नई दिल्ली: वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन एक बार फिर मुंबई में सफर के दौरान जानवर से टक्करा गई। टक्कर से ट्रेन का आगे का हिस्सा फिर टूट गया है। पहले भी सफर के दौरान टक्कर से वंदे भारत ट्रेन का अगला हिस्सा क्षतिग्रस्त हो चुका है। हर बार दुर्घटनाग्रस्त वंदे भारत की फोटो और वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने लगती है। लोग रेलवे और सरकार की खिंचाई करने लगते हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर वंदे भारत ट्रेन का अगला हिस्सा इतना कमजोर क्यों है? इस संबंध में हमने वंदे भारत प्रोजेक्ट से जुड़े रेलवे अधिकारियों से बात की। जानते हैं क्या है उनका जवाब?
वंदे भारत प्रोजेक्ट से जुड़े रेलवे के एक बड़े अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि इसके अगले हिस्से, जिसे नोज कोन (Nose Cone) भी कहते हैं को टूटने के लिए भी बनाया गया है। ये इसकी डिजाइन में किसी तरह की चूक नहीं, बल्कि योजना का हिस्सा है। रेलवे को पहले से पता था कि इस तरह के हादसे हो सकते हैं। इसीलिए जहां भी वंदे भारत की रैक भेजी जाती है, वहां नोज कोन के अतिरिक्त सेट भी पहले से ही भेजे जाते हैं। ताकि दुर्घटना के बाद इन्हें स्थानीय डिपो में बदला जा सके।
टूटने के लिए क्यों बने हैं नोज कोन
रेलवे अधिकारी के अनुसार नोज कोन को टूटने के लिए डिजाइन करने का मकसद है कि इससे दुर्घटना के असर को कम किया जा सके। ताकि ट्रेन और जिससे वो टकराए, दोनों को कम से कम नुकसान हो। इससे गाड़ी का इंजन, चेचिस (बेसिक ढांचा) और यात्रियों को नुकसान की आशंका बहुत कम हो जाती है। साथ ही क्षतिग्रस्त नोज कोन को मौके पर ही आसानी से हटाकर जल्द से जल्द आगे का सफर शुरू किया जा सकता है।
ट्रेन और यात्रियों को कैसे बचाता है ये नोज कोन
रेलवे अधिकारी के अनुसार वंदे भारत एक्सप्रेस के नोज कोन को इस तरह से डिजाइन किया गया है, ताकि ये टक्कर के असर को कंज्यूम कर उसका असर कम कर सके। टक्कर के बाद ये शॉक एब्जॉर्बर का काम करता है। इसी तकनीक का इस्तेमाल कार में भी किया जाता है, इसीलिए कार का अलगा हिस्सा (बंफर) भी मजबूत प्लास्टिक का होता है।
अन्य ट्रेन से कितनी सुरक्षित है वंदे भारत
रेलवे के मुताबिक सामान्य ट्रेनों में अलग हिस्सा भी लोहे का होता है। जोरदार टक्कर होने पर इससे पूरी ट्रेन को जबरदस्त झटका लगता है। इससे यात्रियों को नुकसान पहुंचता ही है, साथ ही ट्रेन का इंजन और उसकी चेचिस पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है। इसके अलावा टक्कर होने पर सामान्य ट्रेन के पटरी से उतरने का खतरा काफी ज्यादा रहता है, जबकि ऐसी परिस्थिति में वंदे भारत के डिरेल होने की संभावना काफी कम है।
नोज कोन को ऐसे डिजाइन करने की जरूरत क्यों पड़ी
इससे पूर्व सात अक्टूबर 2022 को वंदे भारत ट्रेन की इसी तरह जानवर से टक्कर हुई थी, जिसमें उसका अगला हिस्सा क्षतिग्रस्त हो गया था। तब भी रेलवे मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा था, ‘हमारे देश में रेलवे ट्रैक पर जानवरों के आ जाने की समस्या बहुत आम है। देश में सभी रेलवे ट्रैक अब भी सतह पर हैं और खुले हुए हैं। इसे ध्यान में रखकर ही ट्रेन को डिजाइन किया है। क्षतिग्रस्त होने पर ट्रेन के अगले हिस्से (नोज कोन) को आसानी से बदल जा सकता है।’