छत्तीसगढ़: 11 साल बाद होगा स्टेट बार काउंसिल का चुनाव, 30 सितंबर को 25 हजार एडवोकेट डालेंगे वोट

बिलासपुर । प्रदेश में छत्तीसगढ़ स्टेट बार काउंसिल के चुनाव करीब 11 साल बाद होंगे। इसके लिए लगभग 25 हजार वकील नई काउंसिल के 25 सदस्यों का चुनाव करेंगे। मतदान 30 सितंबर को प्रदेशभर के जिला मुख्यालयों में जिला जज की देखरेख में होगा। निर्वाचन को लेकर सिस्टम तय किया गया है। नए वकीलों से डिक्लेरेशन मांगा गया है।

काउंसिल ने नए वकील जिन्होंने पंजीयन कराया है और बार काउंसिल ऑफ इंडिया की परीक्षा पास की है, उनसे 10 दिनों में डिक्लेरेशन मांगा गया है। इसमें उन्हें दसवीं, बारहवीं, स्नातक और विधि अध्ययन की अंकसूची, अखिल भारतीय बार परीक्षा उत्तीर्ण करने का प्रमाणपत्र देना होगा।

इसके साथ ही काउंसिल द्वारा जारी सनद या परिचय पत्र की छाया प्रति, दो पासपोर्ट साइज फोटो जमा कराने होंगे। इसे वे अपने जिले जहां प्रैक्टिस करते हैं जिला परिषद को जमा करेंगे। दस्तावेजों की जांच के बाद उनके नाम वोटरलिस्ट में जोड़े जाएंगे।

काउंसिल का 5 साल का होगा कार्यकाल

प्रारंभिक मतदाता सूची में 19,228 वकीलों के नाम हैं। इस सूची में नए वकीलों के भी नाम जुड़ेंगे। इस तरह करीब 25 हजार वकील काउंसिल के 25 सदस्यों का चुनाव करेंगे। इन 25 सदस्यों में से एक बार काउंसिल ऑफ इंडिया का प्रतिनिधित्व करेगा।

ये 25 सदस्य मिलकर अध्यक्ष, उपाध्यक्ष कोषाध्यक्ष व बार काउंसिल ऑफ इंडिया के सदस्य का चुनाव करेंगे। बाकी सदस्यों को नए वकीलों का रजिस्ट्रेशन करने वाली इनरोलमेंट कमेटी, रूल मैकिंग कमेटी, वेलफेयर कमेटी, एक्जीक्यूटिव कमेटी समेत लगभग 8 कमेटियों में एडजस्ट किया जाएगा।

काउंसिल का कार्यकाल पांच साल का होता है। इसके बावजूद ढाई साल में काउंसिल के मेंबर चाहें तो पदाधिकारी बदल सकते हैं या यथावत रख सकते हैं।

एक मतपत्र में ही होंगे सभी उम्मीदवारों के नाम

राज्य बनने के बाद से चौथी बार चुनाव हो रहा है। इसके पहले एक मतपत्र में ही सभी उम्मीदवारों के नाम होंगे, चाहे उनकी संख्या कितनी भी हो। मतदाताओं को उनके नाम के आगे रेटिंग देनी होगी। यानी किस उम्मीदवार को वे 1 से 25 तक कौन से नंबर पर रख रहे हैं। अधिकतम रेटिंग वाले ही काउंसिल के मेंबर चुने जाएंगे।

इससे पहले 2014 में हुआ था चुनाव

छत्तीसगढ़ बनने के बाद काउंसिल का पहला चुनाव 2001-02 में हुआ। इसके बाद 2007 और 2014 में चुनाव हुए। कोविड व अन्य वजहों से फरवरी 2019 में कार्यकाल खत्म होने पर चुनाव नहीं हो सका।

तब तत्कालीन काउंसिल को नियमानुसार 6-6 महीने का दो बार एक्टेंशन दिया गया। फिर भी चुनाव न होने पर प्रावधानों के अनुसार स्पेशल कमेटी को प्रभार सौंप दिया गया। इस कमेटी में महाधिवक्ता प्रफुल्ल भारत, सुनील ओतवानी और प्रतीक शर्मा हैं।

महाधिवक्ता एक्स ऑफिसियो के रूप में सदस्य होते हैं। प्रावधानों के तहत शैलेंद्र दुबे बार काउंसिल के प्रतिनिधि तब तक बने रहेंगे, जब तक कि नया प्रतिनिधि न चुना जाए। काउंसिल का चुनाव कराने मामला हाईकोर्ट में गया था, जहां से निर्देश के बाद निर्वाचन की अधिसूचना जारी गई है।