नई दिल्ली। कोई भी खिलाड़ी हो उसका सपना होता है कि वह अपने क्रिकेट करियर में कम से कम एक बार वर्ल्ड कप की ट्रॉफी उठा सके, लेकिन युवराज सिंह उन सौभाग्यशाली खिलाड़ियों में से हैं, जिन्हें एक नहीं दो-दो बार वर्ल्ड कप की ट्रॉफी उठाने का मौका मिला है।
वह टी20 वर्ल्ड कप 2007 में भी टीम का हिस्सा थे और जब टीम इंडिया ने 2 अप्रैल 2011 को दूसरी बार वनडे वर्ल्ड कप का खिताब जीता को उसके सूत्रधार भी युवराज सिंह ही थे।
आंकड़ो से कहीं ऊपर हैं युवराज सिंह
402 इंटरनेशनल मैच, 11,778 रन, 17 शतक और 148 विकेट लेकिन बावजूद इसके ये युवराज के क्रिकेट करियर के साथ न्याय नहीं है क्योंकि वह इन आंकड़ों से कहीं ऊपर हैं। वह एक खिलाड़ी नहीं एक जुनून हैं।
उनके जुनून को समझने के लिए हम 2011 वर्ल्ड कप के फ्लैश बैक में जाना होगा। जब युवराज का नाम इस मेगा इवेंट के लिए टीम में आया था तब उन्हें सांस संबंधी कठिनाईयों का सामना कर रहे थे। डॉक्टर ने टेस्ट करवाने की हिदायत दी और साथ में सलाह दिया कि हो सके तो वह वर्ल्ड कप न खेलें, लेकिन युवराज के मन में अपने देश के प्रति जुनून ने उन पर इस चीज को हावी होने नहीं दिया।
वर्ल्ड कप 2011 में सोने की तरह चमके युवराज
वर्ल्ड कप 2011 में युवराज प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट बने। उन्होंने उस वर्ल्ड कप में न केवल 362 रन बनाए बल्कि 15 विकेट भी झटके। उन्होंने उस दौरान एक सेंचुरी और 4 हाफ सेंचुरी लगाई। इतना ही नहीं 4 बार मैन ऑफ द मैच भी बने। यदि टीम इंडिया 28 साल बाद वर्ल्ड कप की ट्रॉफी उठा सकी तो उसके पीछे युवराज की मेहनत और उनका कभी न हार मानने वाला जुनून था।
इस चैंपियन खिलाड़ी ने 10 जून 2019 को इंटरनेशनल क्रिकेट और आइपीएल करियर से रिटायरमेंट की घोषणा कर दी। कैंसर को मात देने वाले युवराज अब अपना YouWeCan नाम की चैरिटी रन करते हैं, जो कैंसर पीड़ित लोगों के इलाज में मदद करती है।