बालोद। छत्तीसगढ़ में धर्मांतरण पर बवाल थमने का नाम नहीं ले रहा है। अब बालोद में ग्रामीण सड़क पर उतर आए हैं। गांव में दो परिवारों के धर्म परिवर्तन पर मंगलवार को सैकड़ों की संख्या में ग्रामीण कलेक्ट्रेट पहुंच गए। उन्होंने दोनों परिवारों की नामजद शिकायत करते हुए कहा है कि प्रशासन इनके खिलाफ कार्रवाई करे, नहीं तो ग्रामीणों को ही ठोस कदम उठाना होगा। ग्रामीणों का आरोप है कि दोनों परिवारों ने अपना मूल धर्म छोड़ दिया है। गांव के रीति-रिवाजों को नहीं मानते हैं।
दरअसल, ग्राम सिवनी में मंगलवार को काम-धाम बंद कर दिया गया था। प्रत्येक परिवार से एक व्यक्ति का कलेक्ट्रेट पहुंचना अनिवार्य किया गया था। ग्रामीणों ने बताया कि हम सब धर्मांतरण के खिलाफ हैं। गांव में जो व्यक्ति धर्म परिवर्तन कर चुके हैं और कुछ लोग गुप्त रूप से ईसाई धर्म को अपना रहे हैं। यह गांव के भविष्य के लिए अच्छा नहीं है। हिंदू हमारा मूल धर्म है और हम इसी के लिए जीते हैं किसी के लिए मरते हैं। ग्रामीणों का कहना है कि दोनों परिवार ईसाई बन गए हैं और उसका गांव में प्रचार करते हैं।
शांति हो रही भंग
ग्रामीणों ने बताया कि गांव में दो परिवारों द्वारा शांति भंग की जा रही है। यह अपने धर्म का प्रचार लोगों के बीच करते हैं, जिससे आक्रोश पनपता जा रहा है। ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि दोनों परिवार अन्य लोगों को भी अपने धर्म के बारे में बता कर धर्मांतरण करने का प्रयास कर रहे हैं। इसके कारण गांव में अशांति हो रही है और कभी भी कोई बड़ी घटना घट सकती है। ग्रामीणों का कहना है कि, हम धर्मांतरण के विरुद्ध लड़ाई लड़ना चाहते हैं। इसके लिए हम पूरी तरह से तैयार हैं।
रीति रिवाज को मानते नहीं
धर्मांतरण की बड़ी बहस के बीच ग्रामीण अपने धर्म को बचाने निकले हुए हैं। ग्रामीणों ने कहा कि हमारे ग्रामीण रीति रिवाज हैं, देवी-देवता है। कई सारी परंपराएं हैं, लेकिन यह दोनों दोपहर परिवार गांव के रीति रिवाज को तुच्छ नजर से देखते हैं। इसको नहीं मानते हैं। दोनों परिवार धर्म परिवर्तित हो गए हैं और स्पष्ट रूप से अपने इसाई धर्म का प्रचार करते देखे जाते हैं। अगर इन परिवारों पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई तो यह हमारे गांव को ईसाई मिशनरी गांव के रूप में तब्दील कर सकते हैं।