रायपुर। ईडी के छापों के बाद छत्तीसगढ़ में राजनीति तेज हो गई है। कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि राष्ट्रीय अधिवेशन को प्रभावित करने के लिए झूठी डायरी को आधार बनाकर छापे मारे गए। किसी भी व्यक्ति के पास से कुछ भी बरामद नहीं हुआ।
कांग्रेस ने छापे की क्रोनोलाजी को बताया और आरोप लगाया कि जिन नेताओं ने पूर्व मुख्यमंत्री डा रमन सिंह और उनके प्रमुख सचिव रहे अमन सिंह के खिलाफ शिकायत की थी, उन पर यह कार्रवाई की गई। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने पूछा कि आखिर आरपी सिंह और विनोद तिवारी पर छापे मारने का क्या मतलब है। विनोद तिवारी ने आय से अधिक संपत्त्ति के मामले में डा रमन की शिकायत की थी। वहीं, आरपी सिंह ने अमन सिंह की शिकायत की थी।
ईडी की कार्रवाई पूरी होने के बाद विनोद तिवारी ने एक ट्वीट किया, जिसमें कहा कि मेरे घर में रमन सिंह की आय से अधिक संपत्त्ति के दस्तावेज थे, जिसे ईडी की टीम लेकर नहीं गई। कांग्रेस नेताओं ने आरोप लगाया कि राष्ट्रीय अधिवेशन में कोषाध्यक्ष रामगोपाल अग्रवाल और गिरीश देवांगन महत्वपूर्ण भूमिका में थे। दोनों नेताओं को पांच से छह समिति में स्थान मिला था। इसलिए अधिवेशन की तैयारी को प्रभावित करने की साजिश है।
कांग्रेस संचार प्रमुख सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि भाजपा की केंद्र सरकार ने देश भर में अपने मुखर विरोधी राज्य सरकारों के खिलाफ ईडी, सीबीआइ का दुरुपयोग किया है। विरोधी दलों की सरकारों को प्रताड़ित करने का काम किया है। पं. बंगाल में तृणमूल की ममता बेनर्जी, झारखंड हेमंत सोरेन सरकार, दिल्ली के केजरीवाल के उप मुख्यमंत्री सिसोदिया, पंजाब में पूर्व कांग्रेस की चन्नी सरकार जैसे अनेकों उदाहरण हैं, जहां पर भाजपा ने केंद्रीय एजेंसियों के माध्यम से भय और आतंक फैलाने का प्रयास किया है। छत्तीसगढ़ में की गई ईडी की कार्रवाई भी भाजपा के उन्हीं षड़यंत्रों का हिस्सा है।