अकलतरा। उत्तर प्रदेश के नोएडा के बारे में यह मिथक प्रचलित है कि वहां जो भी पदासीन मुख्यमंत्री जाता है वह अगला चुनाव हार जाता है। इस मिथक को वर्तमान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने तोड़ा है। ऐसा ही मिथक जांजगीर चांपा जिले की अकलतरा को लेकर भी प्रचलित है कि जो सीएम यहां आते हैं उन्हें दोबारा कुर्सी नहीं मिलती है।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल भेंट मुलाकात कार्यक्रम के तहत चुनाव से पूर्व प्रदेश के सभी 90 विधानसभा क्षेत्रों तक पहुंच रहे हैं। मुख्यमंत्री जिले की अन्य सीटों तक पहुंचे हैं, परंतु अकलतरा का कार्यक्रम अब तक नहीं बना है। ऐसे में सबकी निगाह इस बात पर लगी है कि वे अकलतरा मुख्यालय आएंगे या नहीं?
वर्ष 1958 में अविभाजित मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कैलाशनाथ काटजू यहां आए थे। वे दोबारा मुख्यमंत्री नहीं बने। फिर वर्ष 1973 में यहां मुख्यमंत्री प्रकाशचंद सेठी का आगमन हुआ, वे भी दोबारा मुख्यमंत्री नहीं बन सके। इसके बाद यहां वर्ष 2002 में अजीत जोगी मुख्यमंत्री रहते हुए आए थे। उसके बाद विधानसभा चुनाव हुआ तो दोबारा न तो वे मुख्यमंत्री बने और न ही कांग्रेस की सरकार आई।
सीएम जोगी से पूर्व मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्रियों ने भी 29 सालों तक अकलतरा आने से परहेज किया था। छत्तीसगढ़ क्षेत्र से दो बार मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे पं. श्यामाचरण शुक्ल, अर्जुन सिंह, सुंदरलाल पटवा, दिग्विजय सिंह और फिर डा. रमन सिंह ने भी 15 सालों में एक बार भी अकलतरा नगर में कदम नहीं रखा। 2018 के चुनावी कैंपेन में अकलतरा से लगी पंचायत तरौद चौक में वे जरूर पहुंचे, लेकिन उसके बाद भाजपा सत्ता से बाहर हो गई।
इन उदाहरणों को पेश करके स्थानीय नेता भी मुख्यमंत्रियों को यहां नहीं आने को लेकर आगाह करते हैं। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रवि सिसोदिया ने बताया कि अकलतरा शहर को लेकर यह मिथक वर्षों से है। हालांकि पूरे विधानसभा क्षेत्र के लिए ऐसी धारणा नहीं है।
नगर पालिका के पूर्व व कांग्रेस नेता मोहम्मद इमरान खान ने बताया कि अकलतरा को लेकर यह मिथक वे भी बचपन से सुनते आ रहे हैं कि इस शहर में आने वाले मुख्यमंत्री दोबारा इस पद पर वापसी नहीं करते। चूंकि भूपेश बघेल सभी विधानसभा क्षेत्र में भेंट मुलाकात कार्यक्रम के तहत पहुंच रहे हैं। ऐसे में अब अकलतरा विधानसभा क्षेत्र के अलावा जिलेवासियों की भी नजर इस पर है कि मुख्यमंत्री भेंट मुलाकात में अकलतरा आएंगे या नहीं?
चाय पीने उतरे और मुख्यमंत्री रहते हुए हारे विधानसभा
कैलाश नाथ काटजू 1957 में दूसरी बार मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री बने थे। इसी दौरान वे ट्रेन से रायगढ़ जा रहे थे। कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने अकलतरा स्टेशन के प्लेटफार्म पर उनका स्वागत किया। वे चाय पीने के लिए उतरे फिर रायगढ़ रवाना हो गए। अगला विधानसभा चुनाव वे मुख्यमंत्री रहते हुए भी हार गए। हालांकि नरसिंहगढ़ रियासत के राजा भानुप्रताप सिंह ने अपनी सीट खाली कर उन्हें वहां से विधानसभा चुनाव लड़ने को कहा और उपचुनाव में वे विधानसभा सीट जीत गए परंतु मुख्यमंत्री नहीं बन सके।
नोएडा की भी ऐसी ही कहानी थी, योगी ने तोड़ा मिथक
उत्तर प्रदेश के नोएडा के बारे में प्रचलित था कि जो भी मुख्यमंत्री वहां जाता है वह दोबारा सत्ता में नहीं आता है। इस अंधविश्वास के चलते 2017 तक 29 वर्षों में सिर्फ मायावती ही नोएडा गई थीं। वह 2011 में मुख्यमंत्री रहते हुए नोएडा गईं और 2012 में चुनाव हार गईं। अखिलेश यादव मुख्यमंत्री रहते हुए कभी नोएडा नहीं गए। वहां गए तो हेलीकाप्टर से नीचे नहीं उतरे। दिसंबर 2017 में मुख्यमंत्री रहते हुए योगी आदित्यनाथ नोएडा गए और बता दिया कि भले ही वह पूजा पाठ करते हैं परंतु अंधविश्वास में नहीं पड़ते हैं। योगी आदित्यनाथ इसके बाद 20 बार नोएडा गए। 2022 का चुनाव जीतकर दोबारा मुख्यमंत्री भी बने।