छत्तीसगढ़ः राज्यपाल का सीएम को पत्र, कहा-विधानसभा का विशेष सत्र बुला आरक्षण विधेयक करवाएं पारित

रायपुर। छत्तीसगढ़ में आरक्षण कटौती के मुद्दे पर कांग्रेस और भाजपा के बाद अब राज्यपाल अनुसूईया उइके भी सामने आईं हैं। उन्होंने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को चिट्‌ठी लिखकर जनजातियों की आरक्षण बहाली के लिए राज्य सरकार द्वारा किए गए प्रयासों की जानकारी मांगी है। साथ ही पत्र में उन्होंने लिखा है कि इस संबंध में विधानसभा का ‌विशेष सत्र बुलाकर विधेयक पारित करें या अध्यादेश से समस्या का समाधान किया जाए।

उइके ने बघेल को लिखे पत्र में कहा है कि इस मुद्दे का जल्द से जल्द निराकरण किया जाए। जनजातीय समाज के राजनीतिक एवं गैर राजनीतिक संगठन, अधिकारी व कर्मचारी संगठनों द्वारा प्रदर्शन कर आरक्षण बहाली की मांग की जा रही है। इस स्थिति से जनजातीय समाज में असंतोष है। कानून व्यवस्था की स्थिति निर्मित हो रही है।

जनजातीय बाहुल्य प्रदेश होने के कारण बतौर राज्यपाल जनजातीय हितों का संरक्षण करना मेरी जिम्मेदारी है। दरअसल, बिलासपुर हाईकोर्ट ने दो महीने पहले एक आदेश दिया था। जिसके बाद आदिवासियों का आरक्षण 32 प्रतिशत से घटकर 20 % हो गया है। इसके कारण प्रदेश में शासकीय विभागों की भर्तियों पर रोक लग गई है।

सरकार ने कहा: अध्ययन करने दूसरे राज्य भेज रहे दल
इस मुद्दे पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल पहले ही आदिवासी समाज के प्रतिनिधियों से मुलाकात के बाद उनसे कहा है कि वे आरक्षण का अध्ययन दल तमिलनाडू, कर्नाटक व महाराष्ट्र का दौरा करेगा। समाज का प्रतिनिधि मंडल भी दूसरे राज्यों की आरक्षण व्यवस्था की स्टडी करेगा ताकि, अधिकारियों के अध्ययन दल से कोई बात छूट जाए तो वे इसे सामने ला सकें। सीएम ने आदिवासी नेताओं को भरोसा दिलाया है कि जरूरत पड़ी तो विशेष सत्र भी बुलाया जाएगा।

शासन लेगा निर्णय
भाजपा प्रवक्ता देवलाल ठाकुर ने हाल ही में राज्यपाल से मुलाकात कर आरक्षण की स्थिति स्पष्ट की थी। उन्होंने बताया था कि हाईकोर्ट ने 58 प्रतिशत के आदेश को गलत करार दिया है। ऐसे में अब शासन को नई आरक्षण व्यवस्था लागू करनी है। किस जाति को कितने प्रतिशत आरक्षण देना है, यह शासन तय करें। वर्तमान में आरक्षण शून्य है। ऐसे में कोई भी भर्ती नहीं हो सकती है।

मेडिकल प्रवेश में रोस्टर से विवाद
मेडिकल शिक्षा में प्रवेश के लिए बने आरक्षण रोस्टर पर विवाद खड़ा हो गया है। चिकित्सा शिक्षा संचालक ने इसके लिए अनुसूचित जाति को 16 फीसदी, अनुसूचित जनजाति को 20 फीसदी, और अन्य पिछड़ा वर्ग को 14 फीसदी आरक्षण के मान से रोस्टर बनाया है। आदिवासी समाज के युवाओं ने रोस्टर पर आपत्ति जताई है। वहीं उच्च न्यायालय में तीन अवमानना याचिकाएं दाखिल की गई हैं। सोमवार को उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश की अदालत में इसकी सुनवाई हो सकती है। इससे पहले ही चिकित्सा शिक्षा संचालनालय ने अपने बनाए रोस्टर के मुताबिक आवंटन सूची जारी कर दी है।