नईदिल्ली I सुप्रीम कोर्ट द्वारा राजीव गांधी के दोषियों की रिहाई को कांग्रेस ने ‘अस्वीकार्य’ और ‘गलत’ बताया है. पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने आरोप लगाया कि देश की शीर्ष अदालत ने भारत की भावना के अनुरूप कदम नहीं उठाया. कोर्ट ने राजीव गांधी हत्याकांड के 6 दोषियों को शुक्रवार, 11 नवंबर को रिहा कर दिया है. बताया जाता है कि खुद सोनिया गांधी ने भी दोषियों की रिहाई की अपील की थी, जबकि कांग्रेस ने सोनिया की मांग पर असहमति जताई. कांग्रेस के एक प्रवक्ता ने कहा कि यह उनके निजी विचार हो सकते हैं लेकिन पार्टी इससे इत्तेफाक नहीं रखती.
एक प्रेस कांफ्रेंस में कांग्रेस प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी से पूछे जाने पर कि प्रियंका गांधी ने नलिनी से मुलाकात की और सोनिया गांधी ने पूर्व पीएम राजीव गांधी की हत्या के दोषियों पर एक बयान दिया, सिंघवी ने कहा, “सोनिया गांधी हों, या उनके ऊपर कोई भी, वे अपने निजी विचारों की हकदार हैं. लेकिन पार्टी इससे सहमत नहीं है और अपना रुख साफ कर दिया है.” कांग्रेस ने कहा, “जिस अपराध में पूर्व प्रधानमंत्री जी की हत्या हुई है उसमें ऐसी रिहाई का आदेश देना गैर-कानूनी है.”
सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले से पहले मई महीने में कोर्ट ने मामले में एक और दोषी पेरारिवलन को भी रिहा कर दिया था, जिसपर राहुल गांधी ने कहा था कि उन्हें “पेरारिविलन की रिहाई से कोई दिक्कत नहीं है.”
राजीव गांधी की हत्या कोई ‘लोकल मर्डर नहीं’
अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा, “हम उस रुख पर कायम हैं (दोषियों की रिहाई नहीं की जानी चाहिए) क्योंकि हमारे मुताबिक देश की संप्रभुता, अखंडता, राष्ट्र की पहचान एक सिटिंग या पूर्व प्रधानमंत्री की हत्या के साथ जुड़ा है. शायद इसलिए केंद्र सरकार भी इस संबंध में राज्य सरकार के विचार से कभी सहमत नहीं हुई.” कांग्रेस प्रवक्ता अभिषेक सिंघवी ने कहा कि “राजीव गांधी की हत्या कोई अन्य अपराध की तरह नहीं है, यह एक राष्ट्रीय मामला है, यह कोई लोकल मर्डर नहीं है.”
एमके स्टालीन ने किया SC के फैसले का स्वागत
पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या में उम्रकैद की सजा काट रहे 6 दोषियों की रिहाई की तमिलनाडु सरकार ने सराहना की है. एक न्यूज एजेंसी के मुताबिक राज्य के मुख्यमंत्री एमके स्टालीन ने कहा, “मैं 6 लोगों की रिहाई पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत करता हूं. यह फैसला इस बात का सबूत है कि निर्वाचित सरकार के फैसलों को राज्यपालों द्वारा नियुक्त पदों पर नहीं टाला जाना चाहिए.”
SC को फैसला देने के लिए “मजबूर” होना पड़ा
राजीव गांधी के दोषियों को 9 सितंबर 20211 में फांसी दी जानी थी, लेकिन मद्रास हाई कोर्ट ने उनकी फांसी पर रोक लगा दी थी. इसके बाद स्वर्गीय जयललिता की अगुवाई वाली तमिलनाडु सरकार ने भी एक प्रस्ताव पारित किया था और दोषियों की मौत की सजा को कम करने की मांग की थी. बाद में राज्य सरकार ने सभी दोषियों की रिहाई की मांग की. दोषियों ने रिहाई के संबंध में राज्य के गवर्नर को भी चिट्ठी लिखी थी, लेकिन राज्य गवर्नर ने भी इस पर फैसला नहीं किया. अंत में सुप्रीम कोर्ट को मामले पर फैसला देने के लिए “मजबूर” होना पड़ा.