बिलासपुर। छत्तीसगढ़ में स्वाइन फ्लू संक्रमण जानलेवा बनता जा रहा है। पिछले एक महीने में इस बीमारी की वजह से सात लोगों की मौत हो गई। अब तक की आखिरी मौत बिलासपुर में हुई है। रायपुर और बिलासपुर में स्वाइन फ्लू संक्रमण के 6-6 नए केस सामने आए हैं। ऐसे में इस वायरस की चपेट में आ चुके लोगों की कुल संख्या 141 तक पहुंच गई है। अभी 74 मरीजों का इलाज जारी है।
बिलासपुर के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. अनिल श्रीवास्तव ने बताया, निजी अस्पताल में जांजगीर-चांपा की रहने वाली एक महिला की मौत हुई है। 35 साल की इस महिला को कुछ दिन पहले गंभीर स्थिति में भर्ती कराया गया था। वहां जांच में स्वाइन फ्लू की पुष्टि हुई। इलाज के दौरान बुधवार को उसने दम तोड़ दिया। वहीं स्वास्थ्य विभाग ने बुधवार के जो जिलावार आंकड़े दिए हैं, उसमें यह मौत शामिल नहीं है।
बिलासपुर जिले के नए मरीजों की संख्या को भी इसमें शामिल नहीं किया गया है। इन आंकड़ों के मुताबिक छत्तीसगढ़ में केवल छह नए लोगों में स्वाइन फ्लू की पुष्टि हुई है। ये सभी रायपुर जिले के ही हैं। वहीं दूसरे राज्य के एक मरीज को भी यहां भर्ती कराया गया है। ऐसे में छत्तीसगढ़ में एक्टिव मरीजों की संख्या बढ़कर 68 हो गई है। बिलासपुर के 6 मरीजों को इस सूची में जोड़ लें तो एक्टिव मामलों की संख्या 74 हो जाती है। हालांकि स्वास्थ्य विभाग का डेटा अभी तक बिलासपुर में तीन लोगों के संक्रमित होने की बात कह रहा है। जिसमें दो अस्पताल में भर्ती हैं।
तीन दिन से लगातार मौतें
छत्तीसगढ़ में स्वाइन फ्लू से पहली मौत अगस्त के पहले सप्ताह में हुई थी। यह चार साल की एक बच्ची थी जिसे कवर्धा से लाकर रायपुर के निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उसके कुछ दिनों के अंतराल पर दो और मौतें हुई। अभी पिछले सोमवार को मेकाहारा में एक महिला की मौत हुई। उसके बाद एम्स में राजनांदगांव के एक बुजुर्ग ने दम तोड़ा। बुधवार को बिलासपुर के निजी अस्पताल में एक युवा मरीज की मौत हो गई।
16 जिलों में फैला है संक्रमण
छत्तीसगढ़ के 28 में से 16 जिलों से स्वाइन फ्लू संक्रमण के मामले सामने आ चुके हैं। इन जिलों में रायपुर, धमतरी, दुर्ग, रायगढ़, दंतेवाड़ा, बलौदा बाजार, राजनांदगांव, बिलासपुर, बस्तर, बालोद, कवर्धा, कोरबा, कांकेर, कोरिया, जांजगीर-चांपा और गरियाबंद शामिल है। इनमें से कम से 12 जिलों में अब भी एक्टिव केस हैं। इसके अलावा पड़ोसी राज्यों खासकर ओडिशा से भी आए 6 मरीजों का इलाज भी छत्तीसगढ़ में चल रहा है।
संक्रमण से बचाव के लिए यह करना होगा
छत्तीसगढ़ में महामारी नियंत्रण विभाग के संचालक डॉ. सुभाष मिश्रा का कहना है, स्वाइन फ्लू संक्रमण से बचाव का सबसे बेहतर उपाय शारीरिक दूरी ही है। भीड़-भाड़ से परहेज करें। सार्वजनिक जगहों पर फेस मास्क लगाएं। हाथों को साबुन पानी अथवा सेनिटाइजर से धोते रहें। सर्दी-जुकाम की स्थिति में डॉक्टर से संपर्क कर संक्रमण की संभावना को टाला जा सकता है।
क्या है यह स्वाइन फ्लू
डॉक्टरों ने बताया, स्वाइन फ्लू या H1 N1 इंफ्लूएंजा भी सामान्य इंफ्लूएंजा यानी सर्दी-जुकाम जैसे लक्षणों वाला ही होता है। अंतर यह है कि सामान्य सर्दी-जुकाम अधिकतम तीन दिनों में ठीक हो जाता है। लेकिन स्वाइन फ्लू में यह कई दिनों तक चलता है। इससे श्वसन तंत्र को नुकसान पहुंचता है। छोटे बच्चों, बुजुर्गों, गर्भवती महिलाओं और दिल, किडनी, फेफड़े, रक्तचाप, कैंसर आदि की बीमारियों से जूझ रहे मरीजों के लिए यह फ्लू घातक हो सकता है।
यह लक्षण दिखें तो नजर अंदाज न करें
डॉक्टरों का कहना है, स्वाइन फ्लू एक इंफ्लुएंजा वायरस की वजह से होता है जो सूअरों में पाया जाता है। तीन दिनों से अधिक समय तक 101 डिग्री से अधिक बुखार रह रहा हो, गले में खराश और सांस लेने में तकलीफ हो रही हो, नाक से पानी आ रहा हो या फिर नाक पूरी तरह बंद हो गई हो, थकान, भूख में कमी और उल्टी जैसे लक्षण स्वाइन फ्लू हो सकते हैं। अगर ऐसे लक्षण दिखें तो इसे नजरअंदाज न करें। तुरंत अस्पताल पहुंचकर जांच कराएं।