कांकेर। कांकेर में 2014 के अंतागढ़ उपचुनाव से चर्चा में आए पूर्व विधायक मंतूराम पवार ने इस बार निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़ने की घोषणा की है। इसके साथ ही उन्होंने अंतागढ़ उपचुनाव के विवाद का जिन्न एक बार फिर बाहर कर दिया है। मंतूराम पवार ने उपचुनाव में नाम वापस लेने के पीछे मौत का डर बताया है। उन्होंने आरोप लगाया है कि कांकेर के तत्कालीन एसपी ने उन्हें एनकाउंटर की धमकी दी थी। उन्होंने कहा कि, इस सबंध में न्यायालय में भी अपना बयान दर्ज करा चुके हैं।
कहा- चुनाव लड़ना चाहता था, पर धमकी दी गई
पूर्व विधायक मंतूराम पवार ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि, साल 2014 में वह कांग्रेस के प्रत्याशी थे। सारा माहौल उनके पक्ष में था। भाजपा प्रत्याशी की स्थिति बहुत खराब थी। उन्होंने कहा कि, उनके ऊपर करोड़ों के लेनदेन का आरोप लगा, लेकिन वास्तविकता में चुनाव लड़ना चाहता था। उस दौरान शासन की ओर से तत्कालीन एसपी राजेंद्र दास ने कॉल कर धमकी दी कि अगर अपना नाम वापस नहीं लिया तो कभी भी आपके ऊपर दुर्घटना घट सकती है, एनकाउंटर हो सकता है। मैंने मौत के डर से नाम वापस लिया था।
अंतागढ़ उपचुनाव में लिया था नाम वापस
पूर्व विधायक मंतूराम पवार सीपीएम से एक बार और कांग्रेस से तीन बार चुनाव लड़ चुके हैं। इस दौरान एक बार 1998 में विधायक चुने गए थे। साल 2014 में कांग्रेस ने उन्हें अंतागढ़ विधानसभा उपचुनाव में प्रत्याशी बनाया था, लेकिन अंतिम समय में उन्होंने अपना नामांकन वापस ले लिया था। इसके चलते भाजपा को वाकओवर मिला था। इसके बाद प्रदेश ही नहीं पूरे देश में यह उप चुनाव चर्चा में आ गया था। इस घटना के बाद कांग्रेस ने मंतूराम पवार को पार्टी से निकाल दिया था।
कोर्ट में दिया था करोड़ों की डील को लेकर बयान
इसके बाद मंतूराम ने भाजपा की सदस्यता ले ली, लेकिन 2018 के विधानसभा चुनाव में उन्हें टिकट नहीं दिया। वहीं इस घटना के करीब चार माह बाद अंतागढ़ उपचुनाव को लेकर नया टेप भी सामने आया। टेपकांड में मंतूराम पवार को मुख्य आरोपी बनाया। इस दौरान उन्होंने कोर्ट में दिए अपने बयान में पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह, पूर्व सीएम अजीत जोगी, पूर्व मंत्री राजेश मूणत, अमित जोगी, फिरोज सिद्दीकी और अमीन मेनन के बीच नाम वापसी को लेकर करीब सात करोड़ रुपये में डील होने की बात कही।