जीएसटी परिषद् की 48वीं बैठक – फोटो : Social Media
नई दिल्ली। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने दिल्ली में वर्चुअल मोड के माध्यम से जीएसटी परिषद की 48वीं बैठक की अध्यक्षता की। बैठक के बाद वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि जीएसटी परिषद् की बैठक के दौरान एजेंडा के 8 बिंदुओं को पूरा किया। जीओएम के दो मुद्दे थे जिन पर चर्चा करने की आवश्यकता थी लेकिन उन पर विचार नहीं किया जा सका ये तंबाकू और गुटखा पर क्षमता-आधारित कराधान और जीएसटी न्यायाधिकरण की स्थापना से संबंधित थे।
# अभियोजन शुरू करने की राशि सीमा 1 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 2 करोड़ रुपये की गई
वहीं राजस्व सचिव ने बैठक के बाद बताया कि जीएसटी परिषद् की बैठक के दौरान जो फैसले लिए गए उनमें किसी भी अधिकारी को अपने कर्तव्यों का निर्वहन करने से रोकने सहित कुछ मामलों का गैरअपराधीकरण करना और जीएसटी कानूनों के तहत किसी भी मामले में अभियोजन शुरू करने की राशि सीमा सीमा 1 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 2 करोड़ रुपये करना (नकली चालान को छोड़कर) आदि शामिल हैं। जीएसटी परिषद की बैठक के बाद राजस्व सचिव ने कहा कि दालों की भूसी पर कर की दर 5 प्रतिशत से घटाकर शून्य कर दी गई है। बैठक में रिफाइनरियों के लिए पेट्रोल के साथ इथेनॉल मिश्रण की अनुमति 5% की रियायती दर पर दी गई है।
शनिवार को शुरू हुई जीएसटी परिषद की बैठक के दौरान जीएसटी कानून के तहत अपराधों को गैर-अपराधीकरण, अपीलीय न्यायाधिकरणों की स्थापना और पान मसाला और गुटखा कारोबार में कर चोरी रोकने के लिए तंत्र बनाने पर चर्चा की गई।
इससे पहले बताया गया था कि इस बैठक के दौरान ऑनलाइन गेमिंग और कैसीनो पर जीएसटी से जुड़े मुद्दों पर भी विचार-विमर्श किया जा सकता है। मेघालय के मुख्यमंत्री कॉनराड संगमा की अध्यक्षता में पिछले साल इस मुद्दे पर गठित मंत्रियों के समूह (जीओएम) ने गुरुवार को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को इससे जुड़ी अपनी रिपोर्ट सौंपी थी।
बैठक के पहले कयास लग रहे थे कि बैठक के दौरान कुछ वस्तुओं और सेवाओं में दर प्रयोज्यता पर स्पष्टता दी जाएगी। वित्त मंत्रालय ने ट्वीट किया, “केंद्रीय वित्त मंत्री श्रीमती @nsitharaman ने आज नई दिल्ली में वर्चुअल माध्यम से जीएसटी परिषद की 48वीं बैठक की अध्यक्षता की।”
# जीएसटी परिषद की कानून समिति ने अभियोजन शुरू करने के लिए मौद्रिक सीमा बढ़ाने का दिया था सुझाव
जीएसटी कानूनों के तहत अपराधों के गैर-अपराधीकरण के संबंध में जीएसटी परिषद की कानून समिति, जिसमें केंद्र और राज्यों के कर अधिकारी शामिल हैं ने परिषद को जीएसटी अपराधों के लिए अभियोजन शुरू करने के लिए मौद्रिक सीमा बढ़ाने का सुझाव दिया था।
कानून समिति ने यह भी सुझाव दिया था कि जीएसटी अपराधों के कंपाउंडिंग के लिए करदाता की ओर से देय शुल्क को कर राशि के 25 प्रतिशत तक कम कर दिया जाना चाहिए। यह वर्तमान में 150 प्रतिशत तक है। समिति ने यह बात व्यापार करने में आसानी में सुधार (Ease of doing business) की दृष्टि से कही है।
सूत्रों ने कहा है कि पान मसाला और गुटखा कंपनियों की ओर से कर चोरी पर जीओएम की रिपोर्ट पर परिषद की बैठक में चर्चा होनी थी। सूत्रों के अनुसार माल और सेवा कर अपीलीय न्यायाधिकरण (GSTATs) की स्थापना के संबंध में GoM ने सुझाव दिया है कि न्यायाधिकरणों में दो न्यायिक सदस्य और केंद्र और राज्यों के एक-एक तकनीकी सदस्य के अलावा अध्यक्ष के रूप में एक सेवानिवृत्त सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश को शामिल किया जाना चाहिए। GSTATS पर GoM का गठन जुलाई में हरियाणा के उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला की अध्यक्षता में किया गया था।