छत्तीसगढ़ः CM भूपेश ने PM मोदी को लिखा पत्र, प्रदेश के आरक्षण संशोधित प्रावधान को 9वीं अनुसूची में शामिल करने किया अनुरोध

CM Bhupesh wrote a letter to PM Modi: Request to include reservation amendment provision of Chhattisgarh

रायपुर। छत्तीसगढ़ सरकार ने विधानसभा चुनाव 2023 से पहले फिर एक राजनीतिक दांव खेला है। प्रदेश के सीएम भूपेश बघेल ने पीएम नरेंद्र मोदी को खत लिखा है। खत में छत्तीसगढ़ विधानसभा में दिसम्बर 2022 में पारित विधेयक के अनुसार, आरक्षण संशोधित प्रावधान को संविधान की 9वीं सूची में शामिल करने का अनुरोध किया है।

मुख्यमंत्री ने पत्र में लिखा है कि छत्तीसगढ़ राज्य की विशेष परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए आरक्षण संशोधित प्रावधान को नवमीं सूची में शामिल किया जाए। इससे प्रदेश के वंचितों और पिछड़े वर्ग के लोगों को न्याय मिलेगा। मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री से इसके लिए सर्वसंबंधितों को निर्देशित करने का आग्रह भी किया है। पत्र में लिखा है कि छत्तीसगढ़ की कुल आबादी में 32 प्रतिशत अनुसूचित जनजाति, 13 प्रतिशत अनुसूचित जाति और अन्य पिछड़ा वर्ग के 42 प्रतिशत लोग शामिल हैं। राज्य का 44 प्रतिशत भाग वनों से घिरा है। बड़ा भू-भाग दुर्गम पहाड़ी क्षेत्रों से घिरा हुआ है। इन सब कारणों से ही राज्य के मैदानी क्षेत्रों को छोड़कर अन्य भागों में आर्थिक गतिविधियां संचालित करने में कठिनाईयों का सामना करना पड़ता है।  

रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की 2012 की रिपोर्ट के अनुसार, छत्तीसगढ़ राज्य में गरीबों की संख्या देश में सर्वाधिक (40 प्रतिशत लगभग) थी। राज्य के अन्य पिछड़ा वर्ग के लोगों की सामाजिक-आर्थिक और शैक्षणिक दशा अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति वर्ग के लोगों की तरह ही कमजोर है। इन वर्गों के 3/4 भाग कृषक सीमांत एवं लघु कृषक हैं तथा इनमें बड़ी संख्या में खेतिहर मजदूर भी हैं। 

छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने वर्ष 2022 में किया था निरस्त 
मुख्यमंत्री ने पत्र में लिखा है कि राज्य में वर्ष 2013 से अनुसूचित जातियों, जनजातियों एवं अन्य पिछड़ा वर्ग के सदस्यों के लिए क्रमशः 12, 32 एवं 14 प्रतिशत (कुल 58 प्रतिशत) आरक्षण का प्रावधान किया गया था, जिसे छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने वर्ष 2022 में निरस्त किया गया। राज्य की विधानसभा ने दिसम्बर 2022 में पुनः सर्वसम्मति से विधेयक पारित कर विभिन्न वर्गों की जनसंख्या के आधार पर अजा, अजजा, अन्य पिछड़ा वर्ग एवं ईडब्ल्यूएस के लोगों के लिये आरक्षण का संशोधित प्रतिशत क्रमशः 13, 32, 27 एवं 4 प्रतिशत करने का निर्णय लिया गया। यह विधेयक वर्तमान में राज्यपाल के पास अनुमोदन के लिए लंबित है। सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ ने नवम्बर 2022 में ईडब्ल्यूएस वर्ग के लोगों को 10 प्रतिशत आरक्षण देने के निर्णय को वैध ठहराये जाने से आरक्षण की सीमा 50 प्रतिशत से बढ़ाने का मार्ग खुल चुका है। विगत माह में झारखण्ड एवं कर्नाटक विधानसभा में विभिन्न वर्गों के लिए आरक्षण का प्रतिशत 50 से अधिक करने के प्रस्ताव पारित किये गये हैं। 

दिसम्बर 2022 में पारित हुआ था आरक्षण (संशोधन) विधेयक 
छत्तीसगढ़ विधानसभा में दिसम्बर 2022 में पारित आरक्षण (संशोधन) विधेयक में राज्य के अनुसूचित जाति को 13 प्रतिशत, अनुसूचित जनजाति को 32 प्रतिशत, अन्य पिछड़ा वर्ग को 27 प्रतिशत और ईडब्ल्यूएस को 4 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान किया गया है। इस  विधेयक पर हस्ताक्षर करने के लिए राज्यपाल के पास भेजा गया है। राजभवन में यह विधेयक लंबित है। इसी को लेकर पक्ष और विपक्ष दोनों जमकर राजनीति कर रहे हैं।