
रायपुर । राज्य सरकार ने दस हजार से अधिक स्कूलों के युक्तियुक्तकरण फैसला लिया है। इस फैसले के बाद लगभग 43 हजार से ज्यादा पोस्ट भी खत्म हो सकती हैं। इसके विरोध में बुधवार को दस हजार से अधिक शिक्षक मंत्रालय का घेराव करने जा रहे हैं।
शिक्षकों का कहना है कि ये फैसला शिक्षक गुणवत्ता से खिलवाड़ और सरकारी स्कूलों को कमजोर करने का प्रयास है। वहीं सरकार इसे स्कूली एजुकेशन के बेहतरी के लिए उठाया गया कदम बता रही है।

युक्तियुक्तकरण को लेकर मंगलवार को जारी हुआ सरकारी आदेश
लेकिन ये युक्तियुक्तकरण है क्या? सरकारी स्कूलों पर इसका क्या इम्पैक्ट पड़ेगा? क्यों टीचर्स इसके खिलाफ हैं? और विरोध के बाद भी सरकार इसे क्यों लागू करना चाहती है? जानिए इस एक्सप्लेनर में …
सबसे पहले युक्तियुक्तकरण का मतलब समझिए
युक्तियुक्तकरण एक सरकारी शब्द है। आसान भाषा में समझा जाए तो इसका मतलब है दो चीजों को साथ में मर्ज कर देना, एक सिस्टम के तहत। उदाहरण से समझिए, किसी कंपनी के एक ही शहर में दो ऑफिस हैं। संसाधन और मैन पावर दोनों ऑफिस में अलग–अलग बंट रहे हैं। लेकिन कंपनी को इसकी नीड नहीं है।
कंपनी, सरकार या संगठन के लिए पॉजिटिव, खर्चे कम होंगे
ऐसे में कंपनी दोनों ऑफिस को एक कैंपस में मर्ज कर देगी। और मैन पावर को भी अपने सिस्टम के हिसाब से फिल्टर कर देगी। यही युक्तियुक्तकरण है, जिसे अंग्रेजी भाषा में रेशनेलाइजेशन कहते हैं। कंपनी के लिहाज से देखा जाए तो उन्होंने अपना खर्च बचा लिया, एक ही कैंपस होने से मैनेजमेंट आसान हो गया, मैन पावर भी घट गया। यानी पॉजिटिव चेंज है।
कर्मचारियों के लिए नेगेटिव, काम का बोझ बढ़ेगा
लेकिन अब इसी चीज को कर्मचारियों के नजर से देखिए। कर्मचारी के साथ हुआ ये कि कुछ की नौकरी चली जाएगी। कुछ को अब घर से लंबा सफर तय करके ऑफिस आना पड़ेगा। इसके अलावा कंपनी अलग–अलग ऑफिस के लिए जो वैकेंसी निकालती थी, वो अब एक ही ऑफिस के लिए निकालेगी। यानी वैकेंसी घट जाएगी। और जो एम्प्लाय बच गए हैं, उन पर वर्क लोड बढ़ेगा। जोकि नेगेटिव है।
कर्मचारियों को सरप्लस दिखा कर होता है बदलाव
यानी युक्तियुक्तकरण वो प्रक्रिया है जिसे पूंजीवादी नियोजक और कोई सरकार अपने कर्मचारियों पर काम का बोझ बढ़ाने, उन्हें अधिशेष यानी सरप्लस शो करते हुए दूसरे कामों में लगाने या उनकी छंटनी करने के लिए प्रयोग करते हैं। यही प्रक्रिया छत्तीसगढ़ के सरकारी स्कूलों और शिक्षकों के लिए फॉलो की जा रही है।
आंकड़ों पर खेलकर बदलाव करना चाहती है सरकार
नेशनल एजुकेशन पॉलिसी 2020 के तहत ये सुझाव दिया गया है कि एक क्लास में 30 से अधिक छात्रों की संख्या नहीं होनी चाहिए। यानी 30 छात्रों पर एक शिक्षक होना चाहिए। अभी छत्तीसगढ़ में सरकार के दिए आंकड़ों के मुताबिक प्राइमरी स्कूल में लगभग 22 बच्चों पर एक शिक्षक है। और प्री मिडिल स्कूल में लगभग 26 बच्चों पर एक शिक्षक है।