अहमदाबाद। गुजरात विधानसभा चुनावों का एलान दीपावली के बाद कभी भी हो सकता है। इसके पहले सूबे की सियासी हलचल तेज है। एक तरफ जहां, आम आदमी पार्टी ने सत्ताधारी भाजपा को घेरना शुरू कर दिया है, वहीं कांग्रेस भी खुद को मजबूत बनाने के लिए रणनीति तैयार करने में जुट गई है।
इस बीच, एक बड़ी खबर सामने आई। गुजराती मीडिया में खबर छपी की अहमदाबाद में ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) और भाजपा के नेताओं ने एक गुप्त मीटिंग की। इसमें अहमदाबाद के मेयर किरीट परमार और भाजपा नेता धर्मेंद शाह और AIMIM के प्रदेश अध्यक्ष साबिर काबलीवाला शामिल थे। इस बैठक की एक तस्वीर भी सामने आई है। AIMIM को हमेशा भाजपा की बी टीम बताया जाता रहा है। ऐसे में इसको लेकर सियासत गर्म हो गई है। आम आदमी पार्टी से लेकर कांग्रेस के नेताओं तक ने भाजपा और एआईएमआईएम पर निशाना साधा है।
इस बैठक के सियासी मायने क्या हैं? गुजरात चुनाव में अभी क्या स्थिति है? मौजूदा समय में भाजपा, आम आदमी पार्टी और कांग्रेस में से कौन कितना मजबूत है और चुनाव से पहले क्या सियासत चल रही है? आइये जानते हैं…
पहले जानिए AIMIM और BJP नेताओं के बीच बैठक में क्या हुआ?
बताया जाता है कि अहमदाबाद के मेयर किरीट परमार, भाजपा नेता धर्मेंद शाह ने AIMIM के प्रदेश अध्यक्ष साबिर काबलीवाला के साथ बैठक हुई। दावा किया जा रहा है कि इस बैठक में गुजरात चुनाव को लेकर बातचीत हुई। हालांकि, AIMIM के प्रदेश अध्यक्ष साबिर काबलीवाला ने इसका खंडन किया। साबिर ने कहा कि वह फैक्ट्री चलाते हैं और अपनी फैक्ट्री में ट्रिटमेंट प्लांट लगवा रहे हैं। इसी को लेकर ये आधिकारिक बैठक हुई थी। इसमें कोई भी राजनीतिक चर्चा नहीं हुई।
वहीं, इस मुद्दे पर आम आदमी पार्टी (आप) ने हमला बोला है। आप के प्रदेश अध्यक्ष गोपाल इटालिया ने ट्वीट करके पूछा है, कल अमदाबाद महानगरपालिका के भाजपा मेयर किरीट परमार, भाजपा नेता धर्मेंद्र शाह सामने चलकर AIMIM प्रदेश दफ्तर गए। वहां पर भाजपा मेयर ओर AIMIM अध्यक्ष साबिर काबलीवाला के बीच गुप्त मीटिंग हुई। यह रिश्ता क्या कहलाता है?’
इटालिया के इस मुद्दे को उठाने के बाद पार्टी के दूसरे नेताओं ने टि्वटर पर सवाल उठाते हुए पूछा। इसमें इसुदान गढ़वी और दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया भी शामिल हैं। ट्वीट में अखबार की कटिंग को भी लगाया गया है। इसमें बीजेपी और AIMIM के नेताओं के साथ बैठक की बात करते हुए लिखा है कि दोनों पार्टियों के नेताओं में इलू-इलू चल रहा है।
क्या हैं इसके सियासी मायने?
इसे समझने के लिए गुजरात के वरिष्ठ पत्रकार वीरांग भट्ट से बात की गई। उन्होंने कहा, ‘असदुद्दीन ओवैसी ने गुजरात में चुनाव लड़ने का फैसला किया है। यहां जुहापुरा में ओवैसी की एक जनसभा भी हो चुकी है, जिसमें उन्होंने मुस्लिमों की अनदेखी का आरोप लगाया था। एआईएमआईएम के पांच प्रत्याशियों का भी एलान हो चुका है। ऐसे समय एआईएमआईएम और भाजपा नेताओं की बैठक काफी कुछ इशारा करती है। दोनों पार्टियों के नेता जो भी कहें, लेकिन इस बैठक के सियासी मतलब जरूर निकाले जाएंगे।’
वीरांग आगे कहते हैं, ‘अहमदाबाद में सबसे ज्यादा मुस्लिम वोटर्स का प्रभाव है। यहां एआईएमआईएम के पार्षद भी हैं। ऐसे में अगर भाजपा और एआईएमआईएम के बीच पर्दे के पीछे कुछ खिचड़ी पकती है तो मुस्लिम वोटर्स का बंटवारा हो सकता है। चुनाव में आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के मुस्लिम वोटों को एआईएमआईएम भी काटेगी। इसका फायदा भाजपा को हो सकता है। हालांकि, ये केवल अहमदाबाद तक ही सीमित होगा। अहमदाबाद के बाहर गुजरात के अन्य हिस्सों में एआईएमआईएम की बिल्कुल भी पकड़ नहीं है।’
गुजरात में आप का कितना बना माहौल?
वीरांग कहते हैं, ‘आम आदमी पार्टी ने पिछले कुछ महीने में काफी प्रचार किया है। हालांकि, गुजराती लोग सिर्फ प्रचार पर नहीं जाते हैं, बल्कि प्रोडक्ट को भी चेक करते हैं।’ वीरांग आगे कहते हैं, ‘अभी आम आदमी पार्टी का पूरा फोकस सूरत और पाटीदार बहुल इलाकों पर है। आप के प्रदेश अध्यक्ष गोपाल इटालिया खुद पाटीदार आंदोलन से जुड़े रहे हैं। ऐसे में उन्हें पाटीदार समाज का समर्थन मिल रहा है। गुजरात में पाटीदार वोटर्स की संख्या 15 से 17 प्रतिशत है।’
वीरांग के अनुसार, ‘पाटीदार के अलावा, भाजपा पशु पालकों और किसानों को भी अपनी ओर करने की कोशिश में जुटी है। पशु पालक मौजूदा सरकार से नाराज चल रहे हैं। इसके पीछे एक सरकारी आदेश बड़ा कारण है। जिसमें कहा गया है कि अगर कोई भी पशु शहरी इलाकों में दिख जाएगा तो पशु पालक पर कानूनी कार्रवाई होगी। कुछ दिन पहले इससे नाराज पशु पालकों ने पूरे गुजरात में हड़ताल कर दी थी और एक दिन तक किसी को दूध नहीं दिया। ये समाज एकजुट है। इनमें आम आदमी पार्टी के नेता इसुदार गढवी की अच्छी पकड़ है।’
उन्होंने आम आदमी पार्टी की सभाओं और रोड शो में जुटने वाली भीड़ को लेकर भी जानकारी दी। बताया कि भाजपा जहां मजबूत है, वहां आप की सभा और रैलियां पूरी तरह से फेल नजर आती हैं लेकिन जिन इलाकों में भाजपा का विरोध ज्यादा है, वहां आप मजबूत दिख रही है। ऐसी जगहों पर आप की रैलियों में यही पाटीदार और गढवा समाज से जुड़े लोग पहुंचते हैं। हालांकि, अभी तक पाटीदार समाज ने ये तय नहीं किया है कि वह किसे वोट देंगे। इनका समाज एकजुट है और एक होकर ही ये वोटिंग का फैसला भी लेते हैं। आमतौर पर नाराजगी के बावजूद पाटीदार समाज ने भाजपा का साथ दिया है।
वीरांग के अनुसार, आम आदमी पार्टी का फोकस गुजरात में इसलिए भी ज्यादा है क्योंकि यहां सूरत में हुए नगर निकाय चुनाव में पार्टी ने अच्छा प्रदर्शन किया। सूरत नगर निगम के 120 सीटों में से 27 पर आप की जीत हुई थी। मतलब अभी 27 पार्षद आप के हैं। कांग्रेस पूरी तरह से साफ हो गई। आम आदमी पार्टी अब गुजरात में कांग्रेस का विकल्प बनने की कोशिश कर रही है।
कांग्रेस और भाजपा की क्या है स्थिति?
गुजरात में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की वजह से अभी भी भाजपा का माहौल गर्म है। हालांकि, भाजपा के पास नए और युवा चेहरों की कमी है। इसका उन्हें नुकसान उठाना पड़ सकता है। वहीं, कांग्रेस भी शहरी इलाकों में कमजोर है, जबकि ग्रामीण इलाकों में काफी मजबूत। खासतौर पर आदिवासी बहुल इलाकों में कांग्रेस की अच्छी पकड़ है। ऐसी स्थिति में आम आदमी पार्टी की एंट्री ने मुकाबला त्रिकोणीय बना दिया है।