्ला, आरएसएस से प्रफुल्ल शर्मा, उमेश गौरहा, प्रवीण झा के नाम चर्चा में हैं। यहां सिटिंग एमएलए रजनीश सिंह हैं।
भाजपा सूत्रों के मुताबिक, घोषित 21 टिकटों में से लुंड्रा, खरसिया, राजिम सहित 4 सीटों पर विरोध के सुर सुनाई देने लगे हैं। लुंड्रा में प्रबोध मिंज का विरोध भाजपा द्वारा डी लिस्टिंग के लिए रायपुर में किए गए आंदोलन का तर्क दिया जा रहा है। जिसमें धर्म परिवर्तन करने के बाद अनुसूचित जनजाति का लाभ ले रहे लोगों का नाम सूची से हटाने शासन से मांग की गई थी। उम्मीदवारी घोषित होने से उस आंदोलन को धक्का लगने की बात कही जा रही है।
खरसिया में लैलूंगा के महेश साहू को प्रत्याशी बनाने का विरोध हो रहा है। यहां से पिछले चुनाव में प्रदेश महामंत्री ओपी चौधरी चुनाव लड़े थे। राजिम में रोहित साहू सांसद के समर्थन से टिकट पा गए हैं, लेकिन कार्यकर्ताओं में उनके विरोध की खबर है।