मुंगेलीः बीमार रहती थी बेटी, पिता ने मारकर फेंक दिया, बोला-उसकी बीमारी से तंग आ गया था, इसलिए चुनरी से घोंट दिया गला

पुलिस की गिरफ्त में आरोपी पिता मनोज कुर्रे। - Dainik Bhaskar

मुंगेली। जिले के झगरगट्टा गांव में हफ्तेभर पहले हुई बच्ची के अंधे कत्ल की गुत्थी को पुलिस ने सुलझा लिया है। बच्ची की हत्या उसके सौतेले पिता मनोज कुर्रे (40 वर्ष) ने ही की थी। 9 साल की बच्ची संध्या की लाश 13 सितंबर को बोरी में बंद मिली थी। मामला कोतवाली थाना क्षेत्र का है। पुलिस ने शुक्रवार को आरोपी पिता को गिरफ्तार कर लिया है।

बेटी की हत्या के बाद सौतेला पिता उत्तर प्रदेश के कानपुर फरार हो गया था। SDOP सिटी कोतवाली एस आर धृतलहरे ने बताया कि 10 साल पहले आरोपी मनोज कुर्रे कानपुर में रिक्शा चलाता था। यहां उसकी मुलाकात मुंगेली के रहने वाले राजू और उसकी पत्नी लक्ष्मी (35 वर्ष) से हुई। इसके बाद मनोज का राजू के घर आना-जाना हो गया। इसी दौरान राजू की पत्नी लक्ष्मी और मनोज की नजदीकियां बढ़ी और दोनों के बीच अवैध संबंध बन गए।

आरोपी मनोज कुर्रे गिरफ्तार।

आरोपी मनोज कुर्रे गिरफ्तार।

राजू शराबी था और वो अक्सर बीमार भी रहता था। लक्ष्मी उससे परेशान रहती थी, इसलिए धीरे-धीरे वो मनोज के करीब जाने लगी। आरोपी भी दिव्यांग था। पत्नी और मनोज के रिश्ते की भनक राजू को लग गई, लेकिन वो उसे रोक नहीं पाया। इसी बीच लक्ष्मी ने एक बच्ची को जन्म दिया। 4 साल पहले राजू की बीमारी से मौत हो गई, जिसके बाद लक्ष्मी अपनी बेटी को लेकर वापस अपने मायके मुंगेली के भरवा गुड़ान आ गई। उसके साथ मनोज कुर्रे भी मुंगेली स्थित अपने गांव बामपारा आ गया। दोनों ने यहां शादी कर ली।

चरवाहों ने देखी थी बोरी में लाश।

चरवाहों ने देखी थी बोरी में लाश।

लक्ष्मी और मनोज बेटी संध्या के साथ रहने लगे, लेकिन करीब डेढ़ साल पहले लक्ष्मी की भी मौत हो गई और बच्ची की पूरी जिम्मेदारी सौतेले पिता मनोज पर आ गई। आरोपी ने पुलिस को पूछताछ में बताया कि उसकी सौतेली बेटी हमेशा बीमार रहती थी। वो ना तो चल पाती थी, न उठ पाती थी और न बोल पाती थी। उसने बच्ची का कई जगह पर इलाज कराया, लेकिन उसकी हालत में कोई सुधार नहीं हुआ। इसी बीच उसका मकान भी टूट गया। उसके सर पर न तो छत थी और न कोई और सहारा।

ग्रामीणों की मदद से हुई थी बच्ची की पहचान।

ग्रामीणों की मदद से हुई थी बच्ची की पहचान।

बीमार बेटी को लेकर वो इधर-उधर भटकता रहता था। उसके शौच से लेकर खाना खिलाने तक की जिम्मेदारी उसी के ऊपर थी। इसी की वजह से वो परेशान हो गया था। इसके बाद उसने बच्ची की हत्या करने का सोचा। उसने चुनरी से बच्ची का गला घोंट दिया फिर उसे बोरी में भरकर झगरहट्टा के खेत में फेंक दिया। वारदात को अंजाम देने के बाद आरोपी वापस मुंगेली आ गया। यहां उसने एक बेकरी में काम करके 300 रुपए कमाए। फिर इसी पैसे से वो पहले दुर्ग पहुंचा और फिर उत्तर प्रदेश के कानपुर भाग गया। वहां पहले की तरह वो रिक्शा चलाने लगा।

कानपुर से मुंगेली लेकर आई पुलिस।

कानपुर से मुंगेली लेकर आई पुलिस।

ऐसे पहुंची आरोपी तक पुलिस

अंधे कत्ल के बाद पुलिस के लिए सबसे बड़ी चुनौती शव की शिनाख्त की थी। पुलिस ने गांववालों की मदद से अपनी जांच शुरू की। जांच के दौरान पुलिस को बच्ची की पहचान मिली, जिसके बाद वो उसके सौतेले पिता की तलाश करने लगी। इस दौरान पुलिस को आरोपी की एक तस्वीर हाथ लगी, जिसके सहारे पुलिस जांच करती हुई कानपुर तक पहुंच गई। पुलिस को पता चला कि मनोज कानपुर के हरिहर धाम में एक झोपड़ी में रहता है। यहां पहुंचकर पुलिस उसका इंतजार करने लगी, लेकिन मनोज उस दिन अपने घर ही नहीं आया। पुलिस टीम रातभर कानपुर स्टेशन के पास भी उसकी तलाश करती रही, लेकिन वो नहीं मिला।

बोरी में बंद मिली थी 9 साल की बच्ची की लाश।

बोरी में बंद मिली थी 9 साल की बच्ची की लाश।

शुक्रवार सुबह 7 बजे जब मनोज गैरेज में रिक्शा जमा करने आया, तो पुलिस की टीम ने उसे धर दबोचा। दिव्यांग मनोज अपनी चाल की वजह से पहचान में आ गया। पुलिस उसे लेकर मुंगेली पहुंची। यहां उससे कड़ाई से पूछताछ की गई, तो उसने सौतेली बेटी संध्या की हत्या करना कबूल कर लिया। जिसके बाद पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया है।

13 सितंबर को मिली थी बच्ची की अर्धनग्न लाश

मुंगेली जिले के झगरगट्टा गांव में 9 साल की बच्ची की अर्धनग्न लाश प्लास्टिक की बोरी में मिली थी। लाश अर्धनग्न थी। बच्ची के मुंह पर नारंगी रंग का एक गमछा भी बंधा हुआ था। बच्ची को प्लास्टिक की बोरी में हाथ-पैर मोड़कर डाला गया था। उसके गले में 786 लिखा लॉकेट लटका हुआ था। बच्ची केवल चड्ढी पहने हुई थी। बच्ची के शव पर गला घोंटने के निशान मिले थे।