रायपुर। झारखंड में खड़े हुए राजनीतिक संकट ने उसे रिसॉर्ट पॉलिटिक्स के खेल में डाल दिया है। झारखंड की सत्ताधारी महागठबंधन के 32 मंत्री और विधायक रायपुर में डेरा डाल चुके हैं। उन्हें नवा रायपुर के एक रिसॉर्ट मेफेयर में ठहराया गया है। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल भी देर रात इन विधायकों से मिलने पहुंचे। वहां उन्होंने झारखंड के मौजूदा संकट पर बात की। झारखंड के नेताओं ने उन्हें आश्वस्त किया कि वे सब एकजुट हैं और हेमंत सोरेन की सरकार को कोई खतरा नहीं है।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा, भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार को कहीं भी विपक्षी दलों की सरकार खटक रही है। उसे गिराने के लिए वे हर संभव कोशिश में हैं। सभी को एकजुट रहने की जरूरत है। तभी उनकी चाल का मुकाबला किया जा सकता है। कांग्रेस के झारखंड प्रभारी अविनाश पांडेय, प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर और मंत्री रामेश्वर उरांव ने कहा कि वे सभी एकजुट हैं। झारखंड में सरकार को कोई खतरा नहीं है। मुख्यमंत्री कुछ देर की बातचीत के बाद वापस लौट आए।
झारखंड के विधायकों-मंत्रियों की आवाभगत का जिम्मा फिलहाल नागरिक आपूर्ति निगम के अध्यक्ष और प्रदेश कांग्रेस के कोषाध्यक्ष रामगोपाल अग्रवाल, छत्तीसगढ़ राज्य खनिज विकास निगम के अध्यक्ष गिरीश देवांगन और भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार मंडल के अध्यक्ष सुशील सन्नी अग्रवाल के पास है। संगठन के दूसरे लोगों को झारखंड के विधायकों-मंत्रियों तक जाने की इजाजत नहीं है।
केवल कांग्रेस-राजग कोटे के मंत्री आए हैं
झारखंड सरकार के महागठबंधन में झारखंड मुक्ति मोर्चा, कांग्रेस, राष्ट्रीय जनता दल और सीपीआई-लिबरेशन शामिल हैं। वहां मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन सहित कुल 11 मंत्री हैं। इनमें कांग्रेस कोटे से चार मंत्री हैं और राष्ट्रीय जनता दल के एकमात्र विधायक को भी मंत्री बनाया गया है। हेमंत सोरेन ने 30 अगस्त को जिन विधायकों को रायपुर भेजा है, उनमें पांच मंत्री हैं। इनमें कांग्रेस के डॉ. रामेश्वर उरांव, बन्ना गुप्ता, बादल पत्रलेख, आलमगिर आलम और राजद के सत्यानंद भोक्ता शामिल हैं। झारखंड मुक्ति मोर्चा कोटे का कोई मंत्री रांची छोड़कर नहीं आया है।
शाम को विशेष विमान से रायपुर लाए गए मंत्री-विधायक
झारखंड के मंत्रियों-विधायकों को मंगलवार शाम एक विशेष विमान से रायपुर लाया गया। प्रदेश कांग्रेस के केवल तीन नेता उनके स्वागत के लिए माना हवाई अड्डे पहुंचे थे। वहां सभी को तीन अलग-अलग बसों में बिठाकर नवा रायपुर के मेफेयर रिसॉर्ट ले जाया गया। वहां अगले कुछ दिनों तक उनके ठहरने का इंतजाम है। हवाई अड्डे पर भी विधायकों-नेताओं ने प्रेस से बात करने से परहेज किया। एक बैरिकेडिंग के जरिए प्रेस प्रतिनिधियों और आम लोगों को विधायकों की पहुंच से दूर रखा गया था। हालांकि बस से निकलते समय विधायकों ने विक्ट्री साइन दिखाया।
जिस रिसॉर्ट में झारखंड के नेताओं को ठहराया गया है वहां सुरक्षा घेरा ऐसा बना है।
रिसॉर्ट में भी सुरक्षा का तगड़ा घेरा
बताया जा रहा है कि नवा रायपुर स्थित रिसॉर्ट के कमरों को कांग्रेस मीटिंग के नाम पर 30 और 31 अगस्त के लिए बुक किया गया है। इसके आगे बढ़ने की भी संभावना बन रही है। विधायकों-मंत्रियों राजनीतिक बाड़ेबंदी की वजह से वहां पुलिस की सुरक्षा का तगड़ा घेरा बनाया गया है। रिसॉर्ट के चुनिंदा कर्मचारियों और विशिष्ट नेताओं को छोड़कर झारखंड के विधायकों तक किसी को जाने की इजाजत नहीं है। रिसॉर्ट के गेट पर भी पुलिस की तैनाती है। वहीं आसपास पुलिस की गश्त बढ़ा दी गई है। कुछ वरिष्ठ पुलिस अफसरों को सुरक्षा व्यवस्था की जिम्मेदारी दी गई है।
रायपुर के लिए रवाना होने से पहले विधायकों की मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के साथ बातचीत हुई थी। सोरेन उन्हें छोड़ने बिरसा मुंडा एयरपोर्ट तक भी आए थे।
यह है झारखंड की राजनीतिक स्थिति
झारखंड विधानसभा में 81 निर्वाचित और एक मनोनीत विधायक की जगह है। इनमें से यूपीए गठबंधन के पास 50 विधायकों का समर्थन है। इसमें झारखंड मुक्ति मोर्चा के 30, कांग्रेस के 18 और राजग-सीपीआई के एक-एक विधायक शामिल हैं। भाजपा गठबंधन के पास कुल मिलाकर 30 विधायक हैं। सत्ताधारी महागठबंधन नेताओं का आरोप है कि केंद्र सरकार और भाजपा उनके विधायकों को तोड़ना चाहती है। इसीलिए चुनाव आयोग की सिफारिश पर राज्यपाल रमेश बैस कोई फैसला नहीं ले रहे हैं। ऐसा हॉर्स ट्रेडिंग के लिए मौका तलाशने के लिए ही किया जा रहा है।