नई दिल्ली। एक ओर डॉलर के मुकाबले रुपया लगातार गिर रहा है। दूसरी तरफ इस रुपये को मजबूत करने के लिए राजनेताओं के अजीबोगरीब बयान सामने आ रहे हैं। बुधवार को आम आदमी पार्टी के मुखिया अरविंद केजरीवाल ने भारतीय नोटों पर महात्मा गांधी की तस्वीर के साथ लक्ष्मी-गणेश की फोटो छापने की मांग कर दी। केजरीवाल के इस बयान को गुजरात चुनाव से जोड़कर देखा जा रहा है।
केजरीवाल द्वारा शुरू हुई नोटो पर राजनीति में लक्ष्मी-गणेश के बाद छत्रपति शिवाजी और बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर की भी एंट्री हो गई है। भाजपा नेता नितीश राणे ने कहा है कि नोटों पर छत्रपति शिवाजी की तस्वीर होनी चाहिए। उन्होंने ऐसे नोट की फोटोशॉप तस्वीर भी पोस्ट की।
नोट पर जारी राजनीति के बीच सवाल ये है कि आखिर इस पर छपने वाली तस्वीर कौन तय करता है? अब तक कितनी बार इस नोट पर छपने वाली तस्वीर में बदलाव हो चुका है? कब और किसने पहली बार भारतीय नोट जारी किए थे? आइये जानते हैं…
भारतीय नोटों पर छपने वाली तस्वीर कौन तय करता है?
भारतीय नोट और सिक्के का डिजाइन और उसमें होने वाले बदलाव का फैसला भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) और केंद्र सरकार द्वारा किया जाता है। नोट के डिजाइन में बदलाव करने का फैसला सरकार और RBI के सेंट्रल बोर्ड की मंजूरी से होता है। जबकि, सिक्कों के डिजाइन में बदलाव का विशेषाधिकार केंद्र सरकार के पास है।
कब और किसने पहली बार भारतीय नोट जारी किए थे?
हिन्दुस्तान में कागज के नोटों की चलन की बात की जाए तो इसकी शुरुआत 1770 के दशक में होती है। 1770 में पहली बार बैंक ऑफ हिन्दोस्तान ने कागज के नोट छापे। 1770-1832 तक बैंक ऑफ हिन्दोस्तान, 1773-75 के दौरान बैंक ऑफ बंगाल एंड बिहार, 1784-91 के दौरान बंगाल बैंक ने भी कागज के नोट छापे।
गांधीजी से पहले और कौन से चेहरे छप चुके हैं भारतीय नोटों पर?
महारानी विक्टोरिया के पोर्ट्रेट वाले नोट किसी शख्सियत वाले पहले भारतीय नोट थे। जिन्हें जालसाजी के चलते चलन से हटाया गया। इसकी जगह 1867 में ‘अंडरप्रिंट सीरीज’ आई। 1923 में महाराज जॉर्ज पंजम के पोट्रेट वाली सीरीज जारी की गई। जो शुरुआत में दस रुपये के नोट पर छपे थे। उस दौर में जारी किए गए नोट पांच, 10, 50, 100, 500, 1000 और 10,000 रुपये के मूल्यवर्ग में थे।
एक अप्रैल 1935 को मौजूदा भारतीय रिजर्व बैंक की स्थापना रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया एक्ट 1934 के तहत कोलकाता में हुई। 1937 में इसका मुख्यालय कोलकाता से मुंबई शिफ्ट कर दिया गया। प्राइवेट फर्म के रूप में शुरू हुए RBI का 1949 में राष्ट्रीयकरण कर दिया गया और यह पूरी तरह सरकारी नियंत्रण वाली संस्था बन गई।
जनवरी 1938 में RBI ने पहली बार पांच रुपये के नोट जारी किए। इस नोट पर जॉर्ज VI की पोट्रेट थी। दरअसल जॉर्ज VI ने निधन के बाद एडवर्ड VIII ब्रिटेन के राजा बने। हालांकि, इसके बाद भी जॉर्ज VI की तस्वीरें छपती रहीं। 1947 में भारत की आजादी तक जॉर्ज छह के पोट्रेट वाले नोट ही छपते रहे। भारत की आजादी के बाद नोटों की छपाई रुक गई। लेकिन, ब्रिटिश इंडिया के दौर के नोट 1950 तक चलन में बने रहे।
आजाद भारत में कितनी बार इस नोट पर छपने वाली तस्वीर में बदलाव हो चुका है?
1949 में भारत सरकार ने एक रुपये के नोट के डिजाइन को मंजूरी दी। शुरुआत में राजा के पोट्रेट को महात्मा गांधी के पोट्रेट से बदलने पर विचार किया गया। हालांकि, जो डिजाइन फाइनल हुआ उसमें सारनाथ के अशोक स्तंभ को जगह दी गई। वहीं, नोटों का नया डिजाइन काफी हद तक पहले की तर्ज पर था।
1950 में गणतंत्र भारत के पहले बैंक नोट जारी किए गए थे। तब दो, पांच, 10 और 100 रुपये के मूल्य वर्ग के नोटों को जारी किया गया था। इनमें रंग और डिजाइन में मामूली भिन्नता थी। 1953 में पहली बार हिन्दी को नोटों पर जगह मिली। 1954 में करीब 12 साल बाद हजार, पांच हजार और दस हजार के नोटों को फिर से शुरू किया गया। हालांकि, 1978 में इन्हें फिर से चलन के बाहर कर दिया गया। शुरुआती दौर में छोटे मूल्य के नोटो पर हिरण, बाघ, सांभर, चिंकारा जैसे जानवरों को दर्शाया गया। 1975 में कृषि उत्पादन बढ़ाने के देश के प्रयासों को दर्शाने के लिए 100 के नोट पर चाय के खेत से चायपत्ती तोड़ने हुए तस्वीर दर्शाई गई।
गांधीजी की तस्वीर नोटों पर कब आई?
1969 में महात्मा गांधी के जन्म शताब्दी समारोह के दौरान गांधीजी के सम्मान में एक स्मारक डिजाइन श्रृंखला जारी की गई थी जिसमें नोट के पिछले हिस्से में बैठे हुए महात्मा गांधी और उनके पीछे सेवाग्राम आश्रम को दर्शाया गया था। 80 के दशक में फिर नई सीरीज के नोट जारी किए गए। एक रुपये के नोट पर तेल का कुंआ, दो रुपये के नोट पर आर्यभट्ट के उपग्रह की तस्वीर, पांच रुपये के नोट पर ट्रैक्टर से खेत जोतते किसान और 10 रुपये के नोट पर कोणार्क मंदिर का चक्र, मोर और शालीमार गार्डन छापे गए थे। 1987 में दूसरी बार गांधीजी नोट पर नजर आए। अक्तूबर 1987 में महात्मा गांधी के पोट्रेट वाले 500 रुपये के नोट जारी किए गए। इस नोट के अलगे हिस्से पर अशोक स्तंभ के साथ गांधी जी का पोट्रेट था। वहीं, पिछले हिस्से में गांधीजी और उनके सहयोगियों की डांडी यात्रा की तस्वीर थी।
1996 से हुई गांधी सीरीज की शुरुआत
आजादी के बाद से 1996 तक जितने भी नोट छपे उनमें अलग-अलग तस्वीरें भले शामिल होती रहीं लेकिन, नोट की पहचान अशोक स्तंभ से होती रही। 1996 तक छपे इन नोटों को अशोक स्तंभ बैंक नोट सीरीज कहते हैं। इसके वाटरमार्क विंडो में अशोक स्तभ होता है। 1996 में इसमें पूरी तरह से बदलाव हुआ। जब वाटरमार्क विंडो में पहली बार अशोक स्तंभ की जगह महात्मा गांधी की तस्वीर आई। वहीं, अशोक स्तंभ को बाईं ओर नीचे की तरफ ले जाया गया। इन नोटों में वॉटरमार्क पर महात्मा गांधी के साथ-साथ महात्मा गांधी का चित्र भी था।
2005 में महात्मा गांधी सीरीज के नए नोट जारी हुए। ये नोट 1996 की सीरीज के जैसे थे। हालांकि, इनके सिक्युरिटी फीचर्स में कई बदलाव किए गए थे। 2015 में एक रुपये के नोटों को पुन: जारी किए गए। 2016 में 500 और एक हजार के नोटों को वापस ले लिया गया। नोटबंदी के बाद नोटों को नए सिरे से जारी किया गया। ये नोट भी गांधी सीरीज के ही नोट थे। जो अभी भी चलन में हैं। 2011 में नोटों पर रुपये का प्रतीक चिह्न जोड़ा गया।
अब तक छपे नोटों में सबसे अधिक मूल्य का नोट कौन सा था?
RBI द्वारा जारी अब तक का सबसे बड़ा नोट 10 हजार रुपये का था। जो 1938 में जारी किया गया था। जनवरी 1946 में इन नोटों को चलन से बाहर कर दिया गया। 1954 में दूसरी बार दस हजार के नोट चलन में आए जिन्हें 1978 में फिर से चलन से बाहर कर दिया गया।