नई दिल्ली। भारत में लोकसभा चुनाव को अभी 18 महीने से ज्यादा का समय बचा है। हालांकि, राजनीतिक दलों ने इसके लिए तैयारियां अभी से शुरू कर दी हैं। जहां कांग्रेस ने ‘भारत जोड़ो यात्रा’ के जरिए दक्षिण से लेकर उत्तर तक चुनावी अभियान की शुरुआत कर दी है। उधर कांग्रेस से इतर बाकी विपक्षी पार्टियों ने भी लोकसभा चुनावों के लिए एकजुटता को बढ़ावा देना शुरू कर दिया है। संयुक्त विपक्ष की इस मुहिम को बढ़ावा दे रहे हैं जदयू के नेता नीतीश कुमार और राकांपा प्रमुख शरद पवार। विपक्ष की इन तैयारियों को देखते हुए अब भाजपा ने भी 2024 चुनाव के लिए तैयारियां शुरू कर दी हैं। उसकी इन्हीं तैयारियों का हिस्सा है- ‘ट्रेन में चर्चा’ अभियान, जिसकी जानकारियां हाल ही में सामने आई हैं
2024 के लोकसभा चुनाव के लिए भाजपा की योजना क्या हैं? नए ट्रेन में चर्चा अभियान को पार्टी कैसे आगे बढ़ाएगी? क्या इससे पहले कभी किसी चुनावी अभियान में ट्रेन का इस्तेमाल किया गया है? 2014 और 2019 में पार्टी के आम चुनाव के लिए शुरू किए गए अभियान किन नारों पर आधारित रहे हैं? आइये जानते हैं…
नए ट्रेन में चर्चा अभियान को पार्टी कैसे आगे बढ़ाएगी?
मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो भाजपा ने गुजरात और हिमाचल प्रदेश में इस अभियान के पायलट प्रोजेक्ट के तहत कार्यकर्ताओं की टीमों का गठन भी शुरू कर दिया है। इन टीमों में शामिल लोगों को विशेष ट्रेनिंग दी गई है, ताकि वे ट्रेन में जनरुचि से जुड़े मुद्दों पर चर्चाएं शुरू करा सकें। बाद में यही कार्यकर्ता बहस वाले मुद्दों पर भाजपा की उपलब्धियों, जातीय-सांप्रदायिक समीकरणों और उम्मीदवारों के विकल्प पर भी सहयात्रियों से बात करेंगे।
चुनाव पर चर्चा। – फोटो : Social Media
क्या होगी भाजपा की ट्रेन में चर्चा की योजना?
भाजपा ने अगले लोकसभा चुनाव के लिए ‘ट्रेन में चर्चा’ की रणनीति पर काम शुरू कर दिया है। पार्टी ने इस योजना के परीक्षण यानी पायलट प्रोजेक्ट के लिए गुजरात और हिमाचल प्रदेश के विधानसभा चुनाव को चुना है। बताया गया है कि इस अभियान के तहत भाजपा देशभर में चलने वाली ट्रेनों का इस्तेमाल चुनाव प्रचार के लिए करेगी। हालांकि, रेलगाडियों में किसी विज्ञापन के इस्तेमाल के जरिए नहीं, बल्कि इन ट्रेनों में सफर करने वाले अपने कार्यकर्ताओं के जरिए।
पार्टी को उम्मीद है कि वह ट्रेन में सफर कर रहे अपने कार्यकर्ताओं के जरिए योजनाओं का प्रचार ज्यादा प्रभावी ढंग से कर सकती है। इसके लिए कार्यकर्ताओं को सिर्फ ट्रेन में सफर कर रहे सहयात्रियों के साथ बातचीत करनी होगी और मौजूदा केंद्र सरकार की उपलब्धियों के बारे में चर्चा करनी होगी। बताया गया है कि भाजपा कार्यकर्ताओं को ‘ट्रेन में चर्चा’ अभियान के लिए ट्रेनिंग भी दी जा रही है।
ट्रेनों में भाजपा का ट्रेन में चर्चा अभियान जल्द। – फोटो : Social Media
भाजपा ने गुजरात-हिमाचल के लिए ट्रेन में चर्चा अभियान का जो लेआउट तैयार किया है, उसके तहत पार्टी कार्यकर्ताओं का एक कैलेंडर बनाया गया है। यह कार्यकर्ता दिल्ली, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों का सफर तय करेंगे। दरअसल, गुजरात-हिमाचल में इन राज्यों से काम के लिए आने वालों की संख्या काफी ज्यादा है। ऐसे में भाजपा का फोकस इन्हीं शहर की ट्रेनों पर है। उदाहरण के तौर पर पार्टी कार्यकर्ता इन ट्रेनों में मुख्यतः कांग्रेस और आम आदमी पार्टी (आप) के वादों की समीक्षा करेंगे और इसके नकारात्मक असर के बारे में बताएंगे। जैसे क्या दिल्ली में मुफ्त बिजली का वादा वाकई फायदेमंद रहा या पंजाब में पार्टी का प्रदर्शन कैसा रहा। इससे जहां ट्रेन में सफर करने वाले लोग आप की योजनाओं पर सोचने के लिए मजबूर होंगे तो वहीं भाजपा को भी विपक्षी दलों की योजनाओं को समझने का मौका और अपनी योजनाओं में बदलाव का मौका मिलेगा।
लोकसभा चुनाव में कैसे काम करेगी ये नीति?
भाजपा यही रणनीति आगे भी बढ़ाएगी। बताया गया है कि आम चुनाव के दौरान पार्टी के नेता उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल और झारखंड की ट्रेनों में बैठकर सफर करेंगे। इसके जरिए पार्टी हिंदी पट्टी के राज्यों के वोटरों की मंशा और विचार जानने की कोशिश करेगी और उन्हें रिझाने के लिए मोदी सरकार के राज्यवार कामों को गिनाएगी। इसके अलावा कार्यकर्ता सहयात्रियों से यह भी जानेंगे कि वह अपने क्षेत्र के लिए क्या चाहते हैं। इसी के आधार पर पार्टी 2024 के लिए अपना घोषणापत्र तैयार करेगी।
लोकसभा चुनाव की तैयारी में जुटी भाजपा – फोटो : Social Media
क्या इससे पहले कभी किसी चुनावी अभियान में ट्रेन का इस्तेमाल किया गया है?
यह पहली बार नहीं है जब चुनाव अभियान के लिए किसी राजनीतिक दल ने इस तरह की रणनीति बनाई हो। इसकी नींव भी भाजपा ने ही डाली थी। मौका था 2014 के लोकसभा चुनाव का और राज्य था गुजरात, जहां पीएम मोदी के समर्थन में महिला ब्रिगेड और युवा मोर्चा ने भाजपा को जीत दिलाने के लिए ट्रेनों का सहारा लिया था। हालांकि, तब इस अभियान को ‘चाय पर चर्चा’ के साथ ही शुरू किया गया था।
2014 में भाजपा महिला ब्रिगेड और युवा मोर्चा ने गुजरात से अन्य राज्यों में जाने वाली ट्रेनों में यात्रियों को चाय पिलाना शुरू किया था और उनकी राजनीतिक पसंद पर चर्चा शुरू की थी। तब यह पूरा अभियान ‘चाय पर चर्चा’ के तहत ही जारी था और भाजपा कार्यकर्ता खुले तौर पर लोगों से मोदी को वोट देने की मांग कर रहे थे। जहां महिला ब्रिगेड की सदस्य महिला यात्रियों के हाथों में मेहंदी से कमल बना रही, तो युवा पुरुष यात्रियों को मोदी के विकास का संदेश दे रहे हैं. सोमवार को बीजेपी की महिला विधायक की अगुवाई में इस मिशन की शुरुआत हुई। इस मिशन का मकसद यही था कि चुनाव से पहले अलग-अलग राज्यों में रहने वाले लोगों को गुजरात के विकास और उस विकास के पीछे मोदी की सोच बताना। तब भाजपा की यह रणनीति काफी सफल साबित हुई थी और पार्टी मोदी सरकार के एजेंडे को देशभर में फैलाने में सफल हुई थी।