रायपुर। बाबा बागेश्वर धाम राजनीति के फंदे में बुरी तरह फंसते दिखाई पड़ रहे हैं। गिरिराज प्रसाद सिंह और नरोत्तम मिश्रा जैसे भाजपा के कई नेताओं ने बाबा बागेश्वर धाम सरकार के पुजारी पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के पक्ष में बयान देना शुरू कर दिया है। इन नेताओं ने कहा है कि पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के बहाने सनातन धर्म और हिंदुत्व पर निशाना साधा जा रहा है। वहीं, विपक्ष के कई नेताओं ने बाबा के चमत्कार को जनता को भ्रमित करने वाला और गुमराह करने वाला बताया है और उन पर कार्रवाई करने की मांग की है। चूंकि बाबा बागेश्वर धाम सरकार के कैंप में धर्म परिवर्तन कराकर लोगों की हिंदू धर्म में वापसी भी कराई जा रही है, और इसी साल छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव होने हैं, जहां अवैध धर्मांतरण बड़ा मुद्दा बन गया है, धीरेंद्र शास्त्री पर सियासत बढ़ती जा रही है।
धीरेंद्र शास्त्री पर सबसे कठोर हमला समाजवादी पार्टी के नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने किया है। उन्होंने कहा है कि पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री अपने बयानों से जनता को भ्रमित कर रहे हैं। उन्होंने जनता में अंधविश्वास फैलाने के लिए उन्हें जेल में डालने तक की मांग की है। एक दिन पहले उन्होंने रामचरित मानस पर भी हमला किया था और कहा था कि इस ग्रंथ की कुछ पंक्तियों को निकाल देना चाहिए। उनके इस बयान पर काफी विवाद भी हुआ था।
छत्तीसगढ़ में इसी साल विधानसभा चुनाव होने हैं। यहाँ अवैध धर्मांतरण लंबे समय से एक बड़ा मुद्दा रहा है। बाबा बागेश्वर धाम सरकार के दरबार में कई मुस्लिम-ईसाई धर्म के लोगों की घर वापसी कराकर उन्हें सनातन धर्म में वापस लाया जा चुका है। यही कारण है कि छत्तीसगढ़ में बाबा बागेश्वरधाम सरकार के पक्ष-विपक्ष में कई स्वर सुनाई पड़ने लगे हैं।
भूपेश बघेल ने की सधी बयानबाजी
कांग्रेस के कुछ नेताओं ने धीरेंद्र शास्त्री के विरुद्ध टिप्पणी की, तो मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने सधी हुई प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि साधना के बल पर कई लोग सिद्धियां प्राप्त करते रहे हैं। लेकिन इनका उपयोग जनता के हितों के लिए किया जाना चाहिए, इससे कोई भ्रम न फैले, इस बात का ध्यान रखा जाना चाहिए। इसके पहले कांग्रेस नेता कल्कि पीठाधीश्वर आचार्य प्रमोद कृष्णम ने कहा था कि भारत की जनता धर्म के प्रति बेहद संवेदनशील है और नेताओं को धर्म से जुड़े मुद्दों पर टिप्पणी करते समय यह ध्यान रखना चाहिए कि जनता की भावनाओं को ठेस न पहुंचे। हालांकि, उन्होंने धार्मिक नेताओं को भी किसी राजनीतिक पार्टी के प्रवक्ता की तरह बात करने से बचने की सलाह भी दी थी।
छत्तीसगढ़ में हुई अवैध धर्मांतरण कानून की मांग
मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में अवैध धर्मांतरण कराने का आरोप लंबे समय से लगता रहा है। आरएसएस, विश्व हिंदू परिषद और हिंदुत्व के मुद्दे उठाने वाली कई अन्य संगठनों का आरोप रहा है कि इन राज्यों में अवैध धर्मांतरण कराया जाता रहा है। सबसे ज्यादा आरोप ईसाई मिशनरियों पर लगता रहा है कि वे झूठे चमत्कार दिखाकर और आर्थिक लाभ का लालच देकर गरीब आदिवासियों का बडे़ स्तर पर धर्मांतरण कराते रहे हैं। भाजपा समय-समय पर इस मुद्दे को चुनावों के दौरान भी उठाती रही है और कई राज्यों में अवैध धर्मांतरण के विरुद्ध कानून भी बना चुकी है।
मध्यप्रदेश ने उत्तर प्रदेश के कानून की तर्ज पर धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम 2020 बनाया है, जिसमें अवैध धर्मांतरण कराने पर 10 साल तक की सजा का प्रावधान है। इसी प्रकार के कानून कई अन्य भाजपा शासित राज्यों में भी बनाए गए हैं। भाजपा का पक्ष है कि इन कानूनों से अवैध धर्मांतरण कराने की घटनाओं पर रोक लगेगी। इससे कथित तौर पर लव जिहाद की घटनाओं को रोकने में भी मदद मिलने की बात कही गई थी।
विश्व हिंदू परिषद (विहिप) ने आरोप लगाया था कि छत्तीसगढ़ में धर्मांतरण कराकर आदिवासियों-जनजातियों की पहचान नष्ट करने की कोशिश की जा रही है। संगठन ने छत्तीसगढ़ में भी उत्तर प्रदेश-मध्यप्रदेश जैसा कानून लाकर अवैध धर्मांतरण को रोकने की मांग की है। संगठन ने कहा है कि जिन राज्यों में अवैध धर्मांतरण विरोधी कानून बने हैं, वहां अवैध धर्मांतरण की घटनाओं में कमी आई है।