नई दिल्ली।दिल्ली की शराब नीति में गड़बड़ी के मामले में जांच में जुटी CBI ने मंगलवार को डिप्टी CM मनीष सिसोदिया के लॉकर की तलाशी ली। गाजियाबाद के वसुंधरा सेक्टर 4 की पंजाब नेशनल बैंक में सिसोदिया का बैंक लॉकर है। CBI की टीम ने बैंक में 45 मिनट तक लॉकर की जांच की। इस दौरान मनीष सिसोदिया और उनकी पत्नी भी मौजूद रहीं। जांच के दौरान बैंक के गेट बंद रहे। किसी को भी एंट्री नहीं दी गई।
ये नियम है कि लॉकर को उसके खाताधारक की अनुमति और उपस्थिति के बिना नहीं खोला जाता है, इसलिए मनीष सिसोदिया और उनकी पत्नी सीमा को वहां बुलाया गया। दिल्ली के डिप्टी CM बनने से पहले मनीष सिसोदिया गाजियाबाद के इसी वसुंधरा इलाके में रहते थे।
जांच के बाद डिप्टी CM मनीष सिसोदिया ने कहा- लॉकर से CBI को कुछ भी नहीं मिला। सारी जांच में मेरा परिवार पाक-साफ है। ये सच्चाई की जीत है। PM ने मेरे लॉकर की जांच कराई। मुझे 2-3 महीने से जेल भेजने की साजिश हो रही है।
मनीष को 11 बजे PNB बैंक पहुंचना था। वो करीब 11.30 बजे बैंक पहुंचे। CBI टीम भी उनसे 5 मिनट पहले पहुंची थी।
मनीष बोले थे- लॉकर में कुछ भी नहीं मिलेगा
इससे पहले सोमवार रात मनीष सिसोदिया ने ट्वीट करके कहा, ”CBI हमारा बैंक लॉकर देखने आ रही है। 19 अगस्त को मेरे घर पर 14 घंटे की रेड में कुछ नहीं मिला था। लॉकर में भी कुछ नहीं मिलेगा। CBI का स्वागत है। जांच में मेरा और मेरे परिवार का पूरा सहयोग रहेगा।”
मनीष सिसोदिया ने सोमवार को ट्वीट करके लॉकर जांच की जानकारी दी थी।
सिसोदिया इससे पहले भी कह चुके हैं कि एक झूठे मामले में उन्हें आरोपी बनाया गया है, ताकि अरविंद केजरीवाल को आगे बढ़ने से रोका जा सके। सिसोदिया का कहना है कि अरविंद केजरीवाल 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विकल्प के तौर पर उभरे हैं।
जांच के दौरान मनीष सिसोदिया बैंक के अंदर मौजूद थे।
19 अगस्त को भी घर पर हुई थी छापेमारी
दिल्ली के डिप्टी CM मनीष सिसोदिया उन 15 लोगों में शामिल हैं, जिन्हें दिल्ली आबकारी नीति के क्रियान्वयन में हुई अनियमितताओं के आरोप में CBI ने FIR में शामिल किया है। 19 अगस्त को CBI ने इस सिलसिले में सिसोदिया के आवास समेत 31 स्थानों पर छापेमारी और तलाशी अभियान भी चलाया था।
क्यों सवालों में केजरीवाल की नई शराब नीति?
19 अगस्त को भी CBI ने दिल्ली स्थित मनीष सिसोदिया के आवास पर कई घंटे तक सर्च की थी।
दिल्ली की नई आबकारी नीति में गड़बड़ी का आरोप है। यह भी आरोप है कि इस नीति के जरिए शराब लाइसेंस धारियों को गलत तरीके से लाभ पहुंचाया गया है। लाइसेंस देने में अनदेखी हुई है। टेंडर के बाद शराब ठेकेदारों के 144 करोड़ रुपए माफ करने का आरोप है।
रिश्वत के बदले शराब कारोबारियों को लाभ पहुंचाने और कोरोना के बहाने लाइसेंस फीस माफ करने जैसे भी आरोप हैं। इसी सिलसिले में CBI दिल्ली ने पिछले दिनों एक एफआईआर की है, जिस पर जांच जारी है।