Ram Mandir: राम मंदिर आंदोलन में गोली खाने वालों को ऐसे मिलेगा सम्मान, ट्रस्ट कर रहा तैयारी

Those who were shot in the Ram Mandir movement will get honour Trust is preparing plan Updates

अयोध्या। अयोध्या में भगवान राम के मंदिर का निर्माण कार्य जोरशोर से चल रहा है। जनवरी में इसका उद्घाटन होना है। श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट भगवान राम के मंदिर के लोकार्पण के साथ-साथ उन लोगों को भी सम्मान देने की योजना बना रहा है, जिन्होंने राम मंदिर आंदोलन में अपने प्राण गंवाए थे। इन वीर शहीदों को सम्मान देने के लिए ट्रस्ट की बैठकों में कई माध्यमों पर चर्चा हुई है। इन लोगों के नाम पर मूर्तियां, स्मारक और सड़कों-भवनों के नाम रखने जैसे विकल्पों पर विचार किया गया है। अंततः अयोध्या में बनने वाले प्रस्तावित राम म्यूजियम में ऐसे सभी शहीदों को स्थान देकर उन्हें सम्मान देने की योजना पर अंतिम सहमति बन सकती है। 

श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट सूत्रों ने बताया कि ट्रस्ट की बैठकों में इस बात पर गंभीरतापूर्वक विचार किया गया है कि राम मंदिर आंदोलन में अपने प्राणों की आहुति देने वाले राम भक्तों को भी उचित सम्मान दिया जाना चाहिए। कुछ सदस्यों ने इन राम भक्तों की मूर्तियां स्थान-स्थान पर लगवाने का प्रस्ताव किया तो कुछ ने इनके नाम पर अयोध्या की सड़कों-चौराहों के नामकरण का प्रस्ताव दिया है। 

इस प्रस्ताव को स्वीकार करने में सबसे बड़ी बाधा यह रही कि राम मंदिर आंदोलन में अपने प्राण गंवाने वाले राम भक्तों की संख्या की ठीक-ठीक जानकारी नहीं है। लगभग पांच सौ वर्ष लंबे चले राम मंदिर आंदोलन में हजारों लोगों के मारे जाने का दावा किया जाता है। 1990 के दशक में चले आंदोलन से पूर्व के आंदोलनों में अपने प्राण गंवाने वाले राम भक्तों के विषय में ठीक-ठीक सूचना पाना भी कठिन हो सकता है। इनकी संख्या भी बहुत अधिक हो सकती है और इस कारण सबकी मूर्तियां बनवाना संभव नहीं हो सकता है। यही कारण है कि अपने प्राण गंवाने वाले ऐसे सभी राम भक्तों के लिए अलग-अलग मूर्तियां बनवाने के विचार को उपयुक्त नहीं पाया गया। 

इस पर सहमति 
सबसे अधिक सहमति इस बात पर बन रही है कि जितने भी राम भक्तों के आंदोलन में मारे जाने की बिल्कुल ठीक-ठीक सूचना है, उन्हें एक म्यूजियम में स्थान दिया जा सकता है। लाइट एंड साउंड शो और चलचित्र प्रदर्शनी के माध्यम से इन राम भक्तों की आंदोलन में भूमिका को याद किया जा सकता है और इसके माध्यम से उन्हें सम्मान दिया जा सकता है।  

ठीक इसी तरह का प्रयोग गुजरात में महात्मा गांधी की जीवनी को लोगों तक पहुंचाने के लिए और काशी में भगवान शिव की महिमा को लोगों तक पहुंचाने के लिए किया जा रहा है। बहुत संभावना है कि इसी तर्ज पर राम मंदिर आंदोलन में अपनी जान गंवाने वाले राम भक्तों को याद किया जाए और उनके कार्यों को सम्मान दिया जाए।