छत्तीसगढ़: चंडी मंदिर से उतरा गया सौ साल पुराना सैयद बाबा का पताका, हिंदू-मुस्लिम एकता की दिखी झलक

बालोद के चंडी मंदिर से उतारा गया सौ वर्ष पुराना सैयद बाबा का हरा झंडा।

बालोद। जिले के गुंडरदेही नगर में स्थित चंडी मंदिर जहां पर 100 वर्षों पुरानी परंपरा थी कि नीचे मां चंडी की पूजा-अर्चना होती थी, तो वहीं, उसी गर्भगृह में बाबा सैयद शाह का 786 का पताका भी लहराता था। लेकिन 1 माह पूर्व संघ के मुखपत्र पांचजन्य के ऑफिशियल ट्विटर हैंडल से इस मंदिर के गर्भगृह की तस्वीर को पोस्ट किया गया, पोस्ट में कुछ खास नहीं लिखा था परंतु इसे लोगों ने अपने-अपने नजरिए से लिया जिसके बाद कई हिंदू संगठन एक्टिव हुए और सोशल मीडिया में तीखी बहस शुरू हो गई। शांति और सौहार्द के इस मंदिर में कहीं न कहीं खलल पड़ता देख पिछले दिनों विश्व हिंदू परिषद राज्य परिवार के सदस्य और पूर्व विधायक राजेंद्र राय एवं मुस्लिम समाज की उपस्थिति में यह निर्णय लिया गया कि यहां के ध्वज को निकाला जाएगा। जिसके बाद शुक्रवार को सम्मानित ध्वज को उतारकर मुस्लिम समाज को दिया गया।


ठाकुर निहाल सिंह रहते तो नहीं उतरता ध्वज

मुस्लिम समाज के अध्यक्ष सलीम खान ने पूरे मामले पर कहा कि जो ध्वज उतारा गया है हमें कोई दिक्कत नहीं है दिक्कत उन्हें हैं जिन्होंने यह काम किया है। जो राजनीति कर रहे हैं वह गलत है ठाकुर निहाल सिंह जीवित होते तो आज ऐसा नहीं होता मुस्लिम समाज ने कहा कि हम तो केवल यही अपील करते हैं कि बाहर जो भी हो रहा हो बाहरी ताकतें जितनी भी कोशिश कर ले। हमारे गुंडरदेही में एकता अखंडता बनी रहे। धर्मगुरुओं ने कहा कि कोई भी युवा कोई भी समाज किसी के बहकावे में ना आए हमेशा हिंदू-मुस्लिम एक दूसरे का साथ देते रहें।

तालाब से निकली थी मूर्ति और पवित्र चांद

स्थानीय लोगों ने बताया कि चंडी माता की मूर्ति स्थानीय रामसागर तालाब से निकली थी। उसके साथ ही मुस्लिम समुदाय का पवित्र चांद भी निकला था। राजेंद्र कुमार राय ने बताया कि उनके दादाजी ठाकुर निहाल सिंह जो क्षेत्र के अंतिम जमीदार हुए, उन्होंने इस मंदिर की स्थापना की थी। माता की स्थापना के साथ यहां पर एक हरा पवित्र सैयद बाबा साहब का 786 वाला चादर भी लगाया गया तब से आज तक यह मंदिर वसुधैव कुटुंबकम के तर्ज पर लोगों को जोड़े हुए था पर आज इस पताके को उतार दिया गया है। 

 
 

पूजा के बाद निकाला गया पताका

मंदिर के गर्भगृह से सैय्यद बाबा के पताके को उतारने से पहले मंदिर में राज परिवार के सदस्यों स्थानीय लोगों द्वारा विशेष पूजा-अर्चना की गई।  वहां लहरा रहे हरे ध्वज को उतारा गया और मुस्लिम समाज को सौंप दिया गया। ध्वज के साथ मंदिर में कुछ और चीज होने की बातें कही जा रही थी परंतु ध्वज उतारते समय किसी को भी मंदिर में प्रवेश करने की अनुमति नहीं दी गई। मंदिर के सदस्यों ने ही ध्वज को उतारा और मुस्लिम समाज को सौंप दिया।

चप्पे चप्पे पर तैनात रही पुलिस

क्योंकि मामला हिंदू और मुस्लिम समाज से जुड़ा हुआ था। इसलिए गुंडरदेही नगर में प्रशासन एवं पुलिस चप्पे-चप्पे पर तैनात रही और पल-पल की मॉनिटरिंग भी की जा रही। ताकि, किसी तरह की कोई भी अव्यवस्था ना मंदिर में हो ना ही शहर में फैले। जब पिछले दिनों ट्विटर पर यह तस्वीर पोस्ट की गई थी तो तरह-तरह की टिप्पणी अलग अलग विचारधारा के तरफ से की गई थी और प्रशासन को इस बात की चिंता रही कि कोई भी सांप्रदायिक विवाद न बने।

100 साल से चली आ रही थी परंपरा

आपको बता दें कि चंडी मां की पूजा अर्चना के साथ मुस्लिम समाज के पताका का यह इतिहास 100 वर्ष पुराना है वह क्षेत्र के जमीदार निहाल सिंह ने इसकी स्थापना की थी और राजपरिवार ही उसका देखरेख कर रहा है आज राज परिवार के सदस्य एवं पूर्व विधायक राजेंद्र कुमार राय ने किसी भी तरह का सौहार्द ना बिगड़े इसलिए सबकी सहमति से यह निर्णय लिया है।