छत्तीसगढ़ः लागू हुआ PESA, मुख्यमंत्री बोले, अब अपने जल-जंगल-जमीन का फैसला खुद लेंगे आदिवासी, ग्राम सभाओं में भी उनकी भागीदारी बढ़ेगी 

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने विश्व आदिवासी दिवस पर समुदाय के लिए किए गए काम गिनाए। - Dainik Bhaskar

रायपुर। छत्तीसगढ़ सरकार ने विश्व आदिवासी दिवस से एक दिन पहले अनुसूचित क्षेत्रों में पंचायत अधिकारों का विस्तार-PESA नियम-2022 लागू कर दिया। इसके साथ ही यह कानून छत्तीसगढ़ में लागू हो गया है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने मंगलवार को कहा, छत्तीसगढ़ में PESA अधिनियम को लेकर नियम बन चुका है। इससे आदिवासी अपने जल-जंगल-जमीन के बारे में खुद फैसला ले सकेंगे।

मुख्यमंत्री रायपुर के पं. दीन दयाल उपाध्याय ऑडिटोरियम में सर्व आदिवासी समाज की ओर से आयोजित विश्व आदिवासी दिवस समारोह को संबोधित कर रहे थे। मुख्यमंत्री ने कहा, आदिवासियों के हितों को संरक्षण देने के लिए राज्य में PESA कानून लागू होने से ग्राम सभा का अधिकार बढ़ेगा। नए नियम से ग्राम सभा के 50% सदस्य आदिवासी समुदाय से होंगे। इस 50% में से भी 25% महिला सदस्य होंगी। अब गांवों के विकास में निर्णय लेने और आपसी विवादों के निपटारे का भी उन्हें अधिकार होगा। मुख्यमंत्री ने कहा, आदिम संस्कृति, छत्तीसगढ़ की पहचान है और आदिवासियों का आजादी की लड़ाई में बड़ा योगदान रहा है। हम आदिवासियों के सारे योगदान को सहेज कर रखना चाहते हैं। इसके लिए समुदाय की भाषा, संस्कृति सभी कुछ सहेजने का काम किया जा रहा है।

विश्व आदिवासी दिवस पर प्रदेश भर से लोग राजधानी पहुंचे थे।

विश्व आदिवासी दिवस पर प्रदेश भर से लोग राजधानी पहुंचे थे।

अपने भाषण के दौरान मुख्यमंत्री ने सरकार के अब तक के काम भी गिनाए। उन्होंने कहा, उनकी सरकार बनने के बाद पहली बार विश्व आदिवासी दिवस पर सार्वजनिक अवकाश की घोषणा की गई। आदिवासियों को वन अधिकार के पट्टे दिए गए जिसके तहत अभी तक पांच लाख पट्टे दिए जा चुके हैं। मुख्यमंत्री ने कहा, राज्य सरकार 65 प्रकार के लघु वनोपज खरीद रही है। यही वजह है कि बस्तर और सरगुजा के आदिवासी अपने गांवों के लिए बैंक खोलने की मांग कर रहे हैं। समारोह में आदिम जाति विकास मंत्री डॉ. प्रेमसाय सिंह टेकाम, अनुसूचित जन जाति आयोग के अध्यक्ष भानु प्रताप सिंह, अनुसूचित जन जाति आयोग की उपाध्यक्ष राजकुमारी दीवान, विधायक सत्यनारायण शर्मा, शिशुपाल सोरी, बृजमोहन अग्रवाल, सर्व आदिवासी समाज के अध्यक्ष भारत सिंह समेत हजारों की संख्या में आदिवासी समाज के लोग उपस्थित थे।

स्वास्थ्य-शिक्षा पर भी बात की

राज्य सरकार आदिवासियों के स्वास्थ्य के लिए लगातार काम कर रही है। इसी का नतीजा है कि मलेरिया के मामलों में 65% की कमी आई है। मुख्यमंत्री हाट बाजार क्लीनिक से भी लाखों लोगों को फायदा हो रहा है। हमने बस्तर के 300 बंद स्कूलों को शुरू किया है। शिक्षा की गुणवत्ता को बढ़ाने के लिए राज्य में 10 हजार नए शिक्षकों की भर्ती भी होने जा रही है।

मुख्यमंत्री ने टाइगर रिजर्व क्षेत्र के ग्रामीणों को वन अधिकार प्रदान किए।

मुख्यमंत्री ने टाइगर रिजर्व क्षेत्र के ग्रामीणों को वन अधिकार प्रदान किए।

टाइगर रिजर्व में सामुदायिक वन अधिकार दिया

इससे पहले मुख्यमंत्री निवास में आयोजित एक समारोह में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने राज्य के दो बड़े टाइगर रिज़र्व के कोर और बफर जोन में गांवों को सामुदायिक वन अधिकार प्रदान किया। वन अधिकारों की मान्यता कानून के तहत 10 ग्राम सभाओं को सामुदायिक वन संसाधन अधिकार पत्र दिए गए। जिनको यह अधिकार मिला है उसमें, अचानकमार टाइगर रिज़र्व की पांच ग्राम सभाएं एवं सीतानदी उदंती क्षेत्र की पांच ग्राम सभाएं शामिल हैं।

मुख्यमंत्री निवास में ऐसी 44 पुस्तकों-पुस्तिकाओं का विमोचन हुआ है।

मुख्यमंत्री निवास में ऐसी 44 पुस्तकों-पुस्तिकाओं का विमोचन हुआ है।

काफी टेबल बुक आदि विद्रोह सहित 44 पुस्तिकाओं का विमोचन

मुख्यमंत्री निवास में आयोजित विश्व आदिवासी दिवस समारोह में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने आदि विद्रोह सहित 44 पुस्तकों, पुस्तिकाओं, पाठ्य सामग्रियों का विमोचन किया। इनका प्रकाशन आदिम जाति अनुसंधान प्रशिक्षण संस्थान ने किया है। मुख्यमंत्री ने इस कार्यक्रम में वन अधिकार के प्रति ग्राम सभा जागरुकता अभियान के कैलेण्डर, अभियान गीत तथा सामुदायिक वन संसाधन अधिकार (चारगांव जिला कांकेर) पर आधारित एक प्रचार फिल्म का भी विमोचन किया।

क्या है यह आदिवासी क्षेत्रों का PESA कानून

दरअसल 1992 में संविधान का 73वां संशोधन कर ग्राम पंचायतों को संविधानिक मान्यता दी गई। यह कानून 1993 से लागू हुआ। लेकिन उस समय इस कानून से पांचवी अनुसूची में शामिल आदिवासी बहुल क्षेत्रों को शामिल नहीं किया गया था। पांचवी अनुसूची में आदिवासी बाहुल्य जनसंख्या वाले छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश, राजस्थान, गुजरात, झारखंड, ओडिशा, प. बंगाल, तेलंगाना, आंध्रप्रदेश और महाराष्ट्र शामिल हैं। बाद में संसद ने अनुसूचित क्षेत्रों में पंचायतों का विस्तार अधिनियम-PESA 1996 बनाया। 24 दिसम्बर को यह अधिसूचित हो गया। छत्तीसगढ़ में सरकार पिछले 22 सालों में इसके नियम नहीं बना पाई थी। इसकी वजह से आदिवासी क्षेत्रों में पंचायतों को स्वायत्त बनाने वाला यह कानून बेकार पड़ा हुआ था। कांग्रेस ने 2018 के चुनावी घोषणापत्र में इसका वादा किया था। सरकार बनी तो इसपर कवायद शुरू हुई। अब सरकार ने इसके नियम बनाकर राजपत्र में प्रकाशित कर दिए हैं।