रायपुर। छत्तीसगढ़ में जल्द ही राष्ट्रीय स्तर के सिकलसेल रिसर्च सेंटर की स्थापना की जाएगी। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने रविवार को इसकी घोषणा की। मुख्यमंत्री ने प्रदेश के सभी मेडिकल कॉलेजों और जिला अस्पतालों में बने नये सिकलसेल प्रबंधन केंद्रों का उद्घाटन किया। यह समारोह मुख्यमंत्री निवास में आयोजित हुआ था। सभी मेडिकल कॉलेज और जिला अस्पताल इससे वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिये जुड़े हुए थे।
इस उद्घाटन समारोह के पूरा होने के साथ ही प्रदेश के 24 जिला अस्पतालों, नौ मेडिकल कॉलेजों और राजधानी रायपुर स्थित सिकलसेल संस्थान में सिकलसेल की निःशुल्क जांच, उपचार और परामर्श की सुविधा शुरू हो गई है। मुख्यमंत्री ने कहा कि सिकलसेल एक गंभीर अनुवांशिक बीमारी है। इस रोग से भावी पीढ़ियों को बचाने के लिए इस रोग के प्रति जागरूकता सबसे ज्यादा आवश्यक है। सिकलसेल के मरीजों की जल्द पहचान करने के बाद उचित चिकित्सकीय प्रबंधन और दवाओं से इसके शारीरिक दुष्प्रभावों को कम किया जा सकता है। इसके लिए आवश्यक है कि रोगियों को उचित उपचार सरलता से उपलब्ध हो।
साथ ही सिकलसेल के अनुवांशिक गुण वाले व्यक्तियों की पहचान विवाह से पूर्व कर उन्हें इस पर आवश्यक परामर्श देकर इस रोग के प्रसार को भावी पीढ़ी में कम किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि इस रोग को छुपाना नहीं चाहिए। पहचान होने पर इसका अस्पताल में इलाज कराना चाहिए। स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने कहा, राष्ट्रीय स्तर के रिसर्च सेंटर की स्थापना के लिए प्रयास किए जा रहे हैं। इसका जल्द ही शिलान्यास होगा। उन्होंने कहा कि सिकलसेल प्रबंधन केन्द्रों में निःशुल्क जांच, उपचार और परामर्श सुविधा से पीड़ितों को बड़ी राहत मिलेगी।
प्रत्येक रोगी का रिकॉर्ड रखेगा संस्थान
स्वास्थ्य विभाग के सचिव प्रसन्ना आर. ने सिकलसेल प्रबंधन केन्द्रों की व्यवस्था की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि अब तक किए गए सर्वे में प्रदेश की 10% आबादी सिकलसेल वाहक पाई गई है। वहीं आबादी के 1% सिकलसेल रोगी पाए गए हैं। सिकलसेल प्रबंधन केन्द्रों में विशेष रूप से उपचार प्राप्त कर रहे प्रत्येक सिकलसेल रोगी की इलेक्ट्रानिक एण्ट्री की जाएगी। सिकलसेल संस्थान के पोर्टल इस सूची को रखा जाएगा। उन्हें नियमित फॉलो-अप और दवा के लिये संपर्क किया जाएगा।
नये सिकलसेल केंद्रों में जांच की आधुनिक सुविधा
बताया गया, नये बने सिकलसेल प्रबंधन केन्द्रों में सिकलसेल की जांच एवं उपचार की सुविधा मिलेगी। इसके साथ अस्पताल की प्रयोगशाला के माध्यम से साल्युबिटी टेस्ट के जरिये स्क्रीनिंग एवं इलेक्ट्रोफोरेसिस तथा नई विधि पॉइंट ऑफ केयर टेस्ट से सिकलसेल की पुष्टि हेतु जांच उपलब्ध कराई जाएगी। इस पद्धति से अभियान चलाकर भी सिकलसेल मरीजों की पहचान की जा सकती है।