नईदिल्ली : समान नागरिक संहिता (यूसीसी) पर लॉ कमीशन को सुझाव देने की समयसीमा शुक्रवार (28 जुलाई) को खत्म हो गई. लॉ कमीशन ने इसी के साथ साफ किया कि यूनिफॉर्म सिविल कोड पर जनता के सुझाव देने की अवधि को आगे नहीं बढ़ाया जाएगा. केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने शनिवार (29 जुलाई) को कहा कि यूसीसी को लेकर विधि आयोग को एक करोड़ से ज्यादा सुझाव मिले हैं.
उन्होंने कहा कि इन सुझावों पर चर्चा के बाद निर्णय लिया जाएगा. जो भी कदम उठाया जाएगा, सभी को सूचित किया जाएगा. विधि आयोग ने समान नागरिक संहिता के मुद्दे पर आम जनता, धार्मिक और सामाजिक संस्थानों या संगठनों से 28 जुलाई 2023 तक उनकी प्रतिक्रिया मांगी थी. विधि आयोग के एक सदस्य ने बताया कि इन सुझावों पर विचार-विमर्श करेगा और संबंधित हितधारकों के साथ परामर्श किया जाएगा. विधि आयोग अब विभिन्न हितधारकों की प्रतिक्रियाओं की जांच करेगा.
पहले 14 जुलाई थी सुझाव देने की आखिरी तारीख
विधि आयोग ने 14 जुलाई को जनता के लिए यूसीसी पर सुझाव देने की समय सीमा 28 जुलाई तक बढ़ा दी थी. आयोग ने सुझाव देने की समयसीमा बढ़ाते हुए कहा था कि समान नागरिक संहिता के विषय पर प्रतिक्रिया देने के समय के विस्तार के संबंध में मिले कई अनुरोधों को देखते हुए इसे दो सप्ताह का विस्तार देने का निर्णय लिया है.
बीजेपी के घोषणा पत्र का हिस्सा है यूसीसी
इसके पहले सुझाव देने के लिए एक महीने की तय अवधि की अंतिम तारीख 14 जुलाई थी. बयान में आगे कहा गया था कि आयोग सभी हितधारकों के इनपुट को महत्व देता है और इसका उद्देश्य एक समावेशी वातावरण बनाना है जो सक्रिय भागीदारी को प्रोत्साहित करता है. यूसीसी को लागू करना बीजेपी के चुनावी घोषणा पत्र का हिस्सा रहा है.
पीएम ने की थी यूसीसी की वकालत
यूनिफॉर्म सिविल कोड पर इससे पहले 21वें लॉ कमीशन ने भी अध्ययन किया था. आयोग ने तब इस पर और चर्चा की जरूरत बताई थी. इस बात को 3 साल से अधिक समय बीत चुका है. अब नए सिरे से सुझाव लिए गए हैं. पीएम मोदी ने भी यूसीसी की वकालत की थी. जिसके बाद से इस मुद्दे को लेकर देशभर में बहस छिड़ी हुई है.