गुरुग्राम। कोरोनाकॉल में संक्रमण के डर से लोगों ने सही-गलत बहुत से उपाय अपनाए। कुछ लोग बेहद लापरवाह थे, तो कुछ ने सनक की हद तक सुरक्षा उपाय अपनाए, लेकिन मारुति विहार कॉलोनी में रहने वाली मुनमुन मांझी ने तो तीन साल से खुद को अपने 10 साल के बेटे के साथ घर में कैद कर रखा था। उन्हें डर था कि घर से बाहर निकलते ही कोरोना संक्रमण हो जाएगा। महिला के दिमाग पर संक्रमण का डर इतना गहरा था कि अपने पति सुजान को भी घर में आने से रोक दिया था।
वीडियो कॉल से पति करते थे परिवार से संपर्क
सुजान महीनों तक अपने एक रिश्तेदार तथा दोस्तों के पास रहे। उन्हें लगा कि कुछ दिन बाद कुछ बदल जाएगा, लेकिन उनकी पत्नी की समस्या बढ़ती गई। जब पत्नी उनके समझाने पर नहीं मानी, तो उन्होंने डेढ़ साल पहले अपने घर के पास एक कमरा किराए पर लिया और पत्नी तथा बेटे से वीडियो कॉल से संपर्क रखते थे।
कोरोना के डर से महिला अपने बेटे को स्कूल ना भेजकर ऑनलाइन ही पढ़ाई कराती थी। स्कूल की फीस और मकान का किराया समय पर देती रही। रसोई का सामान ऑनलाइन मंगवाती और गेट पर सामान रखने को कहती थी। मुनमुन ने कोरोना के डर से गैस सिलेंडर तक मंगवाना बंद कर दिया था और हीटर पर खाना पकाना शुरू कर दिया था। उन्हें डर था कि गैस सिलेंडर देने वाला कर्मचारी आएगा, तो कोरोना संक्रमण हो जाएगा।
अपनी पत्नी के व्यवहार को लेकर सुजान ने अपने ससुर को बताया, लेकिन वह भी समझाने में नाकाम रहे। महिला का कहना था कि जब बच्चे को कोरोनारोधी टीका लग जाएगा, तब घर से बाहर निकालेगी। गौरतलब है कि अभी 10 वर्षीय बच्चों को लगने वाला टीका नहीं आया है।
तीन साल बाद पुलिस से मांगी मदद
अब करीब तीन साल बाद सुजान ने पुलिस से संपर्क किया था। पुलिस ने परिवार का मामला कह कर उन्हें लौटा दिया। इसके बाद सुजान की मुलाकात चकरपुर पुलिस पोस्ट पर नियुक्त ASI प्रवीण से हुई। सोमवार को पुलिस के साथ महिला-बाल विकास विभाग टीम और स्वास्थ्य टीम महिला के घर पहुंची। इसके बाद भी महिला ने गेट नहीं खोला।
महिला ने जबरन गेट खुलवाने पर आत्महत्या तक करने की धमकी दी। टीम वापस लौट आई। मंगलवार को टीम फिर पहुंची। टीम ने स्थिति को समझते हुए दरवाजा तोड़कर महिला तथा उसके बेटे को निकाल लिया, जिसके बाद दोनों को सेक्टर 10 के जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया था। यहां डाक्टरों ने महिला की काउंसिलिंग कर समझाया कि कोरोना संक्रमण खत्म हो चुका है। अस्पताल प्रधान चिकित्सा अधिकारी डॉ. रेनू सरोहा ने बताया कि मंगलवार को पुलिस महिला को अस्पताल में लेकर पहुंची थी। मरीज की बीमारी को देखते हुए उन्हें रोहतक पीजीआई भेज दिया गया था।
जानें किस बीमारी से ग्रस्त है महिला?
तीन साल तक अपने को बेटे के साथ खुद को घर में कैद रखने वाली महिला का कहना है कि वह सरकारी अस्पताल में नहीं, निजी अस्पताल में इलाज कराएगी। बुधवार को महिला रोहतक पीजीआइ से वापस गुरुग्राम आ गई है। बाल कल्याण समिति सदस्य सोनिया यादव का कहना है कि बुधवार को महिला गुरुग्राम वापस आ गई है और वह निजी अस्पताल में इलाज कराना चाहती है। इस पर विचार किया जा रहा है कि इलाज कहां कराया जाए। डाक्टरों का कहना है कि महिला सीजोफ्रेनिया बीमारी से ग्रस्त है। इस मानसिक बीमारी में मरीज अक्सर रिश्तेदारों, दोस्तों से दूरी बनाकर खुद को एक कमरे तक सीमित कर लेता है।