छत्तीसगढ़ः हसदेव में पलटी नाव, पति-पत्नी लापता, 2 दिन से जारी है रेस्क्यू ऑपरेशन, ऑक्सीजन सिलेंडर लेकर उतरी​​​​​​​ टीम

सूरजपुर। हसदेव नदी में डूबे पति-पत्नी की तलाश के लिए गुरुवार को भी रेस्क्यू ऑपरेशन जारी है। हरिहरपुर इलाके में हसदेव नदी में नाव पलटने से पति-पत्नी नदी में डूब गए हैं। मंगलवार से रेस्क्यू ऑपरेशन चल रहा है। लेकिन अब तक कुछ पता नहीं चल सका है।

गुरुवार को पति-पत्नी की तलाश के लिए SDRF और नगर सेना के गोताखोरों की टीम नदी में उतरी हुई है। जानकारी के मुताबिक, पति श्रवण सिंह और पत्नी श्यामा बाई प्रेमनगर विकासखंड अंतर्गत ग्राम हरिहरपुर के रहने वाले हैं। यहां हरिहरपुर के सोहरगड़ई गांव में मंगलवार दोपहर करीब 1 बजे पति-पत्नी नाव से हसदेव नदी को पार कर रहे थे। लेकिन बीच नदी में नाव अनियंत्रित होकर पलट गई। इससे चारों नदी में गिर गए।

नाव पलटने पर नाविक और उसकी पत्नी तो तैरकर किनारे पर आ गए, लेकिन दंपति श्रवण सिंह और श्यामा बाई नदी में डूब गए। शुरुआत में स्थानीय लोगों ने पति-पत्नी को नदी में ढूंढने की बहुत कोशिश की, लेकिन नहीं मिलने पर पुलिस को सूचना दी। पुलिस, एसडीआरएफ की टीम मौके पर पहुंचने के बाद गोताखोर नदी में उतारे गए।

मंगलवार से पति-पत्नी की तलाश जारी है, लेकिन अभी तक उनकी बॉडी नहीं मिल पाई है। एसडीआरएफ और नगर सेना की 15 सदस्यीय टीम पति-पत्नी को ढूंढने की कोशिश कर रही है। नदी की गहराई ज्यादा होने की वजह से रेस्क्यू टीम को भी काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।

नाविक ने बताया कि दोनों पति-पत्नी सतपता बिश्रामपुर जा रहे थे, लेकिन नाव पलट गई। सूचना पर पुलिस और प्रशासनिक अमला मौके पर पहुंचा, जब उन्हें भी दंपति को ढूंढने में सफलता नहीं मिली, तो सरगुजा और सूरजपुर से गोताखोरों के दल को बुलाया गया। इसमें सूरजपुर के 10 प्रशिक्षित गोताखोर नगर सैनिक और अंबिकापुर की एसडीआरएफ के 5 सदस्यों की टीम रेस्क्यू ऑपरेशन में जुटी है।

बुधवार को भी नदी में रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया गया, लेकिन अंधेरा होने के बाद काम बंद कर दिया गया। अब गुरुवार सुबह फिर ऑक्सीजन सिलेंडर लेकर गोताखोर तलाशी के लिए निकले हैं। जहां नाव पलटी थी, वहां पानी की गहराई काफी ज्यादा थी।

हरिहरपुर पंचायत के आश्रित मोहल्ले सोहरगड़ई और ठोरठिहाई जाने के लिए नदी ही एकमात्र रास्ता है। इसमें लोग नाव से आना-जाना करते हैं, जबकि सड़क मार्ग से आने के लिए उन्हें 20 किलोमीटर चलकर रामेश्वरनगर आना पड़ता है, तब कहीं जाकर बस मिल पाती है। नाव से गेज नदी में ग्रामीणों की आवाजाही लंबे समय से है और ये हमेशा से जोखिम भरा रहा है।