छत्तीसगढ़: पेट के बल लेटी महिलाओं के ऊपर चले बैगा, संतान प्राप्ति के लिए अनोखी परंपरा;मां अंगारमोती के मंदिर में उमड़ी भारी भीड़ 

छत्तीसगढ़ में संतान प्राप्ति के लिए अनोखी परंपरा;मां अंगारमोती के मंदिर में उमड़ी भारी भीड़|धमतरी,Dhamtari - Dainik Bhaskar

धमतरी। जिले में मां अंगार मोती के दरबार में शुक्रवार को मड़ई मेला लगा। इस मौके पर संतान प्राप्ति की इच्छा लेकर सैकड़ों महिलाएं जमीन पर लेटीं और बैगा (पंडा) उनके ऊपर चलते नजर आए। लोगों की मान्यता है कि जो महिलाएं संतानहीन हैं, उनके ऊपर अगर बैगा चलें, तो उन्हें संतान हो जाएगी।

संतान की कामना लिए 300 से ज्यादा महिलाएं हाथ में नारियल, नींबू, फूल पकड़कर मां अंगार मोती के दरबार के सामने जमीन पर लेटीं। सुहागिनों के ऊपर शाम 4.45 बजे चलकर मंदिर के मुख्य पुजारी ईश्वर नेताम ने उन्हें आशीर्वाद दिया। जमीन पर लेटने वाली सुहागिनों की भीड़ इतनी ज्यादा रही कि मां अंगार मोती के दरबार से लेकर मंदिर के प्रवेश द्वार तक करीब 400 मीटर तक का रास्ता उनसे भर गया। वैसे हैरानी इस बात की है कि इस परंपरा को मानने वालों में पढ़ी-लिखी महिलाएं भी शामिल हैं।

मड़ई मेले में उमड़ी भारी भीड़। - Dainik Bhaskar

मड़ई मेले में उमड़ी भारी भीड़।

ऐसी मान्यता है कि बैगा के ऊपर देवी का वास होता है और जो महिला बैगा के पैरों से कुचली जाती है, उसे देवी का आशीर्वाद मिलता है। उसकी संतान प्राप्ति की इच्छा पूरी होती है। महिलाओं को पैरों से रौंदा जाता है और इसके साथ ही उनके पेट पर स्थानीय लोकगीत भी गाए जाते हैं।

तकनीक के दौर में आस्था

सबसे बड़ी बात तो ये है कि आज की तारीख में जब मेडिकल साइंस ने इतनी तरक्की कर ली है और टेस्ट ट्यूब से लेकर IVF तक की मदद से बच्चे होने लगे हैं, तब धमतरी में बैगाओं को खुद के ऊपर से गुजरने देना हैरान करता है।

मड़ई मेले का आयोजन। - Dainik Bhaskar

मड़ई मेले का आयोजन।

इस मड़ई मेला में बांध में डूबे 52 गांव के देव-विग्रह लेकर आदिवासी बैगा शामिल हुए। दिवाली के बाद पहला मड़ई होने के कारण भीड़ इतनी ज्यादा थी कि सड़क पर पैर रखने तक की जगह नहीं थी। मड़ई स्थल खचाखच भरा रहा। यहां बच्चों के लिए झूले भी लगाए गए, जिसका सभी उम्र के लोगों ने लुत्फ उठाया। मां अंगार मोती के दरबार में मड़ई करीब 2 किमी के सर्कल में लगा। इस दौरान 50 से अधिक युवाओं ने 35 फीट तक लंबी डांग पकड़कर मड़ई स्थल की 3 बार परिक्रमा की, फिर माता के दरबार में आए।

मां अंगार मोती मंदिर में पूजा करते पुजारी। - Dainik Bhaskar

मां अंगार मोती मंदिर में पूजा करते पुजारी।

गंगरेल मड़ई में करीब 30 से 35 हजार की भीड़ उमड़ी। मंदिर के सामने बैगाओं ने शाम 5 बजे से आस्था का प्रदर्शन किया। बैगाओं ने त्रिशूल, कासल, सांकल हाथ में रखकर अपनी संस्कृति का प्रदर्शन किया। करीब 52 गांव से आए बैगाओं ने मेला स्थल का 3 बार चक्कर लगाया और मां अंगार मोती के दरबार में आए। पीछे-पीछे 50 से अधिक युवा 35 फीट तक लंबी डांग लेकर दौड़ते हुए देवी का स्मरण किया।

संतान प्राप्ति की कामना से लेटी महिलाएं। - Dainik Bhaskar

संतान प्राप्ति की कामना से लेटी महिलाएं।

44 साल पहले चंवरगांव में होता था मड़ई

मां अंगार मोती मंदिर के पुजारियों के मुताबिक, पहले जब गंगरेल बांध नहीं बना था, तब ग्राम चंवर में यह मड़ई होता था। चंवर गंगरेल बांध में डूब गया। बांध बनने के बाद साल 1978 से (44 साल) मां अंगार मोती के दरबार में यह मड़ई मेला लगता है। वन देवी मां अंगार मोती का मंदिर बांध के तट पर है। लोग यहां से भी बांध का नजारा लेते हैं।

महिलाओं के ऊपर से चलते हैं बैगा। - Dainik Bhaskar

महिलाओं के ऊपर से चलते हैं बैगा।

4 जगह बनाए गए हैं पार्किंग स्थल

यातायात प्रभारी केदेव राजू ने बताया कि गंगरेल मड़ई में शुक्रवार को खूब भीड़ रही। यातायात पुलिस ने 4 जगह पार्किंग स्थल बनाए हैं। इनमें पीटीएस गंगरेल, मानव वन पार्किंग और गार्डन के पास पार्किंग स्थल शामिल है। तीनों जगह पर यातायात पुलिस के अलावा अन्य अफसर तैनात थे। इधर मड़ई खत्म होने के बाद देर शाम को सड़क पर जाम की स्थिति बनी, जिसे दुरुस्त करने में पुलिस अधिकारियों और जवानों को खूब पसीना बहाना पड़ा।