बेंगलूरू। कर्नाटक में भाजपा की मुश्किलें लगातार बढ़ती जा रही हैं। पार्टी राज्य में आपसी गुटबाजी के संकट से जूझ रही है। प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस लगातार मंत्रियों की कथित कमीशनखोरी पर हमलावर है। पार्टी की परेशानी उसके अपने उन लगभग आधा दर्जन मंत्रियों ने बढ़ा दी है, जिन्होंने चुनाव में हार के डर से मैदान में उतरने से मना कर दिया है। आने वाले समय में पार्टी के कुछ विधायक पाला बदलकर भी उसका संकट बढ़ा सकते हैं। माना जा रहा है कि ऐसे में भगवा दल के लिए कर्नाटक में सत्ता बचा पाना आसान नहीं होगा।
भाजपा सूत्रों के मुताबिक, वर्तमान सरकार के कई मंत्रियों ने पार्टी संगठन से अपने चुनाव न लड़ने के निर्णय से अवगत करा दिया है। कुछ मंत्रियों ने अपने बदले अपनी पत्नी या परिवार के किसी दूसरे सदस्य को टिकट दिए जाने की मांग की है। पार्टी के लिए सबसे असुविधाजनक स्थिति उन विधायकों ने पैदा कर दी है, जिन्होंने अपनी ही सरकार के विरुद्ध मोर्चा खोल दिया है। ऐसे विधायकों ने अपनी ही सरकार में भरोसा न रखते हुए बदलाव की मांग की है।
पार्टी की मुश्किलों को इसी बात से समझा जा सकता है कि जहां कांग्रेस अपने आधे से ज्यादा उम्मीदवारों के नामों की घोषणा कर चुकी है, वहीं भाजपा अभी तक अपने उम्मीदवारों के नाम पर मुहर नहीं लगा पाई है। पार्टी की पहली लिस्ट भी अगले सप्ताह तक ही आने की संभावना है। माना जा रहा है कि टिकट काटे जाने के कारण नेताओं में भगदड़ होने की आशंका से अब तक टिकटों की घोषणा नहीं की गई है। कुछ विधायक जो अपने क्षेत्रों में मजबूत हैं, टिकट काटे जाने की स्थिति में वे पाला बदल सकते हैं। टिकटों में देरी का एक कारण यह भी बताया जा रहा है।
कांग्रेस का सतर्क दांव
दरअसल, भाजपा के इन नेताओं का मानना है कि कांग्रेस ने कर्नाटक में बेहद सतर्कता से अपने पत्ते खेले हैं। यही कारण है कि राज्य में उसके पक्ष में हवा बनती जा रही है। कांग्रेस ने मल्लिकार्जुन खरगे को पार्टी का अध्यक्ष बनाकर बड़ा दांव खेला था, जो कर्नाटक में काम करता हुआ दिखाई दे रहा है। राज्य के दलित और पिछड़े मतदाता धीरे-धीरे कांग्रेस के साथ लामबंद होने लगे हैं। पार्टी को इसका लाभ मिल सकता है।
राहुल गांधी ने भारत जोड़ो यात्रा के दौरान भी कर्नाटक को बहुत अहमियत दी थी। इसके कारण राज्य के अल्पसंख्यक मतदाताओं में कांग्रेस के प्रति पुराना भरोसा लौट आया है। माना जा रहा है कि राहुल गांधी के प्रति अपनी एकजुटता दिखाने और भाजपा को हराने के लिए अल्पसंख्यक वर्ग एकजुट होकर टैक्टिकल वोटिंग कर सकता है। यदि ऐसा होता है तो कांग्रेस राज्य में एक बड़ी ताकत बनकर उभर सकती है।
कांग्रेस की घोषणा ने भी डाला असर
हिमाचल प्रदेश के विधानसभा चुनाव से सबक लेते हुए कांग्रेस ने कर्नाटक में भी वादों का ऐसा पिटारा खोल दिया है, जो उसे जीत के मुहाने तक ले जा सकता है। कांग्रेस ने राज्य में गृहलक्ष्मी योजना के अंतर्गत हर परिवार की महिला मुखिया को प्रति माह दो हजार रुपये देने का वादा किया है। गृहज्योति योजना के अंतर्गत हर घर को 200 यूनिट बिजली मुफ्त देने और अन्न भाग्य योजना के अंतर्गत हर गरीब परिवार को प्रति माह 10 किलो चावल देने की घोषणा की है।
कांग्रेस ने राज्य में सबसे बड़ा दांव युवाओं पर लगाया है। राहुल गांधी ने घोषणा की थी कि यदि राज्य में कांग्रेस सत्ता में आती है, तो स्नातक पास करने वाले हर युवा को बेरोजगार रहने पर दो साल तक हर महीने 3000 रुपये और हर डिप्लोमाधारी को 1500 रुपये बेरोजगारी भत्ता के रूप में दिए जाएंगे। माना जा रहा है कि ये घोषणाएं कांग्रेस के पक्ष में चुनावी माहौल बना सकती हैं।