मृतक सतीश तिवारी
बिलासपुर। पिता पर कातिलाना हमला करने वाले की नाबालिग ने योजना बनाकर हत्या कर दी। पहले इंस्टाग्राम में लड़की बनकर उसे अपना फ्रेंड बनाया, फिर जाल में फंसाकर मिलने के लिए बुलाया। युवक जैसे ही उसके बताए पते पर पहुंचा आरोपी ने उसे चाकू से गोद डाला। यह घटना रविवार को बिलासपुर में सिविल लाइन थाना क्षेत्र में एसबीआर कॉलेज के पास हुई। आरोपी ने हत्या के केस में बाल संप्रेक्षण गृह से छूटकर आने के बाद इस वारदात को अंजाम दिया।
बिलासा चौक निवासी सतीश तिवारी पिता विजय तिवारी (22) के साथ रविवार की दोपहर को जूना बिलासपुर निवासी आरोपी नाबालिग इंस्टाग्राम में चैटिंग कर रहा था। उसने सतीश को इंस्टाग्राम में पहले लड़की बनकर दोस्त बनाया। उसे जाल में फंसाया। दोनों के बीच काफी दिनों तक बातचीत होती रही। इसके बाद नाबालिग ने उसे मिलने के लिए एसबीआर कॉलेज के पास बुलाया। दोनों तब तक ऑनलाइन थे।
सतीश वहां पहुंचा तो नाबालिग साथियों के साथ खड़ा था। सतीश ने 6 माह पहले उसके पिता पर साथियों के साथ मिलकर चाकू से जानलेवा हमला किया था। वहां नाबालिग को देखा तो सतीश को अपने साथ हुए धोखे का पता चला।
नाबालिग के पिता पर हमले के आरोप में था जेल में
सतीश तिवारी पर आरोप था कि उसने 4 जनवरी को रात 9.30 बजे जूना बिलासपुर में अपने साथी सैफ खान, विकास तिवारी, शिब्बू व अन्य के साथ नाबालिग के पिता पर चाकू से हमला कर गंभीर रूप से घायल कर दिया था। यह घटना भी पुरानी रंजिश के चलते हुई थी। सैफ खान ने तब अधेड़ पर चाकू से हमला किया था। पुलिस ने इस मामले में आरोपियों के खिलाफ बलवा व जानलेवा हमला की धारा के तहत जुर्म दर्ज कर आरोपियों को गिरफ्तार किया था। सभी को जेल भेज दिया था।
नाबालिग पर पहले भी हत्या का आरोप
30 मार्च को नाबालिग ने हटरी चौक निवासी कूलर के खस बेचने वाले इकबाल नामक व्यक्ति की आरोपी नाबालिग ने अपने साथियों के साथ मिलकर चाकू मार दिया था। इससे वह गंभीर रूप से घायल हो गया और उसकी रायपुर अस्पताल में मौत हो गई थी। परिजनों ने इकबाल के शव को थाने में रखकर प्रदर्शन किया था। इस घटना के पहले हटरी चौक निवासी अमन भंवरे पर उन्होंने चाकू-फावड़े और डंडे से जानलेवा हमला किया था।
इकबाल के भाई ने घायल को अस्पताल पहुंचाया था। पुलिस ने उस दिन मामूली धारा तहत कार्रवाई कर आरोपियों को रात को ही थाने से छोड़ दिया था और अगले दिन नाबालिग व उसके साथियों ने मिलकर ईकबाल के भाई शेख शिब्बू को ढूंढना शुरू किया। वह नहीं मिला। लक्ष्मी टॉकीज के पास खस दुकान में उसका छोटा भाई शेख इकबाल बैठा था और उसपर ही हमला कर दिया था।