रायपुर। छत्तीसगढ़ में कर्मचारियों की हड़ताल से प्रशासनिक व्यवस्था बुरी तरह प्रभावित हुई है। अब मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने हड़ताली कर्मचारियों से काम पर वापस लौटने की अपील की है। उन्होंने कहा है, लोगों की आवश्यकता से जुड़े काम रुक जाने से उन्हें परेशानी हो रही है। ऐसे में आप अपने कर्त्तव्यों का निर्वहन करें।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने अपने आधिकारिक सोशल मीडिया एकाउंट से एक संदेश पोस्ट किया है। इसमें उन्होंने लिखा है कि हड़ताल में शामिल सभी कर्मचारियों से मेरी अपील है कि लोगों की आवश्यकता से जुड़े काम रुक जाने से जनता को असुविधा हो रही है। अत: आप सभी कर्त्तव्यों का निर्वहन करें। मुख्यमंत्री ने लिखा कि हमारी सरकार कर्मचारी हित के लिए सदैव तत्पर है। पुरानी पेंशन योजना उसका एक उदाहरण है। राज्य के वित्तीय संसाधनों को देखते हुए हम कर्मचारी हित में निर्णय लेते रहे हैं, आगे भी लेते रहेंगे।
इससे पहले मुख्य सचिव अमिताभ जैन ने सोमवार को छत्तीसगढ़ कर्मचारी अधिकारी फेडरेशन के नेताओं को कार्यालय बुलाया था। वहां विधायक विकास उपाध्याय की मौजूदगी में मुख्य सचिव और हड़ताली नेताओं के बीच बातचीत हुई है। मुख्य सचिव ने आम लोगों की दिक्कतों का हवाला देकर काम पर वापस लौटने की बात कही। हड़ताली नेता अपनी मांग पर अड़े रहे। इसकी वजह से उस दिन बातचीत का कोई नतीजा नहीं निकला था।
इससे पहले कार्रवाई का निर्देश हुआ था
सोमवार को ही सामान्य प्रशासन विभाग ने हड़ताल को सेवा आचरण नियमों के तहत कदाचार बताया था। इसमें कहा गया था, जो कर्मचारी 25 से 29 जुलाई तक भी हड़ताल पर थे और अब भी हड़ताल पर बैठे हैं, उनका अवकाश स्वीकृत न किया जाए। उतने दिनों तक का वेतन भुगतान नहीं किया जाए और अनुशासनात्मक कार्रवाई के लिए लिखा जाए।
हड़ताल में शामिल नहीं हुए कर्मचारियों को राहत देने की भी बात थी
मंगलवार को जारी एक परिपत्र में हड़ताल में शामिल नहीं हो रहे कर्मचारियों को राहत देने की कोशिश हुई थी। इसमें कहा गया था, कई कर्मचारी अधिकारी काम पर लौटना चाहते हैं। उनकी सुरक्षा का इंतजाम किया जाए। वहीं 2 सितम्बर तक काम पर लौट आए कर्मचारी – अधिकारियों की हड़ताल अवधि की अनुपस्थिति को अवकाश स्वीकृत करते हुए वेतन भुगतान किया जाए।
भत्ता बढ़ाने के लिए हड़ताल पर हैं कर्मचारी
छत्तीसगढ़ के राज्य कर्मचारियों की यह हड़ताल भत्ता बढ़ाने की मांग के लिए है। कर्मचारी संगठन कई महीनों से केंद्र सरकार की तरह 34% महंगाई भत्ता देने की मांग कर रहे थे। उनकी मांग थी, इस दर तक पहुंचने के लिए उनका भत्ता 12% बढ़ाया जाना चाहिए। वहीं सातवें वेतनमान की सिफारिशों के मुताबिक मूल वेतन का 18% गृह भाड़ा भत्ता की मांग भी साथ-साथ उठी है। जुलाई में पांच दिनों की हड़ताल के बाद सरकार ने महंगाई भत्ते में 6% इजाफे का आदेश जारी कर दिया। वहीं गृह भाड़ा भत्ता के लिए आश्वासन हाथ आया। उसके बाद 22 अगस्त से कर्मचारी अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गए।