इसरो बनाएगा अपना स्पेस स्टेशन, पेश किया 2035 तक का प्लान

नईदिल्ली I भारत 2035 तक अपना खुद का स्पेस स्टेशन स्थापित करने की योजना बना रहा है. इसके लिए भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने उद्योग जगत के सामने अपना एक प्लान पेश किया है. इसरो भारी-भरकम पेलोड कक्षा में स्थापित करने और दोबारा इस्तेमाल किए जाने वाले रॉकेट बनाने की कोशिश में है. ऐसे रॉकेट को अगली पीढ़ी के प्रक्षेपण यान (एनजीएलवी) कहा गया है. इसरो के अध्यक्ष एस सोमनाथ ने कहा कि अंतरिक्ष एजेंसी रॉकेट के डिजाइन पर काम कर रही है और चाहेगी कि इसके विकास में उद्योग उसके साथ साझेदारी करें.

सोमनाथ ने कहा, विकास प्रक्रिया में उद्योग जगत को साथ लाने का इरादा है. हमें सारा पैसा निवेश करने की जरूरत नहीं है. हम चाहते हैं कि हम सभी के लिए इस रॉकेट के निर्माण में उद्योग निवेश करे. उन्होंने कहा कि रॉकेट से भूस्थैतिक स्थानांतरण कक्षा (जीटीओ) में 10 टन पेलोड ले जाने या पृथ्वी की निचली कक्षा में 20 टन पेलोड ले जाने की योजना है.

इसरो के एक अन्य अधिकारी ने कहा कि नया रॉकेट मददगार होगा क्योंकि भारत की 2035 तक अपना अंतरिक्ष केंद्र स्थापित करने की योजना है और गहरे अंतरिक्ष मिशन पर, मानवीय अंतरिक्ष उड़ानों, मालवहन मिशनों और एक ही समय में कक्षा में अनेक संचार उपग्रहों को स्थापित करने पर भी उसकी नजर है. एनजीएलवी को भारी मात्रा में उत्पादन के लिए सामान्य, मजबूत मशीन के रूप में डिजाइन किया गया है. इससे अंतरिक्ष में परिवहन किफायती होगा.

2030 तक प्रक्षेपण की योजना

सोमनाथ ने कहा कि ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (पीएसएलवी) 1980 के दशक में विकसित प्रौद्योगिकी पर आधारित हैं और भविष्य में रॉकेट प्रक्षेपित करने में इनका इस्तेमाल नहीं किया जा सकता. इसरो की एनजीएलवी की डिजाइन एक साल में तैयार करने की योजना बनाई है और 2030 में संभावित रूप से प्रस्तावित इसके पहले प्रक्षेपण के साथ उद्योग जगत को इनके उत्पादन के लिए पेशकश की जा सकती है.

रॉकेट बनाने में हजारों डॉलर का खर्च

एनजीएलवी हरित ईंधन से संचालित तीन स्तर वाला रॉकेट हो सकता है जिसमें मीथेन और तरल ऑक्सीजन या केरोसिन और तरल ऑक्सीजन का इस्तेमाल किया जा सकता है. सोमनाथ द्वारा इस महीने की शुरुआत में एक सम्मेलन में पेश किए गए प्लान के मुताबिक एनजीएलवी दोबारा इस्तेमाल किए जाने वाले स्वरूप में 1900 डॉलर प्रति किलोग्राम की लागत में और उत्सर्जनीय स्वरूप में 3000 डॉलर प्रति किलोग्राम की दर से पेलोड ले जा सकता है.