बिलासपुर। पिछले कई महीनों से छत्तीसगढ़ से चलने वाली या यहां से गुजरने वाली कई ट्रेनें बार-बार रद्द की जा रही हैं, जिससे यात्रियों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। जनप्रतिनिधि भी बार-बार इस समस्या को उठा चुके हैं, लेकिन इसका कोई नतीजा नहीं निकला। दक्षिण-पूर्व मध्य रेलवे द्वारा लगातार देर से चल रही ट्रेनों और कई गाड़ियों के रद्द होने के खिलाफ कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने विरोध-प्रदर्शन किया। उन्होंने केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव का पुतला भी फूंका।
आज रविवार को कांग्रेसी राघवेंद्र राव सभा भवन के सामने जमा हुए और नारेबाजी करते हुए केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव का पुतला जलाकर सांकेतिक विरोध-प्रदर्शन किया। पार्टी कार्यकर्ताओं ने चेतावनी देते हुए कहा कि रद्द की हुई ट्रेनों को अगर जल्द ही फिर से पटरी पर नहीं लाया गया, तो बिलासपुर रेलवे जोन में वे बड़ा आंदोलन करेंगे।
आंदोलन की चेतावनी
रेलवे जोन संघर्ष समिति के अध्यक्ष अभय नारायण राय ने बताया कि केंद्र सरकार उनकी मांगों को नहीं मान रही और तीज-त्योहारों के समय भी ट्रेनें रद्द चल रही हैं, जिसके कारण यात्रियों को एक जगह से दूसरी जगह जाने में भारी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि जल्द ही अगर रेलवे बोर्ड इस ओर ध्यान नहीं देता है, तो कड़े नतीजे भुगतने होंगे।
पहले से टिकट बुक करा चुके यात्री स्थगित कर रहे हैं यात्रा
रेलवे बोर्ड ने बीते 3 महीनों में 4 दर्जन से अधिक ट्रेनों को रद्द किया है। कभी माल लदान तो कभी इंटरलॉकिंग तो कभी अधोसंरचना विकास के नाम पर दर्जनों ट्रेनों को पिछले कई महीनों से रद्द किया जा रहा है। रक्षाबंधन से ठीक पहले एक साथ 66 ट्रेनें रद्द कर दी गई हैं। ऐसे में जो यात्री पहले से टिकट बुक करा चुके हैं, उन्हें इसे कैंसिल कराना पड़ रहा है। खासतौर पर महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, राजस्थान, बिहार, ओडिशा, गुजरात जाने वाले यात्रियों को दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है।
सीएम भूपेश बघेल ने केंद्रीय रेल मंत्री के सामने उठाया था मुद्दा
पिछले महीने छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने ट्रेनों को रद्द करने का विरोध करते हुए केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव को इस ओर ध्यान दिलाया था। इसके बाद कई ट्रेनों को बहाल भी किया गया था, लेकिन अब त्योहारी सीजन में ट्रेनों के रद्द होने से लोग बेहद मायूस हैं। कई यात्रियों को या तो अपनी यात्रा रद्द करनी पड़ रही है या फिर नए सिरे से योजना बनानी पड़ रही है। वहीं जिनका जाना जरूरी है, वे निजी वाहनों से यात्रा करने को विवश हैं, जो बेहद खर्चीला है।