मनेंद्रगढ़। जिले में शनिवार को जब गाज गिरने से 2 युवकों की मौत हो गई तो लोग उसे गोबर में गाड़कर जिंदा करने की कोशिश कई घंटों तक करते रहे। इस दौरान मौके पर ग्रामीणों की भीड़ लगी रही। मामला नागपुर चौकी क्षेत्र के सोनवर्षा गांव का है।
मालूम हो कि सोनवर्षा गांव के कछार पारा में 22 अप्रैल की शाम आंधी-तूफान के साथ बारिश हो रही थी। इससे बचने के लिए दो युवक महुआ के पेड़ के नीचे बैठे थे, तभी आकाशीय बिजली गिरी, जिसकी चपेट में दोनों आ गए और उनकी मौत हो गई। मृतकों के नाम आशीष टोप्पो और सियोन टोप्पो हैं।
दोनों चचेरे भाइयों की मौत से परिवारवालों में मातम पसर गया। दोनों की लाशों को जिंदा करने की उम्मीद से उसे धड़ तक लोगों ने गोबर में पाट दिया, लेकिन फिर भी जब दोनों में कोई हलचल नहीं हुई, तो गोबर में दबे शवों को निकाला गया।
सूचना मिलने पर मौके पर पहुंची पुलिस ने परिजनों को समझाया कि ऐसा करने से मृत व्यक्ति जिंदा नहीं होता है। इसके बाद दोनों युवकों का अंतिम संस्कार गांव में ही कर दिया गया। पिछले 2 दिनों से मौसम खराब है और रुक-रुककर बारिश हो रही थी। इससे भीषण गर्मी से तो राहत मिली, लेकिन आंधी से कई पेड़ धराशाई हो गए और मनेंद्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर जिले में अलग-अलग घटनाओं में गाज गिरने से 3 लोगों की मौत भी हो गई।
गोबर में लाश गाड़ने को लेकर जिला चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर सुरेश तिवारी ने कहा कि आज के वैज्ञानिक युग में ऐसी तस्वीरें आना शर्मनाक हैं। उन्होंने कहा कि आकाशीय बिजली की चपेट में आने वाले व्यक्ति को तत्काल निकटतम अस्पताल लेकर आना चाहिए। इस तरह के अंधविश्वास से लोगों को बचना चाहिए। इधर कलेक्टर पीएस ध्रुव ने कहा कि जिला प्रशासन अंधविश्वास दूर करने के लिए अभियान चलाएगा। ऐसी मौतों पर अब पुलिस-प्रशासन की मौजूदगी में अंतिम संस्कार कराया जाएगा।
आकाशीय बिजली की चपेट में आने से मारे गए लोगों को जिंदा करने के लिए उनके शरीर पर गोबर का लेप लगाने या गोबर में गाड़ने की कुप्रथा काफी समय से चली आ रही है। हालांकि इस प्रयोग से अब तक कभी सफलता नहीं मिली है, बावजूद इसके व्यक्ति को जिंदा करने के लिए उसके शरीर को गोबर में गाड़ दिया जाता है। ऐसा अक्सर ग्रामीण इलाकों में देखने को मिलता है। परिजन इस आस में मृतक को घंटों गोबर में गाड़े रहते हैं कि वह जीवित हो जाएगा। कई लोग गोबर का लेप भी लगाते हैं, ताकि झुलसा हुआ व्यक्ति जल्दी ठीक हो जाए।
पिछले दो साल में गाज गिरने से हुई मौतों के मामले में 34 फीसदी से ज्यादा लोगों को गोबर में गाड़े या गोबर का लेप किए। विशेषज्ञों के अनुसार ऐसा करने से मरीज ठीक तो नहीं होगा, उल्टे इन्फेक्शन का शिकार हो जाएगा। यही नहीं, प्रदेश में गाज गिरने के बाद गंभीर रूप से घायल लोगों के शरीर में टूथपेस्ट से लेकर डीजल भी लगाते हैं। इस अंधविश्वास में कि मरीज को ठंडक पहुंचेगी। कहीं-कहीं चावल के अंदर भी डाल देते हैं। विशेषज्ञों के अनुसार ये कुरीति हैं। ऐसा करने से मरीज की जान को खतरा बढ़ जाता है। झुलसे व्यक्ति को तत्काल अस्पताल पहुंचाए, जिससे समय पर इलाज शुरू हो सके।