रायपुर। छत्तीसगढ़ में हुए सबसे बड़े पोस्ट ऑफिस घोटाले की फरार आरोपिया आकांक्षा पांडे ने रायपुर कोर्ट में सरेंडर किया है. करोड़ों का घोटाला कर पिछले 15 महीनों से फरार थी. आरोपिया की लोअर कोर्ट ने जमानत याचिका खारिज कर दी है. अब घोटालेबाज पुलिस के गिरफ्त में है.
दरअसल, आकांक्षा पांडे ने सुप्रीम कोर्ट में बेल एप्लिकेशन खारिज होने के बाद रायपुर कोर्ट में सरेंडर किया है. राजधानी समेत प्रदेश के 100 से अधिक लोगों के 20 करोड़ रुपयों से ज्यादा की ठगी कर फरार हुई थी.
रायपुर के सरस्वती नगर थाना में पति भूपेंद्र पांडे, पत्नी आकांक्षा पांडे समेत उसके एजेंट प्रीतम सिंह ठाकुर के खिलाफ FIR हुई थी. फरारी के दौरान आरोपी भूपेंद्र पांडे ने ट्रेन के सामने कूदकर खुदकुशी कर ली थी. सरस्वती नगर थाना क्षेत्र का मामला है.
अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक पश्चिम देवचरण पटेल ने बताया कि बहुचर्चित पोस्ट ऑफिस घोटाले कि फरार आरोपियों आकांक्षा पांडे ने जिला कोर्ट में सरेंडर किया है. उनकी जमानत याचिका खारिज हो चुकी है. सरस्वती नगर पुलिस टीम ने आरोपियों को कोर्ट से गिरफ्तार कर लिया है. फरार आरोपियों की तलाश लंबे समय से की जा रही थी.
क्या है पोस्ट ऑफिस घोटाला?
बता दें कि 5 जुलाई 2021 को सरस्वती नगर थाने में करीब 20 करोड़ रुपए की धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया गया था. जांच में पता चला कि साल 2014 से 2021 तक आरोपी भूपेंद्र पांडे और उसकी पत्नी ने खुद को रविशंकर विश्वविद्यालय का एजेंट बताकर यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर, वकील, अफसर और कुछ नेताओं को झांसे में लकर करीब 10 करोड़ रुपए से ज्यादा वसूले थे.
आरोपी भूपेंद्र ने यह रकम छिंदवाड़ा के चौरई निवासी प्रीतम सिंह ठाकुर के जरिए वसूली थी. आरोपियों ने सभी को बताया कि उन्होंने पैसे एफडी में जमा कर दिए हैं लेकिन बाद में पता चला कि रकम डाकघर में जमा ही नहीं हुई है.
आरोपियों ने फर्जी पासबुक, एफडी के दस्तावेज तैयार कराकर डाकघर की फर्जी सील के साथ सभी को दिए थे. माना जा रहा है कि इस काम में आकांक्षा पांडे ने मदद की थी. 3 अप्रैल 2021 को घोटाले के एक आरोपी भूपेंद्र पांडे की बिलासपुर रेलवे ट्रैक पर लाश मिली थी, जो मास्टर माइंड आकांक्षा का पति था.
भूपेंद्र की मौत के बाद उसके पास पैसा जमा कराने वाले लोग एक-एक कर पोस्ट ऑफिस पहुंचे तो उन्हें अपने साथ हुई धोखाधड़ी का पता चला. लोगों ने जब पोस्ट ऑफिस में अपने दस्तावेज दिखाए तो पता चला कि ये सब फर्जी हैं, जिसके बाद थाने में घोटाले की एफआईआर दर्ज कराई गई थी.