महाकालेश्वर की परंपराओं के सामने मोदी भी नतमस्तक, न जलाभिषेक करेंगे और न ही रात रुक सकेंगे; रात्रि विश्राम करने वाले नेता की चली जाती है कुर्सी 

बाबा महाकाल की सूखी पूजा करेंगे पीएम मोदी

उज्जैन। पीएम नरेंद्र मोदी देश के प्रधानमंत्री बनने के बाद पहली बार महाकालेश्वर आ रहे हैं। बाबा महाकाल की नगरी में आज 11 अक्टूबर को पीएम मोदी श्री महाकाल लोक का लोकार्पण करेंगे और इसे देश को समर्पित करेंगे। लोकार्पण से पहले पीएम मोदी श्री महाकालेश्वर मंदिर के गर्भगृह में शाम 5:30 बजे बाबा महाकाल की सूखी पूजा करेंगे। इस दौरान वह मंदिर में करीब 40 मिनट रुकेंगे। इसके बाद मंदिर से लोकार्पण स्थल के लिए रवाना होंगे और शाम 6:30 बजे महाकाल लोक का लोकार्पण करेंगे। लोकार्पण के बाद पीएम देशवासियों को संबोधित करेंगे, देशभर से आए साधू-संतों से मुलाकात करेंगे और फिर इंदौर होते हुए दिल्ली के लिए रवाना होंगे। 

पीएम मोदी पहली बार महाकाल के दरबार में आ रहे हैं, ऐसे में सभी के मन में यह सवाल उठ रहा है कि आखिर वह बाबा महाकाल का जलाभिषेक क्यों नहीं करेंगे और क्यों उज्जैन में रात नहीं गुजारेंगे। तो आइए आपको इन दोनों के पीछे छिपी धार्मिक मान्यताओं के बारे में बताते हैं।

उज्जैन में रात्रि विश्राम नहीं करेंगे पीएम मोदी

उज्जैन में रात्रि विश्राम नहीं करेंगे पीएम मोदी – फोटो : सोशल मीडिया

शाम 5 बजे के बाद नहीं चढ़ाया जाता जल 
पीएम मोदी बाबा महाकाल के मंदिर में करीब 5:30 बजे पहुंचेंगे। मंदिर की प्राचीन परंपराओं के अनुसार यहां शाम पांच बजे के बाद ज्योतिर्लिंग का जलाभिषेक नहीं किया जाता। शाम 5:30 बजे से मंदिर में संध्या आरती की तैयारी शुरू हो जाती है। शाम को बाबा महाकाल का सूखे मेवों और भांग से श्रृंगार किया जाता है। शासकीय पुजारी के द्वारा बाबा महाकाल की परंपरागत पूजा की जाती है। इस प्राचीन परंपरा के कारण ही पीएम मोदी मंदिर में पहुंचने के बाद भी बाबा महाकाल का जलाभिषेक करने से वंचित रह जाएंगे। वह केवल भगवान की सूखी पूजा करेंगे। 

बाबा महाकाल हैं अवंतिकापुरी के राजा

बाबा महाकाल हैं अवंतिकापुरी के राजा – फोटो : सोशल मीडिया

उज्जैन में रात नहीं गुजारेंगे पीएम मोदी 
प्राचीन मान्यताओं के अनुसार उज्जैन के राजा बाबा महाकाल है। ऐसा कहा जाता है कि किसी उच्च पद पर बैठा व्यक्ति या नगर सेठ यदि उज्जैन में रात्रि विश्राम करता है तो वह अपने उच्च पद से हाथ धो बैठता है। यही वजह है कि प्रदेश के सीएम से लेकर केंद्रीय मंत्री सिंधिया तक उज्जैन में रात गुजारने से कतराते हैं। प्रधानमंत्री मोदी इस वक्त देश के सबसे उच्च पद पर आसीन हैं लिहाजा वह भी उज्जैन में रात्रि विश्राम नहीं करेंगे और लोकार्पण के बाद उज्जैन से इंदौर होते हुए रात में दिल्ली के रवाना हो जाएंगे।

बाबा महाकाल की नगरी उज्जैन में राजपरिवार से जुड़े लोग रात नहीं गुजारते। केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य, ग्वालियर के सिंधिया घराने से ताल्लुक रखते हैं। उज्जैन पहले सिंधिया रियासत में शामिल था। सिंधिया राजपरिवार का कोई भी सदस्य कभी उज्जैन में रात को नहीं ठहरता। सिंधिया राजपरिवार का एक पैलेस भी उज्जैन की सीमा के बाहर बना है। दो बार प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे दिग्विजय सिंह राघौगढ़ राजघराने से आते हैं। वह भी कभी उज्जैन में रात नहीं रुकते।

बाबा महाकाल की सवारी

बाबा महाकाल की सवारी – फोटो : सोशल मीडिया

रात्रि विश्राम करने वाले नेता की चली जाती है कुर्सी 
मिथक के अनुसार जो भी नेता या मंत्री बाबा महाकाल की नगरी में रात्रि विश्राम करते हैं, उनकी कुर्सी चली जाती है। ऐसा कहा जाता है कि भारत के चौथे प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई एक रात उज्जैन में रुके थे और दूसरे दिन ही उनकी सरकार गिर गई थी, वहीं कर्नाटक के मुख्मंत्री येदियुरप्पा ने भी उज्जैन में रात्रि विश्राम किया था, जिसके 20 दिन बाद उन्हें अपने पद से त्याग पत्र देना पड़ा था। राजा विक्रमादित्य के राज्य की राजधानी उज्जैन थी, मंदिर से जुड़े रहस्य और सिंहासन बत्तीसी के मुताबिक राजा भोज के समय से ही कोई भी राजा उज्जैन में रात्रि विश्राम नहीं करता है।