रायपुर। छत्तीसगढ़ में स्वाइन फ्लू संक्रमण नियंत्रित नहीं हो रहा है। शनिवार को प्रदेश में स्वाइन फ्लू के पांच नए मामलों की पुष्टि हुई। इसके साथ ही अब तक संक्रमित हो चुके लोगों की संख्या बढ़कर 296 हो गई है। इन दो महीनों में 16 मरीजों की इलाज के दौरान मौत हो चुकी है। वहीं 73 लोगों का इलाज अब भी जारी है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने स्वास्थ्य विभाग के सचिव को समीक्षा कर रोकथाम सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं।
स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक शनिवार को जो मामले रिपोर्ट हुए उनमें से तीन रायपुर जिले के हैं। वहीं राजनांदगांव और दंतेवाड़ा से एक-एक मामले आए हैं। अब तक सबसे अधिक बीमार रायपुर में ही मिले हैं। जिले के 171 लोग स्वाइन फ्लू संक्रमण की चपेट में आ चुके हैं। उनमें से 33 का इलाज अब भी जारी है। दुर्ग-भिलाई में अब तक 35 लोगों में संक्रमण मिला है। उनमें से केवल 10 का इलाज जारी है। बिलासपुर में 14 मामले रिपोर्ट हुए हैं, जिनमें से तीन अभी भी अस्पताल में हैं। बिलासपुर के दो-तीन मरीजों की मौत भी हुई है।
अब तक प्रदेश के 24 जिलों से स्वाइन फ्लू रिपोर्ट हो चुका है। इसमें धमतरी, रायपुर, दुर्ग, रायगढ़, दंतेवाड़ा, बलौदा बाजार, राजनांदगांव, बिलासपुर, बस्तर, बालोद, कवर्धा, जशपुर, कांकेर, कोरिया, जांजगीर-चांपा, गरियाबंद, सरगुजा, मुंगेली, महासमुंद, सूरजपुर, बलरामपुर, सुकमा, बेमेतरा और बीजापुर शामिल हैं।
इस साल स्वाइन फ्लू का पहला मामला जुलाई के आखिर में आया था, उसकी पुष्टि अगस्त में हो पाई।
बीमारों, बच्चों और गर्भवती महिलाओं के लिए बड़ा खतरा
डॉ. सुभाष मिश्रा का कहना है, स्वाइन फ्लू एच-1 एन-1 (H1N1) इन्फ्लुएंजा ‘ए’ के कारण होता है। इसकी संक्रमण अवधि सात दिनों की होती है। बरसात के मौसम में बुजुर्गों, गर्भवती महिलाओं और बच्चों में संक्रमण के बहुत तेजी से प्रभावी हो जाने का खतरा रहता है। विशेष रूप से हृदय रोग, सांस संबंधी रोग, लीवर रोग, किडनी रोग, डायबिटीज, एचआईवी और कैंसर से पीड़ित या ऐसे मरीज जो कि स्टेराइड दवा का सेवन लम्बे समय से कर रहे हों, उन पर अधिक खतरा है।
यह लक्षण दिखें तो तुरंत जांच कराकर इलाज शुरू कराएं
डॉ. सुभाष मिश्रा ने बताया, तेज बुखार के साथ खांसी, नाक बहना, गले में खराश, सिर दर्द, बदन दर्द, थकावट, उल्टी, दस्त, छाती में दर्द, रक्तचाप में गिरावट, खून के साथ बलगम आना व नाखूनों का नीला पड़ना स्वाइन फ्लू के लक्षण हो सकते हैं। कुछ लोगों को फेफड़ों में इन्फेक्शन होने पर सांस चढ़ने लग जाती है। कुछ इसी तरह के लक्षण कोरोना के भी हैं। ऐसे में लक्षण दिखने पर पीड़ित को 24 से 48 घंटों के भीतर डॉक्टर से जांच अवश्य कराना चाहिए।
अगस्त से सितम्बर के बीच कई मरीजों की मौत भी हुई है। स्वास्थ्य विभाग ने केवल स्वाइन फ्लू की वजह से एक मौत की पुष्टि की है।
बचाव के लिए सावधानी बहुत जरूरी है
डॉक्टरों का कहना है, स्वाइन फ्लू अथवा इस जैसे किसी संक्रमण से बचाव के लिए सावधानी बहुत जरूरी है। बचाव के लिए डॉक्टरों ने भीड़-भाड़ वाली जगहों पर नहीं जाने की हिदायत दी है। संक्रमित व्यक्ति के सम्पर्क से दूर रहने तथा नियमित रूप से हाथ साबुन या हैण्डवॉश से धोने को भी कहा जा रहा है। डॉक्टरों की सलाह है कि सर्दी-खांसी एवं जुकाम वाले व्यक्तियों के उपयोग में लाये गये रूमाल और कपड़ों का उपयोग नहीं करना चाहिए। स्वाइन फ्लू से बचाव के लिए इन्फ्लूंजा वैक्सीन लगाई जाती है। इस वैक्सीन से स्वाइन फ्लू की वजह से होने वाली गंभीर समस्याओं से बचा जा सकता है।