छत्तीसगढ़ः भनवारटंक का मरही माता मंदिर, यहां ट्रेनों के भी थम जाते हैं पहिये; बंधता है मन्नतों का नारियल

जीपीएम स्थित मरही माता मंदिर।

पेंड्रा। छत्तीसगढ़ के गौरेला-पेंड्रा-मरवाही (GPM) जिले में बिलासपुर-कटनी रेल मार्ग पर खोंगसरा और खोडरी रेलवे स्टेशन के बीच स्थित एक छोटे सा स्टेशन है भनवारटंक। इसी के पास रेलवे ट्रैक के किनारे है, मरही माता का मंदिर। वैसे तो यह मंदिर साल के 365 दिन श्रद्धालुओं के लिए खुला रहता है, लेकिन नवरात्रि पर यहां विशेष आयोजन होता है। लोग पूरे साल अपनी मन्नतों का नारियल बांधते हैं और पूरा होने पर यहां पूजन के लिए आते हैं। खास बात यह है कि मां के मंदिर से निकलने के दौरान ट्रेनों के पहिये तक थम जाते हैं। 

 

दरअसल, दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे क्षेत्र में स्थित इस मंदिर तक श्रद्धालु सड़क मार्ग और रेल मार्ग दोनों से पहुंच सकते हैं। मां की महिमा का अंदाज इसी बात से लगाया जा सकता है कि यहां से गुजरने वाले ट्रेनों की रफ्तार भी मंदिर के सामने धीमी हो जाती है। मंदिर में चैत्र नवरात्रि को विशेष पूजा अर्चना होती है। नौ दिनों तक होने वाली विशेष पूजा अर्चना में भारी संख्या में श्रद्धालु शामिल होते हैं। मंदिर में मंनत पूरी होने के बाद बलि देने की परंपरा है, पर नवरात्र के नौ दिनों में इस पर रोक लगी होती है।  

 

ट्रेन हादसे के बाद स्थापित किया गया मंदिर 
बताया जाता है कि, 1984 में इंदौर-बिलासपुर नर्मदा एक्सप्रेस रेल हादसा हुआ था। इसके बाद रेलवे और वन विभाग कर्मचारियों ने मरही माता की मूर्ति को यहां पर विराजित किया था। फिर छोटे से मंदिर का निर्माण कराया गया। मान्यता है मरही माता के आशीर्वाद से ही बिलासपुर-कटनी रेल रूट पर जंगली और पहाड़ी क्षेत्र भनवारटंक में हादसों से रक्षा होती है। मरही माता की महिमा और जश को बताने के लिये नवरात्र में श्रद्धालुओं के लिए भंडारे का भी आयोजन कराया जाता है।