कोरबा: टीपी नगर में मिली उड़ने वाली गिलहरी, पहले उत्तराखंड के जंगलों में मिली थीं पांच प्रजातियों की उड़ने वाली गिलहरियां

कोरबा। कोरबा के रिहायशी क्षेत्र टीपी नगर में ट्रक चालकों को एक अनोखा जीव नजर आया। चालक जब जीव को पहचान नहीं सके तब सर्पमित्र अविनाश यादव को फोन कर मौके पर बुलाया। सर्पमित्र अविनाश यादव अपनी टीम के साथ मौके पर पहुंचे।उन्होंने देखा कि ट्रक में फ्लाइंग स्क्वेरल (उड़न गिलहरी) छिपी बैठी है।यह जीव कोरबा में दूसरी बार मिला है।

सर्पमित्रों ने वन विभाग के एसडीओ और रेंजर को इसकी सूचना देकर उसका रेस्क्यू किया। डॉक्टर से उसका इलाज कराया गया। फिर उड़न गिलहरी को उसके प्राकृतिक रहवास में छोड़ दिया गया।

इससे पहले उत्तराखंड के जंगलों में पांच प्रजातियों की उड़ने वाली गिलहरियां मिली थीं. उत्तराखंड वन विभाग के रिसर्च विंग द्वारा की गई स्टडी में इस बात का खुलासा हुआ है. स्टडी में यह बात सामने निकल कर आई है कि उत्तराखंड में पांच अलग-अलग प्रजातियों की उड़ने वाली गिलहरियां मौजूद हैं.5 Species of flying squirrel

उत्तराखंड वन विभाग में रिसर्च विंग के चीफ कंजरवेटर ऑफ फॉरेस्ट संजीव चतुर्वेदी ने बताया था कि उत्तराखंड में गिलहरियों की उड़ने वाली जो पांच प्रजातियां हैं, उनका नाम है- रेड जायंट (Red Giant), व्हाइट बेलीड (White Bellied), इंडियन जायंट (Indian Giant), वूली (Wolly), स्मॉल कश्मीरी फ्लाइंग स्किवरल (Small Kashmiri Flying Squirrel).5 Species of flying squirrel

चीफ कंजरवेटर ऑफ फॉरेस्ट संजीव चतुर्वेदी ने बताया कि यह स्टडी दो साल तक चली है. इसका मुख्य उद्देश्य था कि उत्तराखंड में कितने प्रकार की उड़ने वाली गिलहरियां पाई जाती हैं, उनका पता करना. कैसे रहती हैं, उन्हें कितना खतरा है. उन्हें बचाने के लिए नीतियों का निर्माण करना.

5 Species of flying squirrel

संजीव कहते हैं कि स्टडी के जरिए हम कई तरह की नीतियां और नियम बना सकते हैं ताकि इन सुंदर और दुर्लभ जीवों को बचाया जा सके. इन गिलहरियों को इसलिए भी चुना गया है क्योंकि ये अलग-अलग इकोसिस्टम में रहती हैं. इनके रहने, खान-पान और लंबी छंलाग यानी उड़ान में थोड़ा-थोड़ा बदलाव है.5 Species of flying squirrel

संजीव चतुर्वेदी ने बताया कि दो साल चली स्टडी को उत्तराखंड के छह अलग-अलग इलाकों में पूरा किया गया. ये हैं- उत्तरकाशी (Uttarkashi), रानीखेत (Ranikhet), देवप्रयाग (Devprayag), चकराता (Chakrata) और पिथौरागढ़ जिला (Pithoragarh District).
 5 Species of flying squirrel

इन गिलहरियों के अगले और पिछले पैर के बीच हल्के और पतले मांसपेशियों की झिल्ली जैसी होती है. जिसे ये तब खोलती हैं जब इन्हें एक पेड़ से नीचे कूदना होता या फिर ऊंचाई से छलांग लगानी होती है. इन झिल्लियों की वजह से गिलहरियां हवा में गोते लगाते हुए अपने लक्ष्य तक पहुंच जाती हैं.5 Species of flying squirrel

कुछ महीनों पहले चीन में उड़ने वाली दो ऊनी गिलहरियों को खोजा गया था. ये दोनों ही यूपेटॉरस सिनेरियस (Eupetaurus cinereus) प्रजाति की गिलहरियां है. एक गिलहरी यूनान प्रांत में दिखाई दी और दूसरी तिब्बत ऑटोनॉमस रीजन में. इसे खोजने के लिए चीन, ऑस्ट्रेलिया और अमेरिकी वैज्ञानिकों की टीम लगी थी. इनके बारे में जूलॉजिकल जर्नल ऑफ द लीनियन सोसाइटी में प्रकाशित हुई है. दोनों गिलहरियों को ऊनी कहने का मतलब है झबरीली. इनके शरीर पर काफी ज्यादा बाल यानी फर होते हैं. 5 Species of flying squirrel

चीन, ऑस्ट्रेलिया और अमेरिकी साइंटिस्ट की टीम ने तिब्बत के शिगात्से और यूनान प्रांत के नुजियांग में इन उड़ने वाली गिलहरियों को देखा. उनका वीडियो रिकॉर्ड किया गया. ये दोनों गिलहरियां जिन इलाकों में देखी गई वो मध्य हिमालय और पूर्वी हिमालय का हिस्सा है. इसके पहले पश्चिमी हिमालय इलाके में उड़ने वाली गिलहरियों को खोजा गया था. लेकिन ये इलाका गंगा नदी और यारलंग सांगपो नदी से विभाजित है.5 Species of flying squirrel

चीन के सरकारी मीडिया संस्थान ग्लोबल टाइम्स ने गाओलिगोंग माउंटेन नेशनल नेचर रिजर्व के अधिकारियों के हवाले से लिखा है कि पूर्वी और मध्य हिमालय में मिली उड़ने वाली गिलहरी और के दांत, बालों का रंग पश्चिमी हिमालय में मिलने वाली गिलहरी से अलग है. यही नहीं दोनों गिलहरियों के जीन्स में 45 लाख से 1 करोड़ साल का अंतर है. यानी दोनों गिलहरियां अलग-अलग प्रजातियों की हैं. जो हिमालय के विभिन्न हिस्सों में रहती हैं.