रायपुर। राज्य में 500 करोड़ के कोयला परिवहन घोटाले की जांच कर रहे प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने आइएएस समीर बिश्नोई को गिरफ्तार तो कर लिया, लेकिन इसकी सूचना राज्य सरकार को नहीं दी है। नियमानुसार गिरफ्तारी के 48 घंटे के भीतर आइएएस अधिकारी का निलंबन हो जाना चाहिए। ईडी की रिमांड के बावजूद बिश्नोई निलंबन से बचे हुए हैं।
ईडी ने बिश्नोई को 13 अक्टूबर को गिरफ्तार किया था। इस हिसाब से अब तक उनकी गिरफ्तारी को 144 घंटे से अधिक हो चुके हैं। बिश्नोई के सरकारी घर, दफ्तर में ईडी की जांच चल रही है। लेकिन ईडी ने अब तक राज्य सरकार को बिश्नोई की गिरफ्तारी के संबंध में पत्र भेजने की जहमत तक नहीं उठाई। राज्य के आइएएस दबे सुर में कह रहे हैं कि ईडी यहां एकतरफा कार्रवाई कर रही है।
राज्य शासन को कोई सूचना नहीं दी जा रही है। ईडी ने प्रदेश की राजधानी रायपुर सहित भिलाई, महासमुंद, कोरबा, रायगढ़, गरियाबंद के बाद अब बस्तर के कई जिलों में अधिकारियों और नेताओं से पूछताछ की है।
सामान्य प्रशासन विभाग के उच्च पदस्थ अधिकारी कह रहे हैं कि ईडी ने तीन आइएएस रानू साहू, समीर बिश्नोई और जयप्रकाश मौर्या से पूछताछ की है तो इसकी जानकारी तत्काल राज्य सरकार को देनी चाहिए थी।
ईडी केंद्र सरकार के अधीन स्वतंत्र जांच एजेंसी भले ही है, राज्य में किसी भी प्रकार की कार्रवाई की जानकारी देने का प्रविधान है। ऐसा नहीं किया जा रहा है। यही कारण है कि ईडी की कार्रवाई को कांग्रेस पार्टी राजनीतिक षड़यंत्र के रूप में प्रचारित कर रही है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल पहले ही कह चुके हैं कि ईडी राज्य सरकार को बदनाम करने के लिए कार्रवाई कर रही है।
अधिकारियों को दबाव में लाने के लिए छापे मारे जा रहे हैं। उच्च प्रशासनिक सूत्रों की मानें तो आइएएस अधिकारियों के घर से नकद और सोना नहीं मिलता तो इस कार्रवाई को राजनीति से प्रेरित माना जा सकता था किंतु अब जबकि अवैध धन की बरामदगी हो चुकी है मनीलांड्रिंग का मामला बनता है।